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श्योक सुरंग: भारत की सीमाई अवसंरचना और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा निर्मित श्योक सुरंग का उद्घाटन किया। 

श्योक सुरंग:

  • यह सुरंग दुरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) सड़क पर स्थित है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के समानांतर चलने वाली अत्यंत रणनीतिक सड़क है।  
  • इस सुरंग की लंबाई 920 मीटर है।
  • यह 255 किलोमीटर लंबी DS-DBO सड़क का हिस्सा है।
  • यह सड़क दुरबुक को देपसांग मैदानों और दौलत बेग ओल्डी (DBO) से जोड़ने वाली एकमात्र चालू सड़क है।
  • DBO में दुनिया के सबसे ऊँचाई पर स्थित चालू हवाई अड्डों में से एक मौजूद है,
    • इसका भारत की सैन्य रणनीति में विशेष महत्व है।

रणनीतिक महत्व:

  • श्योक सुरंग का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह LAC के निकटवर्ती क्षेत्रों को सालभर विश्वसनीय संपर्क प्रदान करती है। 
  • पूर्वी लद्दाख का यह क्षेत्र अत्यधिक ठंड, भारी हिमपात, हिमस्खलन,और तापमान के तीव्र उतार-चढ़ाव जैसी परिस्थितियों से प्रभावित रहता है, जिनके कारण सड़क संपर्क अक्सर बाधित हो जाता है।
  • सुरंग के निर्माण से सैनिकों की त्वरित तैनाती और पुनः तैनाती संभव होगी,
    • सर्दियों में भी निर्बाध आवागमन सुनिश्चित होगा,और सुरक्षा बलों की ऑपरेशनल क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

हवाई निर्भरता में कमी और रसद सुरक्षा:

  • सुरंग के चालू होने से:
    • हवाई आपूर्ति पर निर्भरता घटेगी,
    • खराब मौसम में भी ज़मीनी मार्ग सक्रिय रहेगा,और रसद लागत व जोखिम दोनों कम होंगे।
  • यह पूर्वी लद्दाख के दुर्गम इलाकों में भारतीय सेना की लॉजिस्टिक स्वायत्तता को मज़बूत करता है।

नागरिक-सैन्य एकीकरण और सीमावर्ती आबादी को लाभ:

  • श्योक सुरंग का प्रभाव केवल सैन्य तक सीमित नहीं है। 
  • यह सीमावर्ती गाँवों को आंतरिक क्षेत्रों से जोड़ती है,
    • आपात चिकित्सा, आपूर्ति और प्रशासनिक पहुँच को आसान बनाती है,और सीमाई क्षेत्रों में स्थायी बसावट को प्रोत्साहित करती है।
  • यह भारत की “Border Area Development” रणनीति का व्यावहारिक रूप है।

वैकल्पिक मार्ग और रणनीतिक लचीलापन:

  • DS-DBO मार्ग के साथ-साथ ससोमा–सस्सर ला–गैपशान मार्ग का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है,
  • यह DBO के लिए एक द्वितीय रणनीतिक पहुँच मार्ग प्रदान करेगा।
  • यह बहु-मार्गीय पहुँच (redundancy) किसी भी सैन्य अभियान में रणनीतिक लचीलापन सुनिश्चित करती है।

2020 के बाद लद्दाख में अवसंरचना क्रांति:

  • गलवान घाटी की घटना के बाद भारत ने लद्दाख में:
    • नई रणनीतिक सड़कें और पुल, 
    • सुरंगें और ऑल-वेदर कनेक्टिविटी,
    • स्थायी रक्षा संरचनाएँ और आश्रय स्थल,
    • उन्नत संचार नेटवर्क और रसद अड्डे का आक्रामक विस्तार किया है।
  • DS-DBO सड़क पर पुलों को क्लास-70 मानकों पर उन्नत किया जा रहा है, जिससे भारी सैन्य प्लेटफॉर्म की आवाजाही संभव हो सके।

हवाई शक्ति का विस्तार: न्योमा एयरबेस:

  • हाल ही में न्योमा एयरबेस चालू किया गया है। 
  • यह लगभग 13,700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। 
  • ये चीन सीमा से लगभग 30 किमी दूर है। 
  • लड़ाकू, परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर संचालन में सक्षम।
  • यह भारत की त्रि-सेवा (थल-जल-वायु) समन्वित रणनीति को मजबूती देता है।

BRO और सीमावर्ती अवसंरचना में निवेश:

  • 2024-25: ₹16,690 करोड़ व्यय
  • 2025-26 लक्ष्य: ₹18,700 करोड़
  • BRO आज भारत की सीमावर्ती रणनीति का मुख्य क्रियान्वयन स्तंभ बन चुका है।

सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation - BRO):

  • सीमा सड़क  संगठन (BRO) भारत सरकार का एक प्रमुख तकनीकी एवं अवसंरचना संगठन है। 
  • यह सीमावर्ती, दुर्गम और सामरिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों, सुरंगों, पुलों और हवाई पट्टियों के निर्माण व रखरखाव का कार्य करता है। 
  • यह संगठन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय एकीकरण और सैन्य गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्थापना एवं प्रशासनिक ढांचा:

  • स्थापना: 7 मई 1960
  • स्थापना का उद्देश्य: सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक सड़कों का निर्माण
  • प्रशासनिक नियंत्रण: रक्षा मंत्रालय
  • मुख्यालय: नई दिल्ली
  • महानिदेशक (DG BRO): लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का अधिकारी

प्रमुख कार्य एवं दायित्व:

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक सड़कों का निर्माण और रखरखाव
  • ऑल-वेदर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने हेतु सुरंगों का निर्माण
  • भारी सैन्य वाहनों हेतु रणनीतिक पुलों का विकास
  • अग्रिम क्षेत्रों में एयरफील्ड, ALGs और हेलीपैड का निर्माण/उन्नयन
  • प्राकृतिक आपदाओं में आपातकालीन पुनर्स्थापन कार्य

कार्य क्षेत्र:

  • BRO मुख्यतः निम्न क्षेत्रों में कार्य करता है:
    • लद्दाख, जम्मू-कश्मीर
    • अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम
    • हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड
    • पूर्वोत्तर भारत
    • अंडमान–निकोबार द्वीपसमूह

प्रमुख परियोजनाएँ

  • दुरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) सड़क
  • अटल सुरंग (रोहतांग)
  • सेला सुरंग (अरुणाचल प्रदेश)
  • जोज़िला सुरंग (जम्मू-कश्मीर)
  • हंबोटिंगला, श्योक, नेचिफू सुरंगें

प्रश्न. श्योक सुरंग किस सड़क पर स्थित है ?

(a) लेह-लद्दाख सड़क

(b) दुरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) सड़क

(c) कारगिल-ज़ोजिला सड़क

(d) सिया-लद्दाख हाईवे

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