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डॉक्टर अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता

प्रारंभिक परीक्षा – डॉ. अम्बेडकर।
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:1- स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।

संदर्भ 

  • हाल ही में, देश के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबडेकर की 133वीं जयंती मनाई गई।  

प्रमुख बिन्दु 

डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में

जन्म और शिक्षा 

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म एक दलित (हिंदू महार) परिवार में 14 अप्रैल 1891 को तत्कालीन मध्य प्रांत (मध्य प्रदेश) के एक छोटे से शहर महू में हुआ था। 
  • उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और साथ ही विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये।
  • डॉ. अंबेडकर एक प्रमुख समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, लेखक, विद्वान और विचारक थे।

योगदान 

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और संवैधानिक क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए हैं, जो वर्तमान में भी प्रासंगिक प्रतीत होते हैं। 

राजनीति में 

  • वे एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था चाहते थे, जिसमें धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव किए बगैर सभी को समान राजनीतिक अवसर प्रदान किया जाए। 
  • उनका विश्वास था कि बिना आर्थिक और सामाजिक विषमता दूर किए, वास्तविक जनतंत्र की स्थापना नहीं हो सकती है।
  • लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना में ‘नैतिकता’ और ‘सामाजिकता’ दो प्रमुख मूल्यों को शामिल करना चाहिए। 
    • वर्तमान में राजनैतिक नैतिकता के मूल्य खत्म होकर केवल वोट बैंक की राजनीति बची है, ऐसे में इन मूल्यों की प्रासंगिकता बढ़ जाती है। 
  • 9 जुलाई 1942 को डॉ. अंबेडकर वायसराय की कार्यकारी परिषद में श्रम मंत्री बने। 

संविधान निर्माण में भूमिका 

  • वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।
  • स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना के लिए उन्हें वर्ष 1947 में मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। 
  • स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले कानून मंत्री बने।

आर्थिक क्षेत्र में  

  • वर्तमान समय में जहां भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आय एवं संपत्ति में व्यापक असमानता इत्यादि समस्याएँ विद्यमान हैं, ऐसे में डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए आर्थिक विचार काफी महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
  • “रुपये की समस्या : इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान” नामक पुस्तक में डॉ. अम्बेडकर ने 1800 से 1893 के समयावधि के दौरान, विनिमय के माध्यम के रूप में भारतीय रुपया के विकास का परीक्षण किया और उपयुक्त मौद्रिक व्यवस्था के चयन की समस्या की भी व्याख्या की। 
  • “भारत में छोटे जोत और उनके उपाय” नामक पुस्तक में डॉ. अम्बेडकर ने कृषि से संबंधित कई समस्याओं के निवारण करने की विधि बताई। 
  • “ब्रिटिशकाल में प्रांतीय वित्त का विकास” नामक शोध में देश के विकास के लिए एक सहज कर प्रणाली पर बल दिया।

समानता 

  • डॉ. अंबेडकर के अनुसार राज्य को विशेष रूप से ध्यान देना  चाहिए कि समानता का अधिकार, धर्म और जाति से ऊपर है।
  • प्रत्येक व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के समान अवसर उपलब्ध होने चाहिए और यह किसी भी समाज की प्रथम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
  • डॉ. अंबेडकर के इन्हीं विचारों को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार का प्रावधान किया गया।

सामाजिक क्षेत्र

  • डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज में प्रचलित वर्ण-व्यवस्था, जाति-प्रथा तथा अस्पृश्यता का विरोध किया। 
  • निचली जातियों को राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि “कोई भी आपकी शिकायतों को दूर नहीं कर सकता है और आप उन्हें तब तक दूर नहीं कर सकते जब तक कि आपके हाथों में राजनीतिक शक्ति न हो
  • उन्होंने निचली जातियों को सशक्त बनाने के लिए सकारात्मक कार्रवाई के रूप में अलग निर्वाचक मंडल का सुझाव दिया।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता का अंत का प्रावधान किया गया है।  

महिलाओं से संबंधित विचार

  • डॉ. अम्बेडकर ने हमेशा स्त्री-पुरुष समानता का व्यापक समर्थन किया।
  • वह हमेशा महिलाओं को समानता, शिक्षा, सम्मान और  अधिकार प्रदान करने की बात करते थे।   
  • यही कारण है कि उन्होंने स्वतंत्र भारत के प्रथम विधिमंत्री रहते हुए ‘हिंदू कोड बिल’ संसद में प्रस्तुत किया।  
  • इस विधेयक के माध्यम से उन्होंने हिन्दू महिलाओं के लिए व्यापक प्रावधान करने का सुझाव दिया। हालांकि बाद में जवाहरलाल नेहरू के साथ कुछ मतभेदों के कारण उन्होंने संसद सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया।

धर्म 

  • धर्म के प्रति उनका दृष्टिकोण तार्किक एवं विचारपूर्ण है।
  • विभिन्न धर्मों की तीखी आलोचना के कारण कुछ लोग उन्हें धर्म के खिलाफ मानते थे किंतु वे आध्यात्मिक और सार्वजनिक जीवन में धर्म के महत्व के प्रति सचेत थे।
  • अन्य धर्मों की अपेक्षा वह बौद्ध धर्म को अधिक श्रेष्ठ मानते थे,क्योंकि इस धर्म में जाति आधारित भेद नहीं था।  
  • 13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में बोलते हुए अंबेडकर ने बौद्ध धर्म में अपने धर्म परिवर्तन करने की घोषणा की और कहा, "हालाँकि मैं एक अछूत हिंदू के रूप में पैदा हुआ हूँ, लेकिन मैं एक हिंदू के रूप में हरगिज नहीं मरूँगा "

भीमराव अम्बेडकर और महात्मा गांधी के विचारों में मतभेद

  • जातिप्रथा और छुआ-छूत के मुद्दों पर गांधी जी  और अम्बेडकर के बीच मतभेद विद्यमान थे। 
  • गांधी जी का मानना था कि जाति व्यवस्था से केवल छुआ-छूत जैसे अभिशाप को बाहर करना चाहिए, तो वहीं अम्बेडकर पूरी जाति व्यवस्था को खत्म करने के पक्ष में थे। 
  • इसी मतभेद को लेकर अंबेडकर ने क्षेत्रीय विधान सभाओं और केंद्रीय विधान परिषद में एक अलग निर्वाचक मंडल की मांग की।  
  • वर्ष 1932 में पूना पैक्ट (महात्मा गांधी और अंबेडकर के मध्य) हुआ, जिसमें अलग निर्वाचक मंडल के बजाय दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया।

मृत्यु 

  • 6 दिसंबर 1956 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की मृत्यु हो गयी।

सम्मान 

  • वर्ष 1990 में, इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया गया।
  • 14 अप्रैल 1990 से 14 अप्रैल 1991 तक की अवधि को बाबासाहेब की स्मृति में 'सामाजिक न्याय वर्ष' के रूप में मनाया गया।

कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें

  • जनता (साप्ताहिक), 1930
  • एनीहिलेशन ऑफ कास्ट्स,1936
  • बुद्ध या कार्ल मार्क्स, 1956
  • पाकिस्तान और द पार्टीशन ऑफ़ इण्डिया / थॉट्स ऑन पाकिस्तान
  • हू वेर दी शूद्राज़ ?
  • द कैबिनेट मिशन एंड द अनटचेबल्स
  • स्टेट्स एंड माइनॉरिटीज 
  • वेटिंग फॉर वीज़ा (आत्मकथा) 

कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ 

  • वर्ष 1920 में मूक नायक नामक पाक्षिक एक समाचार पत्र शुरू किया।
    • इसके अंतर्गत उन्होनें स्वराज, अस्पृश्यों की शिक्षा और अस्पृश्यता की बुराइयों जैसे मामलों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। 
  • वर्ष 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा (आउटकास्ट वेलफेयर एसोसिएशन) की स्थापना की, जिसमें उन्होंने दलितों में शिक्षा और जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।
  • वर्ष 1930 में नासिक में अछूतों के लिए मंदिर प्रवेश आंदोलन कालाराम मंदिर सत्याग्रह शुरू किया। 
  • वर्ष 1932 में महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए। 
  • वर्ष 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। 

डेली अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. वर्ष 1932 में हुए पूना पैक्ट के तहत दलितों के लिए एक अलग निर्वाचक मंडल की स्वीकृति प्रदान की गई।  
  2. डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर जाति व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करने के पक्ष में थे। 
  3. डॉक्टर अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत के प्रथम विधिमंत्री रहते हुए संसद में ‘हिंदू कोड बिल’ प्रस्तुत किया। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से असत्य है/हैं?

(a) केवल 2 और 3 

(b) केवल 2

(c) केवल 1

(d) उपरोक्त सभी 

उत्तर: (c)

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