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मायस्थेनिया ग्रेविस: एक दुर्लभ बीमारी

प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी मोनिका सेल्स कुछ वर्ष पहले मायस्थेनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis) बीमारी से प्रभावित हुई थी। 

मायस्थेनिया ग्रेविस रोग के बारे में

  • मायस्थेनिया ग्रेविस एक ऑटोइम्यून (स्वप्रतिरक्षी) बीमारी है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से अपनी ही मांसपेशियों एवं तंत्रिकाओं पर हमला करती है।
  • इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। विशेषकर आंखों, चेहरे, गले एवं अंगों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।
  • यह समस्या किसी भी आयु में हो सकती है किंतु महिलाओं में 40 वर्ष से कम और पुरुषों में 60 वर्ष से अधिक आयु में अधिक देखी जाती है।

इसके पीछे का विज्ञान

  • शरीर में तंत्रिकाएँ (नर्व्स) मांसपेशियों को संदेश भेजती हैं ताकि वे काम कर सकें। यह संदेश एक रसायन (एसिटाइलकोलाइन) के जरिए पहुँचता है।
  • मायस्थेनिया ग्रेविस में इम्यून सिस्टम इस रसायन के रिसेप्टर्स (जो मांसपेशियों में होते हैं) को नष्ट कर देता है।
  • परिणामस्वरूप तंत्रिकाएँ एवं मांसपेशियां ठीक से संवाद नहीं कर पाती हैं जिससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और जल्दी थक जाती हैं।
  • थाइमस ग्रंथि का इस बीमारी से संबंध हो सकता है क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है।

लक्षण 

  • आंखों की मांसपेशियों की कमजोरी : पलकें लटकना, दोहरी दृष्टि
  • चेहरे की कमजोरी : मुस्कुराने, चबाने या बोलने में दिक्कत
  • गले की मांसपेशियों की समस्या : निगलने या सांस लेने में परेशानी
  • हाथ-पैर की कमजोरी : सीढ़ियां चढ़ने, सामान उठाने या चलने में दिक्कत
  • लक्षण दिन के अंत में या थकान के बाद अधिक बिगड़ सकते हैं और आराम करने पर कुछ हद तक सुधर सकते हैं।

शरीर पर प्रभाव

  • मायस्थेनिया ग्रेविस रोजमर्रा के कामों को मुश्किल बना देती है, जैसे खाना चबाना, बोलना या चलना।
  • गंभीर मामलों में सांस लेने वाली मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं जिसे ‘मायस्थेनिक क्राइसिस’ कहते हैं। यह आपातकालीन स्थिति हो सकती है।
  • यह बीमारी जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है क्योंकि रोगी जल्दी थक जाते हैं और सामान्य गतिविधियाँ नहीं कर पाते हैं।
  • हालांकि, यह जानलेवा नहीं है किंतु बिना इलाज के यह गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है।

उपचार

  • दवाएँ :
    • एंटीकोलिनेस्टरेज़ दवाएँ (जैसे- पाइरिडोस्टिग्मिन) मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती हैं।
    • इम्यूनोसप्रेसेंट्स (जैसे- स्टेरॉयड या अजाथियोप्रिन) इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करते हैं।
  • थाइमेक्टॉमी : कुछ मामलों में थाइमस ग्रंथि को सर्जरी से हटाया जाता है जो लक्षणों को कम कर सकता है।
  • प्लाज्मा एक्सचेंज और IVIG : गंभीर लक्षणों के लिए रक्त से हानिकारक एंटीबॉडीज को हटाने की प्रक्रिया या इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन दिए जाते हैं।
  • जीवनशैली : पर्याप्त आराम, तनाव से बचना और नियमित चिकित्सा जाँच जरूरी है।
  • उपचार व्यक्ति के लक्षणों एवं स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है।
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