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नेचुरोपैथी: प्रकृति से स्वास्थ्य की ओर

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)

चर्चा में क्यों

18 नवंबर 2025 को पुणे के निसर्ग ग्राम में 8वां नेचुरोपैथी दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में प्राकृतिक जीवनशैली, गांधीवादी मूल्यों और प्रकृति के अनुरूप स्वास्थ्य पर विशेष बल दिया गया।

क्या है नेचुरोपैथी (Naturopathy)

  • नेचुरोपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर की स्व-उपचार क्षमता (self-healing ability) पर आधारित है।
  • यह दवाओं और रसायनों पर निर्भर न होकर प्राकृतिक जीवनशैली, संतुलित भोजन, योग, सूर्य, वायु, पानी, मिट्टी आदि प्राकृतिक तत्वों से उपचार पर जोर देती है।
  • महात्मा गांधी ने इसे “स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का मार्ग” बताया था।

मुख्य विशेषताएँ

  • प्राकृतिक उपचार: जल-चिकित्सा, मिट्टी-चिकित्सा, सूर्य-चिकित्सा, उपवास, मालिश आदि।
  • जीवनशैली आधारित चिकित्सा: संतुलित आहार, सकारात्मक सोच, नियमित व्यायाम, समय पर नींद।
  • व्यक्ति-केंद्रित प्रणाली: रोग नहीं, बल्कि व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान।
  • दुष्प्रभाव रहित: रसायन, दवाओं और शारीरिक हस्तक्षेप का न्यूनतम उपयोग।
  • शरीर-मन-आत्मा का संतुलन: मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी शारीरिक के समान महत्त्व।

प्रमुख लाभ

  • लाइफस्टाइल रोगों में प्रभावी : मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव आदि।
  • इम्यूनिटी वृद्धि : शरीर की प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है।
  • किफायती और सुरक्षित : आम नागरिकों के लिए सुलभ और कम खर्च वाला उपचार।
  • समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण : शरीर, मन और आहार का संतुलन बनाता है।
  • दीर्घकालिक समाधान : केवल लक्षण नहीं, कारण को दूर करने पर आधारित।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी (NIN)

  • स्थान : पुणे, महाराष्ट्र; निसर्ग ग्राम परिसर।
  • स्थापना : 22 दिसंबर 1986 को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत स्थापित।
  • नोडल मंत्रालय : स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय के अंतर्गत प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान।
  • गांधीजी से संबंध : यह स्थान महात्मा गांधी की कर्मभूमि माना जाता है, जहां उन्होंने नेचुरोपैथी का गहन अभ्यास किया।
  • कार्य और भूमिका:
    • नेचुरोपैथी शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण प्रदान करन।
    • प्राकृतिक आहार, योग, जीवनशैली प्रबंधन और रोग-निवारण पर कार्यक्रम आयोजित करना।
    • पुस्तकों, शोधपत्रों और जागरूकता सामग्री का प्रकाशन।
    • राष्ट्रीय स्तर पर हेल्थ फेस्टिवल, प्राकृतिक भोजन महोत्सव और प्रतियोगिताओं का आयोजन।
    • गांधीवादी स्वास्थ्य सिद्धांतों और आत्मनिर्भर स्वास्थ्य मॉडल को बढ़ावा देना।
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