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भारत में बढ़ती सिलिकोसिस समस्या

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

संदर्भ 

भारत की विकास आकांक्षाओं ने राष्ट्रीय खनन उद्योग को निर्माण में उपयोग के लिए अधिक खनिज निष्कर्षण के लिए प्रेरित किया है। ऐसा ही एक खनिज सिलिकॉन डाइऑक्साइड या सिलिका है, जो रेत और पत्थर का एक महत्वपूर्ण घटक है। 

क्या है सिलिकोसिस

  • सिलिकोसिस एक फेफड़े की बीमारी है जो सिलिका धूल को सांस के साथ अंदर लेने से होती है। 
    • सिलिका रेत, क्वार्ट्ज और अन्य प्रकार की चट्टानों में पाया जाने वाला एक महीन पाउडर है। 
  • समय के साथ, सिलिका धूल फेफड़ों में सूजन और घाव उत्पन्न करती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो सकता है।
  • सिलिकोसिस कार्यस्थल से संबंधित बीमारी है जो प्राय: निम्नलिखित उद्योगों में काम करने वाले लोगों को अत्यधिक प्रभावित करती है : 
    • निर्माण एवं विध्वंस पत्थर की चिनाई और कटाई 
    • मिट्टी के बर्तन
    • चीनी मिट्टी और कांच का निर्माण 
    • खनन एवं उत्खनन 
    • रेत विस्फोट 
  • सिलिकोसिस का जोखिम उम्र से संबंधित नहीं है बल्कि कई वर्षों तक सिलिका धूल के संपर्क में रहने वाले खदान श्रमिकों में सिलिकोसिस विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। 
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार नई खदानों के खुलने से सिलिकोसिस  पीड़ितों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। 

सिलिकोसिस के लक्षण

  • साँस लेने में तकलीफ
  • शारीरिक गतिविधि के बाद लंबे समय तक चलने वाली खांसी
  • सीने में दर्द 
  • अस्पष्टीकृत वजन घटना 
  • हल्का बुखार 
  • उंगलियों में सूजन 
  • त्वचा पर नीलापन
  • साँस लेते समय तेज सीटी जैसी आवाज 

सिलिकोसिस का उपचार

वर्तमान में सिलिकोसिस के लिए कोई स्पष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है तथा बचाव ही इससे निपटने का सर्वोत्तम उपाय है।  

सिलिकोसिस से निपटने में चुनौतियाँ 

  • सिलिकोसिस की स्थिति  से निपटने के लिए विशेष अस्पतालों की कमी है। 
  • खदान संचालक प्राय: विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित श्रमिकों के संबंध में खान सुरक्षा महानिदेशालय को सूचित नहीं करते हैं, जिससे राज्य सरकार खदान संचालकों के कार्यस्थल प्रथाओं के बारे में कार्रवाई योग्य जागरूकता विकसित करने से वंचित हो जाती है। 
  • कई बार स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं  द्वारा सिलिकोसिस को तपेदिक के रूप में गलत तरीके से दर्ज किया जाता है। 
    • NGT के अनुसार "संबंधित अधिकारी" कानून का पालन नहीं कर रहे हैं। इस प्रकार राज्य की निष्क्रियता खदान श्रमिकों के कल्याण के लिए मुख्य बाधा है।
  • देश के खनिज संसाधन उन  सीमांत राज्यों में केंद्रित हैं, जहाँ साक्षरता एवं स्वास्थ्य देखभाल कवरेज कम है जबकि खनन से इन राज्यों को अत्यधिक राजस्व प्राप्त होता है। 
  • राज्यों द्वारा सस्ते सिलिका के आपूर्तिकर्ताओं को रियायतें हस्तांतरित करने पर श्रमिकों द्वारा  खराब कार्य परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

सिलिकोसिस से निपटने के सरकारी प्रयास 

NGT द्वारा दिशा-निर्देश 

  • इसी वर्ष 29 नवंबर को, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिलिका खनन और वाशिंग प्लांट के लिए अनुमति देने के संबंध में नए नियम  तैयार करने का निर्देश दिया। 
  • NGT ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिलिका खदानों वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं स्थापित करने का भी निर्देश दिया। 

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020

  • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता 2020  मुख्य निरीक्षक-सह-सुविधाकर्ता को सिलिकोसिस के मामलों को योग्य चिकित्सकों को सूचित करने के लिए बाध्य करती है।
  • इस संहिता के अनुसार खदान श्रमिकों के नियोक्ताओं को श्रमिकों को शारीरिक क्षति के खतरों और सिलिकोसिस सहित विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित श्रमिकों  के संबंध में खान सुरक्षा महानिदेशालय सूचित करना आवश्यक है।
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