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कृषि में रसायनों का खतरा

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन पेपर- 3)

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क एशिया पैसिफिक (PANAP) की 2025 की नई रिपोर्ट ने दक्षिण एशिया में खेती के दौरान खतरनाक कीटनाशकों के व्यापक उपयोग और किसानों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे गंभीर प्रभावों को उजागर किया है।

रिपोर्ट के बारे में 

‘ग्राउंड अप से: बांग्लादेश, भारत, लाओस और वियतनाम में कीटनाशक उपयोग का दस्तावेजीकरण (2025)’ (‘From the Ground Up: Documenting Pesticide Use in Bangladesh, India, Laos and Vietnam -2025)’

यह रिपोर्ट बांग्लादेश, भारत, लाओस और वियतनाम के 4,392 किसानों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। 

सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष:

  • रिपोर्ट के निष्कर्ष बताते हैं कि इन देशों में कीटनाशकों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिसमें भारत में अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों (HHPs) का अनुपात सबसे अधिक है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 3,825 उत्तरदाताओं (87.09%) ने स्वीकार किया कि वे कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। 
  • अध्ययन के दौरान कुल 96 विभिन्न कीटनाशकों की पहचान की गई, जिनमें से 58% को अत्यधिक खतरनाक श्रेणी में रखा गया है।
  • भारत की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपयोग किए जा रहे 41 कीटनाशकों में से 29 अत्यधिक खतरनाक श्रेणी में आते हैं, जो कुल का लगभग 70.73% है। 
  • यह अनुपात सर्वेक्षण में शामिल सभी देशों में सबसे अधिक है।

महाराष्ट्र और यवतमाल: संकट का केंद्र

  • भारत में किए गए सर्वेक्षण में 1,993 उत्तरदाता शामिल थे, जिनमें से 1,485 किसान महाराष्ट्र के यवतमाल जिले से थे।
  • यवतमाल पहले भी कपास की खेती में कीटनाशकों से होने वाली मौतों और बीमारियों के कारण चर्चा में रहा है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से कपास के खेतों में काम के दौरान कीटनाशकों के संपर्क में आने से हुई मौतों और अस्पताल में भर्ती होने की घटनाओं के कारण यवतमाल राष्ट्रीय और स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में रहा है। 
  • उस वर्ष आधिकारिक आंकड़ों में 450 से अधिक कीटनाशक विषाक्तता के मामले और 23 मौतें दर्ज की गई थीं।
  • यवतमाल के किसान मुख्य रूप से कपास और सोयाबीन की खेती करते हैं और फसल चक्र के दौरान कानूनी व गैर-कानूनी दोनों प्रकार के कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। 
  • रिपोर्ट में विशेष रूप से डायफेंथियूरॉन का उल्लेख किया गया है, जो पहले भी ज़हर के मामलों से जुड़ा रहा है और जिसका उपयोग अब भी जारी है। 
  • प्रभावित किसानों के अनुसार, इसके संपर्क में आने से अस्थायी अंधापन और कई दिनों तक बेहोशी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ सामने आई हैं।

खतरनाक रसायन और स्वास्थ्य जोखिम:

  • सर्वेक्षण में शामिल सभी देशों में 3,369 उत्तरदाताओं ने बताया कि वे स्वयं कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, जबकि 2,619 ने जमीन के स्तर पर छिड़काव के माध्यम से संपर्क में आने की सूचना दी। 
  • इसके अलावा, लगभग 1,712 उत्तरदाता छिड़काव किए गए खेतों से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर रहते हैं, जिससे द्वितीयक संपर्क का खतरा बढ़ जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ग्लाइफोसेट सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला कीटनाशक है, जिसका 828 बार उल्लेख किया गया, जबकि वियतनाम में इसे 2019 में प्रतिबंधित किया जा चुका है। 
  • भारत में थियामेथॉक्सम और कार्बोफ्यूरान का व्यापक उपयोग सामने आया है, जिनमें से कार्बोफ्यूरान को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की क्लास Ib (अत्यधिक खतरनाक) श्रेणी में रखा गया है।
  • इसके अलावा ब्रोमाडियोलोन, डिफासिनोन, मिथाइल पैराथियन, एबामेक्टिन और मोनोक्रोटोफोस जैसे WHO क्लास Ia और Ib के अत्यंत खतरनाक कीटनाशकों की भी पहचान की गई है।

असुरक्षित कृषि प्रथाएँ और PPE की कमी:

  • रिपोर्ट में खेती के दौरान असुरक्षित प्रथाओं पर भी गंभीर चिंता जताई गई है। 
  • 1,111 किसानों ने बताया कि वे छिड़काव के एक दिन बाद खेतों में दोबारा प्रवेश कर जाते हैं, जबकि 964 उसी दिन खेतों में लौट आए। 
  • तेज़ हवाओं में छिड़काव करना और हवा की दिशा में स्प्रे करना आम पाया गया, जिससे कीटनाशकों के फैलाव का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग भी बेहद सीमित पाया गया। लगभग 40% किसानों ने PPE का उपयोग न करने की जानकारी दी, जिसमें सबसे अधिक अनुपात भारत में दर्ज किया गया। 
  • जो किसान PPE का उपयोग करते भी हैं, वे प्रायः सर्जिकल मास्क और साधारण कपड़ों तक ही सीमित रहते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

लिंग-आधारित जोखिम और प्रशिक्षण की कमी

  • सर्वेक्षण में शामिल 4,392 उत्तरदाताओं में 1,183 महिलाएँ और 3,141 पुरुष थे। 
  • जहाँ पुरुष अधिकतर छिड़काव का कार्य करते हैं, वहीं महिलाएँ छिड़काव के बाद कपड़े और उपकरण धोने जैसे कार्यों में शामिल रहती हैं, जिससे उनका अप्रत्यक्ष जोखिम बढ़ जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 55% किसानों को कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग, भंडारण या निपटान का कोई प्रशिक्षण नहीं मिला। 
  • कई किसानों ने कीटनाशकों को घर के अंदर रखने, कंटेनरों को जलाने या जलस्रोतों के पास धोने की बात स्वीकार की, जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों पर खतरा बढ़ता है।

समाधान और आगे की राह:

  • रिपोर्ट में उन किसानों के उदाहरण भी दिए गए हैं जिन्होंने सुरक्षित और वैकल्पिक कृषि पद्धतियों को अपनाया है।
  • वियतनाम की एक महिला किसान ने बताया कि प्रशिक्षण और सामुदायिक चर्चा के बाद उनके क्षेत्र में पैराक्वाट और ग्लाइफोसेट जैसे रसायनों का उपयोग बंद कर दिया गया और पारंपरिक औजारों के माध्यम से खरपतवार नियंत्रण अपनाया गया।
  • PANAP की कार्यकारी निदेशक सरोजेनी रेंगम ने अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। 
  • रिपोर्ट में सरकारों से अवैध कीटनाशकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, कृषि-पारिस्थितिक विकल्पों को बढ़ावा देने, स्थानीय भाषाओं में स्पष्ट लेबलिंग, किसानों को प्रशिक्षण और FAO/WHO मानकों के अनुरूप PPE उपलब्ध कराने की सिफारिश की गई है।

निष्कर्ष:

  • PANAP की यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि दक्षिण एशिया, विशेषकर भारत और महाराष्ट्र का यवतमाल क्षेत्र, खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहा है।
  • यदि समय रहते नीतिगत सुधार, सख्त नियमन और सुरक्षित कृषि विकल्पों को नहीं अपनाया गया, तो यह संकट किसानों की आजीविका और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए और गहरा हो सकता है।

प्रश्न. पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क एशिया पैसिफिक (PANAP) की 2025 की रिपोर्ट किस विषय से संबंधित है ?

(a) जैविक खेती के लाभ

(b) दक्षिण एशिया में उर्वरकों का उपयोग

(c) खेती में खतरनाक कीटनाशकों का उपयोग और स्वास्थ्य प्रभाव

(d) जलवायु परिवर्तन और कृषि उत्पादन

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