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नाबालिग पत्नी से यौन संबंध एवं कानूनी मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा

(समसामयिक घटनाक्रम)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 एवं 2: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ; स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक हालिया निर्णय के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु की नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में आता है, चाहे यह संबंध सहमति से बनाए गए हो या नहीं।

हालिया वाद के बारे में 

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष हालिया वाद एक नाबालिग महिला के साथ उसके बालिग़ पति द्वारा झूठा विवाह रचाकर यौन संबंध बनाने से संबंधित था।
  • इस मामले में पति ने महिला के गर्भवती होने के बाद विवाह की वैधता को मानने से इंकार कर दिया और महिला को गर्भपात कराने के लिए दवाब डाला। इससे पीड़ित नाबालिग महिला को न्यायालय में जाना पड़ा।
  • इस मामले में सत्र न्यायालय (Trial Court) द्वारा आरोपी को नाबालिग से यौन संबंध बनाने के आधार पर बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी।
  • उच्च न्यायालय ने अपने हालिया निर्णय में इस सजा को बरकरार रखा गया है।

बाल विवाह के बारे में

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 11 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के खतरे में हैं।
    • इनमें अकेले उत्तर प्रदेश में 5 लाख से अधिक बच्चों पर यह खतरा है।
  • यद्यपि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत यह गैरकानूनी है किंतु कई राज्यों में यह प्रथा जारी है।
  • बाल विवाह ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय’ के तहत प्रदत्त बच्चों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ उनके विकास में भी बाधा पहुंचाता है। 
    • वर्ष 1989 में भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अभिसमय' का अनुसमर्थन किया था।
  • बाल विवाह बच्चों या किशोरों पर विवाह का साथी थोपने जैसा है जो इसके लिए तैयार एवं परिपक्व नहीं होते हैं और विवाह के महत्व को समझने में असमर्थ होते हैं।
  • स्वतंत्रता, व्यक्तिगत विकास के अवसर और स्वास्थ्य एवं कल्याण, शिक्षा व नागरिक जीवन में भागीदारी सहित अन्य अधिकारों से वंचित होने के कारण उनका विकास बाधित होता है। 

महिलाओं पर बाल विवाह का नकारात्मक परिणाम 

  • कम उम्र में गर्भधारण
  • मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर में वृद्धि
  • बाल स्वास्थ्य समस्याएं
  • शैक्षणिक बाधाएं
  • रोजगार/आजीविका की कम संभावनाएं 
  • हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करना 
  • नकारात्मक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिणाम 
  • अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने की सीमित क्षमता

बॉम्बे उच्च न्यायालय का निर्णय 

  • उच्च न्यायालय के अनुसार, नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बलात्कार है और ऐसी स्थिति में वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) अपवाद लागू नहीं होता है।
    • वैवाहिक बलात्कार अपवाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून है, जिसके तहत पति द्वारा अपील की गई थी कि पत्नी के साथ संभोग करना बलात्कार या यौन हमला नहीं है।
  • न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिका/महिला के साथ संभोग बलात्कार है, चाहे वह विवाहित हो या न हो।  
  • पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने का बचाव तब उपलब्ध नहीं होता है जब पत्नी या बालिका, जिसे कथित तौर पर पत्नी कहा जाता है, की आयु 18 वर्ष से कम हो।
  • इस प्रकार उच्च न्यायालय ने ‘इंडिपेंडेंट थॉट बनाम भारत संघ व अन्य मामले’ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की पुष्टि की, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की पत्नियों के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत वैवाहिक बलात्कार का अपवाद लागू नहीं होगा।
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