(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
भारत सरकार ने 12 अगस्त, 2025 को भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत चार नए सेमीकंडक्टर संयंत्रों को मंजूरी दी, जिनका कुल मूल्य ₹4,594 करोड़ है। यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के बारे में
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) दिसंबर 2021 में ₹76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ शुरू किया गया।
- इसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण में वैश्विक केंद्र बनाना है।
- यह मिशन सेमीकंडक्टर इकाइयों को वित्तीय सहायता, डिजाइन बुनियादी ढांचा एवं प्रतिभा विकास के लिए समर्थन प्रदान करता है।
सेमीकंडक्टर के उपयोग
- इलेक्ट्रॉनिक्स : स्मार्टफोन, लैपटॉप, टी.वी. एवं अन्य उपभोक्ता उपकरणों में
- ऑटोमोटिव : इलेक्ट्रिक वाहनों, ऑटोमेटेड ड्राइविंग सिस्टम में
- रक्षा : मिसाइल, रडार और संचार उपकरणों में
- नवीकरणीय ऊर्जा : सौर पैनल और पवन ऊर्जा प्रणालियों में
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता : डाटा सेंटर, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और AI चिप्स में
चार नए संयंत्रों को मंजूरी
- कुल परियोजनाएँ : इन चार नए संयंत्रों के साथ ISM के तहत कुल स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या 10 हो गई है, जिनका कुल निवेश ₹1.60 लाख करोड़ है।
- स्थान : दो संयंत्र ओडिशा के भुवनेश्वर में, एक पंजाब के मोहाली में और एक आंध्र प्रदेश में (स्थान अभी तय नहीं)।
- निवेश : चारों परियोजनाओं में ₹4,594 करोड़ का निवेश होगा और 2,034 प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।
नए संयंत्रों का लाभ
- आर्थिक विकास : ये संयंत्र प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से हजारों नौकरियां सृजित करेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- आत्मनिर्भरता : आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।
- वैश्विक स्थिति : भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण हितधारक बनेगा।
- तकनीकी उन्नति : सिलिकॉन कार्बाइड और उन्नत पैकेजिंग जैसी नई तकनीकों से रक्षा, ऑटोमोटिव एवं AI क्षेत्रों में प्रगति होगी।
सेमीकंडक्टर के लिए सरकारी पहल
- वित्तीय सहायता : ISM के तहत संयंत्रों को 50% तक की सब्सिडी
- प्रतिभा विकास : 278 शैक्षणिक संस्थानों और 72 स्टार्टअप्स को डिजाइन बुनियादी ढांचा समर्थन से 60,000 से अधिक छात्रों को लाभ
- अनुसंधान एवं विकास : IIT भुवनेश्वर में सिलिकॉन कार्बाइड अनुसंधान के लिए ₹45 करोड़ का निवेश
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : सेमीकॉन इंडिया 2025 (2-4 सितंबर) में सिंगापुर, मलेशिया, जापान एवं कोरिया के साथ साझेदारी
चुनौतियाँ
- उच्च निवेश लागत : सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने में भारी पूंजी और लंबा समय लगता है।
- प्रौद्योगिकी जटिलता : सिलिकॉन कार्बाइड और उन्नत पैकेजिंग जैसी तकनीकों में विशेषज्ञता की कमी है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा : ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।
- प्रतिभा की कमी : कुशल इंजीनियरों और तकनीशियनों की आवश्यकता है जो अभी सीमित हैं।
आगे की राह
- शिक्षण एवं प्रशिक्षण : सेमीकंडक्टर डिजाइन और विनिर्माण में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना
- अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी : वैश्विक कंपनियों के साथ और तकनीकी सहयोग बढ़ाना
- बुनियादी ढांचा विकास : बिजली, पानी एवं लॉजिस्टिक्स जैसे संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- नीतिगत स्थिरता : निवेशक आकर्षित करने के लिए दीर्घकालिक नीतियां और प्रोत्साहन बनाए रखना
निष्कर्ष
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत चार नए संयंत्रों की मंजूरी भारत को तकनीकी और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये परियोजनाएँ न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करेंगी।