New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM July Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM

चावल में आर्सेनिक का बढ़ता स्तर

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

हाल ही में द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण चावल में आर्सेनिक का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो वर्ष 2050 तक एशियाई देशों में करोड़ों कैंसर मामलों का कारण बन सकता है। 

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

  • अध्ययन के अनुसार बढ़ते तापमान और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर मृदा की रासायनिक संरचना को इस प्रकार बदल रहे हैं कि आर्सेनिक की उपलब्धता एवं अवशोषण क्षमता चावल के पौधों में अधिक हो गई है।
    • यह प्रभाव मृदा की रासायनिक संरचना और जल निकासी प्रणाली पर निर्भर करता है।
  • चावल उगाने के दौरान दूषित मृदा और सिंचित जल से चावल में अकार्बनिक आर्सेनिक की मात्रा बढ़ जाती है।
  • अनुमान है कि वर्ष 2050 तक चीन में 1.34 करोड़ कैंसर के मामले केवल आर्सेनिक युक्त चावल के सेवन से हो सकते हैं।
  • सबसे अधिक जोखिम चीन, भारत, बांग्लादेश, वियतनाम, म्यांमार, इंडोनेशिया और फिलीपींस में है जहाँ चावल मुख्य भोजन है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव 

  • अध्ययन के अनुसार आर्सेनिक के स्तर में यह वृद्धि कैंसर के आलावा  हृदय रोग, मधुमेह जैसे  अन्य स्वास्थ्य जोखिमों को भी बढ़ा सकती है।
  • इसके अलावा आर्सेनिक के संपर्क में आने से गर्भावस्था के प्रतिकूल परिणाम, तंत्रिका-विकास संबंधी समस्याएं और प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

चावल में बढ़ते आर्सेनिक के स्तर को कम करने के सुझाव 

कृषि क्षेत्र में सुधार

  • कम आर्सेनिक अवशोषण करने वाली धान की किस्मों का विकास।
  • जल प्रबंधन तकनीकों को अपनाना (जैसे Alternate Wetting and Drying – AWD)।
  • जैविक खेती और मृदा परीक्षण को बढ़ावा देना।

जन स्वास्थ्य पहल

  • आहार विविधता को बढ़ावा देना ताकि चावल पर निर्भरता घटे।
  • खाद्य सुरक्षा निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल और सिंचाई जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

नीतिगत पहलें 

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में आर्सेनिक निगरानी को शामिल करना।
  • ICAR और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • जलवायु परिवर्तन और कृषि स्वास्थ्य प्रभावों के संबंध में समन्वित रणनीति बनाना।

इसे भी जानिए

आर्सेनिक के बारे में 

  • क्या है : आर्सेनिक एक रासायनिक तत्व है जो पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। हालाँकि, यह  कुछ औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण भी उत्पन्न होता है। यह एक विषैला पदार्थ है जो मृदा, जल और वायु में मौजूद हो सकता है। 
    • इसका प्रतीक As और परमाणु संख्या 33 है। 
  • आर्सेनिक के दो मुख्य रूप हैं: कार्बनिक और अकार्बनिक। 
    • कार्बनिक आर्सेनिक :यह आर्सेनिक ऐसे यौगिकों में होता है जो कार्बन से जुड़ा होता है। यह समान्यतः मछली, केकड़ा, झींगा आदि समुद्री जीवों में पाया जाता है। 
      • यह आमतौर पर कम विषैला (less toxic) होता है। 
  • अकार्बनिक आर्सेनिक : यह आमतौर पर भूजल, मृदा, चट्टानों, औद्योगिक अपशिष्ट, कीटनाशक आदि में पाया जाता है। 
    • यह अत्यधिक विषैला और कैंसरजन्य (highly toxic and carcinogenic) होता है जिसके लंबे समय तक सेवन से कैंसर के अलावा मधुमेह, त्वचा रोग आदि का जोखिम होता है। 

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR