(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
भारत की परमाणु ऊर्जा नीति में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में मुंबई स्थित टेमा इंडिया (TEMA India) ने ‘भारी जल’ के उन्नयन के लिए उपकरणों के परीक्षण के उद्देश्य से देश की पहली निजी सुविधा शुरू की है।
भारी जल के बारे में
- परिभाषा
- भारी जल (D2O) जल का एक विशेष रूप है जिसमें सामान्य हाइड्रोजन की जगह ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन का भारी समस्थानिक) होता है।
- यह सामान्य जल (H2O) से भारी होता है और परमाणु रिएक्टरों में विशेष उपयोग के लिए आवश्यक है।
- गुण
- भारी जल की शुद्धता 99.9% होनी चाहिए ताकि यह परमाणु संयंत्रों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सके।
- समय के साथ यह सामान्य जल (H2O) के साथ दूषित हो जाता है जिसके कारण इसे उन्नयन (अपग्रेड) की आवश्यकता होती है।
- उत्पादन
- भारत में भारी जल का उत्पादन भारी जल बोर्ड (HWB) द्वारा किया जाता है जो परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तहत कार्य करता है।
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यह प्रक्रिया जटिल एवं तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है।
भारी जल के उपयोग
- परमाणु रिएक्टरों में
- मंदक (मॉडरेटर) : भारी जल तेजी से चलने वाले न्यूट्रॉन को मंद करता है जो परमाणु विखंडन प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- शीतलक (कूलेंट) : यह रिएक्टर में उत्पन्न ऊष्मा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- भारत के दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर्स (PHWRs) में इसका उपयोग अनिवार्य है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान : न्यूट्रॉन स्कैटरिंग और अन्य वैज्ञानिक प्रयोगों में भारी जल का उपयोग होता है।
- औद्योगिक उपयोग : कुछ रासायनिक एवं औषधीय प्रक्रियाओं में भारी जल का उपयोग किया जाता है।
भारत में पहली निजी परीक्षण सुविधा
- स्थान एवं संचालक
- टेमा इंडिया ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के अछाड में 25 जुलाई, 2025 को पहली निजी भारी जल परीक्षण सुविधा का उद्घाटन किया।
- यह सुविधा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के खरीद आदेश के तहत बनाई गई है।
- कार्यक्षमता
- यह सुविधा भारी जल के उन्नयन के लिए आवश्यक उपकरण (जैसे- डिस्टिलेशन कॉलम) का निर्माण, एकीकरण एवं परीक्षण करेगी।
- पहले बैच के डिस्टिलेशन कॉलम खंड राजस्थान के रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (RAPP-8) के लिए भेजे गए हैं जो दिसंबर 2025 तक क्रिटिकल होने वाला है।
- दक्षता में सुधार
- पहले, डिस्टिलेशन कॉलम का निर्माण और परीक्षण BARC द्वारा किया जाता था, जिसमें 7-8 वर्ष लगते थे।
- टेमा इंडिया इस प्रक्रिया को 1-2 वर्ष कम करने में सक्षम होगी, जिससे परमाणु संयंत्रों का संचालन तेज होगा।
- भविष्य की योजनाएँ
- टेमा इंडिया हरियाणा के गोरखपुर और कर्नाटक के कैगा में बनने वाले नए रिएक्टरों के लिए भी उपकरण निर्माण एवं परीक्षण करेगी।
महत्व
- परमाणु ऊर्जा में वृद्धि : यह सुविधा भारत के वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। वर्तमान में भारत में 24 परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी कुल स्थापित क्षमता 8,780 मेगावाट है। वर्ष 2032 तक इसे 22.4 गीगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी : परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी से तकनीकी नवाचार एवं दक्षता में वृद्धि होगी। यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा।
- समय एवं लागत की बचत : टेमा इंडिया की सुविधा से उपकरण निर्माण व परीक्षण की प्रक्रिया तेज होगी, जिससे परमाणु संयंत्रों के निर्माण समय एवं लागत में कमी आएगी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा एवं ऊर्जा सुरक्षा : भारी जल की उपलब्धता और इसकी शुद्धता परमाणु रिएक्टर्स के सुरक्षित व कुशल संचालन के लिए महत्वपूर्ण है जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।
- 20,000 करोड़ का परमाणु ऊर्जा मिशन : सरकार ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) विकसित करने के लिए 20,000 करोड़ रुपए का परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू किया है, जिसमें निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
भारत में संबंधित विनियमन
- परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB)
- AERB परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और संबंधित सुविधाओं की सुरक्षा व विनियमन के लिए जिम्मेदार है।
- यह सुनिश्चित करता है कि भारी जल के उत्पादन, उपयोग एवं उन्नयन की प्रक्रियाएँ सख्त सुरक्षा मानकों का पालन करें।
- परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962
- यह अधिनियम भारत में परमाणु ऊर्जा के उपयोग एवं प्रबंधन को नियंत्रित करता है।
- भारी जल व परमाणु सामग्री के उत्पादन, भंडारण एवं परिवहन के लिए सख्त दिशानिर्देश निर्धारित करता है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण
- BARC से टेमा इंडिया को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सख्त गोपनीयता एवं सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत किया गया है।
- यह सुनिश्चित किया जाता है कि संवेदनशील तकनीक का दुरुपयोग न हो।
- पर्यावरण और सुरक्षा मानक
- भारी जल सुविधाओं को पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और सुरक्षा ऑडिट से गुजरना पड़ता है।
- रेडियोधर्मी सामग्री के प्रबंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है।
- निजी क्षेत्र की भूमिका
- निजी कंपनियों को परमाणु क्षेत्र में शामिल करने के लिए सरकार ने विशेष लाइसेंसिंग और अनुपालन प्रक्रियाएँ स्थापित की हैं।
- टेमा इंडिया जैसे संगठनों को NPCIL एवं DAE के साथ मिलकर कार्य करने के लिए अनुमोदन प्राप्त करना पड़ता है।
निष्कर्ष
भारत में टेमा इंडिया द्वारा शुरू की गई पहली निजी भारी जल परीक्षण सुविधा परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल परमाणु रिएक्टर्स के लिए आवश्यक भारी जल के उन्नयन को तेज करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।