प्रारम्भिक परीक्षा – रोन ओलमी (Roen Olmi) मशरूम मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 (पर्यावरण एवं जैव –विविधता) |
संदर्भ
हाल ही में गोवा में वैज्ञानिकों ने 'रोन ओलमी' मशरूम के दानेदार रूपों का प्रयोग कर सोने के नैनोकण बनाए हैं।
प्रमुख बिंदु :-
- इस शोध को टेलर और फ्रांसिस द्वारा प्रकाशित जर्नल ऑफ जियोमाइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित किया गया था।
- यह शोध डॉ. सुजाता दाबोलकर और डॉ. नंदकुमार कामत की निगरानी में किया गया।
- मशरूम की 104 प्रजातियों और उप-प्रजातियों में से 35 प्रजातियां गोवा में पाई जाती हैं।
- सोने के नैनोकणों को संश्लेषित करने के लिए मशरूम के छर्रों का उपयोग किया जाता है।
- सोने के नैनोकणों का उपयोग बायोमेडिकल और बायोटेक्नोलॉजिकल विज्ञान में, दवा में, चिकित्सा इमेजिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
- इसका उपयोग विशेष रूप से कैंसर रोधी दवाओं में किया जाता है।
- यह खोज गोवा के आर्थिक और जैव-औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
महत्व:-
- यह सफलता सोने के नैनोकणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए पर्यावरण-अनुकूल प्रजातियों के उपयोग की शुरुआत है।
- विश्व के अन्य देश सोने के नैनोकणों के उत्पादन के लिए बहुत जहरीले रासायनिक एजेंटों का उपयोग कर रहे हैं ।
- यह अनुसंधान उद्योग और चिकित्सा के लिए महत्वपूर्ण है।
- वर्तमान में, सोने के नैनोकणों का कारोबार 450 मिलियन डॉलर का है।
- भारत मुख्य रूप से इसका आयातक देश है।
रोन ओलमी (Roen Olmi) मशरूम :-
- यह टर्मिटोमाइसेस प्रजाति का मशरूम है।
- यह प्रजाति पश्चिमी घात में स्थित दीमक की पहाड़ियों पर पायी जाती है।
- इसका स्थानीय नाम 'रोन ओलमी' (Roen Olmi) हैं।
- इसका उपयोग गोवा में स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में किया जाता है।
विशेषता :-
- इन मशरूमों का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है।
- ये दीमकों के साथ मिलकर ही बढ़ते हैं।
- ये मशरूम अपने विकास के लिए दीमकों के साथ जुड़े रहते हैं।
- यह दीमक मशरूम को जैविक सामग्री प्रदान करते हैं, तथा एंजाइम और नाइट्रोजन को प्राप्त करने के लिए इनका उपभोग करते हैं।
- इस खोज की मदद से गोवा के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नई तकनीक बनाने में किया जा सकता है।
- इससे गोवा की अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है।
पर्यावास:-
- यह मशरूम पश्चिमी घाट में पाया जाता है।
- इसके प्रजनन के लिए घने जंगल एवं उच्च आर्द्रता वाले स्थान की आवश्यकता होती है
हानि :-
- इसके अत्यधिक दोहन से क्यासानूर वन रोग (KFD) या बंदर बुखार जैसी वन-आधारित बीमारियों का प्रकोप फ़ैल सकता है।
लाभ :-
- इन मशरूम में विभिन्न प्रकार के लाभकारी एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं।
- ये जंगली मशरूम जंगल में वायरस ले जाने वाले वैक्टरों को नष्ट करते हैं।
- यह मनुष्यों को प्रभावित करने वाली वायरल बीमारियों कम करने में सहायक हैं।
- ये प्रजातियां जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र में एक शक्तिशाली बायोडिग्रेडिंग कवक के रूप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- यह जमीन पर 50% मृत पौधों की सामग्री को समृद्ध मिट्टी में परिवर्तित कर देती हैं।
गोवा में पायी जाने वाली मशरूम की प्रमुख प्रजाति :-
- ख़ुत ओलमी- इसमें लम्बे आकार का तना पाया जाता है।
- फुगो एल्म्स- यह गुब्बारे के आकार का होता है।
- तामड़ी ओलमी- यह लाल रंग का होता है।
- बकवास ओलमी- यह सर्दी के मौसम में उत्पन्न होता है।
मशरूम (MUSHROOM):-
- यह एक कवक की प्रजाति है।
- यह मिट्टी, सड़ी-गली लकड़ी, नम तथ सीलन भरे स्थानों, वृक्ष के ठूंठों तथा सजीव पादपों के ऊपर परजीवी के रूप में उगते हैं।
मशरूम में पाए जाने वाले पोषक तत्व :-
- प्रोटीन
- खनिज
- विटामिन
- विटामिन बी कॉम्प्लेक्स
- विटामिन डी
- एमीनो एसिड
- स्टेरॉयड
- फ्लेवोनोइड्स
- एंटीऑक्सिडेंट आदि।
मशरूम से लाभ:-
- इसका उपयोग कैंसर के इलाज में;
- भूलने की बीमारी (अल्जाइमर) के उपचार में;
- आंत को स्वस्थ रखने में;
- डायबिटीज के उपचार में आदि।
मशरूम से हानि
- जहरीले मशरूम जैसे- ग्रिफोला फ्रोंडोसा, आयस्टर एवं सेल्फर शेल्फ के सेवन से लीवर एवं किडनी में रोग हो सकते है।
- अत्यधिक मात्रा में मशरूम के सेवन से पेट फूलने की बीमारी हो सकती है।
पर्यावास:-
- यह भारत , यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में पाया जाता है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी कई प्रजातियां खतरे में है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में वैज्ञानिकों ने किस मशरूम के दानेदार रूपों का प्रयोग कर सोने के नैनोकण बनाए हैं?
(a) बकवास ओलमी
(b) तामड़ी ओलमी
(c) ख़ुत ओलमी
(d) रोन ओलमी
उत्तर (d)
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स्रोत : The Indian EXPRESS