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भारत में खेल प्रशासन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास व प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

  • पेरिस में ओलंपिक एवं पैरालंपिक खेलों का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। पेरिस ओलंपिक- 2024 में भारत 6 पदकों के साथ 71वें स्थान पर रहा। पैरालंपिक खेलों में भारत 29 पदकों के साथ 18वें स्थान पर रहा। हालाँकि, भारत की जनसंख्या और खेलों में निवेश के अनुपात में यह प्रदर्शन मिला-जुला ही है।   
  • यद्यपि भारत का लक्ष्य वर्ष 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करना और वर्ष 2036 तक दुनिया के शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में तथा वर्ष 2047 तक शीर्ष पांच खेल राष्ट्रों में शामिल होना है किंतु भारत में खेल संघों तथा खेल आयोजनों को लेकर विवाद होते रहते हैं। ऐसे में भारत में खेल प्रशासन का महत्त्व बढ़ जाता है    

भारत में खेल प्रशासन में समस्याएँ 

  • सामंजस्य की समस्या : भारत में खेल प्रशासन में खिलाड़ी, राजनेता एवं विशुद्ध रूप से प्रशासक को शामिल करने को लेकर मतभेद रहते हैं। इनमें से कोई भी हितधारक अपने में पूर्ण नहीं हैं और इनके बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। 
  • आयोजन एवं चयन की समस्या : इसके अतिरिक्त खेलों आयोजनों में भ्रष्टाचार, लालफीताशाही व क्षेत्रवाद के साथ-साथ टीम चयन में क्षेत्रवाद, पक्षपात एवं कभी-कभी जातिवाद का भी आरोप लगता रहा है।   
  • राजनीतिक दखल : खेल संघों में राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ-साथ राजनीतिक उद्देश्यों व आंदोलनों के लिए खिलाड़ियों को मोहरा बनाने से खेल के परिणाम एवं शुचिता पर प्रभाव पड़ता है।  

क्या आप जानते हैं?

  • सातवीं अनुसूची के अंतर्गत खेल को राज्य सूची के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • भारत की केवल 6% जनसंख्या ही खेलों में भागीदारी करती है, जबकि अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में यह स्तर 20% तथा जापान में 60% है।
  • केरल सरकार ने जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ‘एक पंचायत, एक खेल का मैदान’ पहल की शुरुआत की है।
  • राजस्थान ने स्थानीय खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ग्रामीण ओलंपिक’ को बढ़ावा दिया है।

खेल प्रशासन में विभिन्न हितधारक 

खेल प्रशासन में हितधारक के रूप में खिलाड़ी होने के पक्ष में तर्क 

  • खेल क्षेत्र में विशेषज्ञता : खिलाड़ियों के पास खेलों से संबंधित प्रत्यक्ष अनुभव एवं अत्यधिक समझ खेल प्रशासन के लिए उपयोगी हो सकती है। 
  • सामंजस्य में वृद्धि : खिलाड़ियों, प्रशासकों एवं प्रशिक्षकों में मध्य बेहतर समन्वय व आपसी सम्मान से खेल महासंघों में अधिक सकारात्मक तथा सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा मिलता है।
  • प्रशिक्षण की उत्तम व्यवस्था : खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण की अच्छी व्यवस्था व बेहतर सुविधाओं के साथ-साथ मानसिक एवं शारीरिक सहयोग तंत्र प्रदान करने के लिए एथलीट केंद्रित दृष्टिकोण अधिक प्रभावी सिद्ध होता है।

खेल प्रशासन में हितधारक के रूप में खिलाड़ी होने के विपक्ष में तर्क 

  • खिलाड़ियों एवं प्रशासकों के कौशल में अंतर : खिलाड़ियों द्वारा खेल के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल और प्रभावी प्रशासन के लिए आवश्यक कौशल में अत्यधिक भिन्नता होती हैं।
  • निर्णयन प्रक्रिया में अंतर : टीम के कप्तानों एवं प्रशासकों के निर्णयन प्रक्रिया में भिन्नता होती है जिसके फलस्वरुप प्रशासनिक निर्णयों के परिणाम आने में त्वरित खेल निर्णयों की तुलना में अधिक समय लगता है।
  • बैक-चैनल संवाद संबंधी चुनौतियां : शीर्ष स्तर पर खिलाड़ियों को बैक-चैनल वार्ता की आवश्यकता वाले मुद्दों में समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें राजनेता प्राय: अधिक प्रभावी होते हैं।

खेल प्रशासन में हितधारक के रूप में राजनेता होने के पक्ष में तर्क 

  • विशेषज्ञ हितधारक जुड़ाव : राजनेता प्रशासन में सभी सदस्यों को तेजी से शामिल करके नियंत्रण व संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं। उच्च पदों पर आसीन राजनेता विविध क्षेत्रों में विभिन्न हितधारकों के प्रबंधन में व्यापक अनुभव वाले होते हैं।
  • बेहतर प्रबंधन : राजनेता समर्थन जुटाने, मीडिया प्रबंधन तथा खेल आयोजनों में विशेषज्ञ होते हैं।
  • खेल समर्थन में प्रभावी : राजनेता विधायी एवं कार्यकारी समितियों में खेलों की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं का पक्ष समर्थन करने में अधिक बेहतर स्थिति में होते हैं।

खेल प्रशासन में हितधारक के रूप में राजनेता होने के विपक्ष में तर्क 

  • सूक्ष्म स्तर पर खेलों से विलगाव : राजनेताओं में प्राय: खेल संबंधी वास्तविक गतिविधियों के बारे में जागरूकता की कमी होती है, जिससे राष्ट्रीय खेल संघों तथा भारतीय ओलंपिक संघ में प्रबंधन की समस्या विद्यमान है।
  • खिलाड़ियों की वास्तविकताओं से अनभिज्ञता : राजनेताओं के पास खेल के मैदान से संबंधित अनुभवों से अनभिज्ञता के कारण खिलाड़ियों के मुद्दों के प्रति उदासीनता उत्पन्न हो सकती है तथा वे दूसरों के प्रतिक्रिया पर निर्भर हो सकते हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव खिलाड़ियों के करियर पर पड़ सकता है।
  • व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता : कभी-कभी खिलाड़ियों एवं खेलों के हितों को वित्तीय व व्यक्तिगत हित की अपेक्षा कम महत्त्व दिया जाता है और व्यक्तिगत, व्यावसायिक एवं राजनीतिक लाभ के लिए खेलों का दुरुपयोग किया जा सकता है।

भारत में खेल पारितंत्र के अनुकूलन के लिए सुझाव

  • एथलीटों को निचले प्रबंधन स्तर पर नियुक्त करने और उन्हें रैंक के माध्यम से आगे बढ़ाने से उनमें विशेषज्ञता का निर्माण होगा तथा खेल प्रशासन में सुधार की संभावना 
  • ‘एक राज्य, एक खेल’ नीति को लागू करने से जन भागीदारी एवं रुचि को बढ़ावा मिलना
  • शीर्ष पदों के लिए स्वतंत्र भर्ती प्रक्रिया तथा महासंघों के संचालन व नीति-निर्माण प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने से खेल महासंघों के प्रशासन में सुधार 
  • खेलों के लिए कॉर्पोरेट फंडिंग को निर्देशित करना 
  • खेल-केंद्रित एन.जी.ओ. (NGOs) के निर्माण को प्रोत्साहित करना 

इसे भी जानिए!

‘जुगुओ तिझी’ (Juguo Tizhi) प्रणाली चीन की अत्यधिक केंद्रीकृत व राज्य-नियंत्रित खेल प्रणाली है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन को बढ़ावा देना है। यह सुव्यवस्थित रूप से वित्त पोषित खेल स्कूलों एवं प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से युवा एथलीटों की पहचान करने व उन्हें विकसित करने का कार्य करती है। यह प्रणाली वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक में प्रभावी साबित हुई है।

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