(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, अंतरिक्ष) |
संदर्भ
हाल ही में, इसरो ने कहा कि भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिकों को यह समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि मई 2024 में पृथ्वी से टकराने वाला दो दशकों से अधिक समय का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान इतना असामान्य व्यवहार क्यों कर रहा था।
सौर तूफान के बारे में
- सौर तूफान (Solar Srom) सूर्य द्वारा सौर मंडल में कणों के विस्फोट, ऊर्जा, चुंबकीय क्षेत्रों एवं पदार्थों का अचानक एक विस्फोट है।
- सूर्य चुंबकीय क्षेत्रों के एक जटिल जाल का निर्माण करता है। सूर्य के घूर्णन के कारण ये चुंबकीय क्षेत्र विकृत हो जाते हैं क्योंकि विषुवत रेखा इसके ध्रुवों की तुलना में अधिक तेजी से घूमता है।
- सौर तूफान प्राय: तब शुरू होते हैं जब सूर्य पर मौजूद ये विकृत हुए चुंबकीय क्षेत्र इतने अधिक विकृत व विस्तृत हो जाते हैं कि वे वियोजित होते हैं और फिर से संयोजित होते हैं (इस प्रक्रिया को चुंबकीय पुनर्संयोजन कहा जाता है), जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
- इन शक्तिशाली विस्फोटों से निम्नलिखित में से कोई भी या सभी उत्पन्न हो सकते हैं:
- ‘सौर ज्वाला’ के रूप में तीव्र चमकदार प्रकाश (दीप्ति)
- उच्च गति से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित ‘विकिरण तूफान’ या ‘सौर कणों का एक समूह’
- ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ के रूप में सूर्य से निकलने वाले सौर पदार्थ का एक विशाल बादल
सौर तूफान का प्रभाव
- जब सौर तूफान पृथ्वी की ओर निर्देशित होता है तो यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में एक बड़ा व्यवधान पैदा कर सकता है जिसे ‘भू-चुंबकीय तूफान’ (Geomagnetic Storm) कहा जाता है। यह रेडियो ब्लैकआउट, विद्युत कटौती एव अरोरा जैसे प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
- हालाँकि, ये तूफान पृथ्वी पर किसी को भी प्रत्यक्ष रूप से नुकसान नहीं पहुँचाते हैं क्योंकि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल इन तूफानों के सबसे बुरे प्रभावों से बचाते हैं।
सौर ज्वाला (Solar Flares) के बारे में
- ‘सौर ज्वाला’ सूर्य पर विकिरण या प्रकाश का एक तीव्र विस्फोट है।
- ये चमक (दीप्ति) विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सभी हिस्सों को कवर करती हैं जिनमें एक्स-रे, गामा किरणें, रेडियो तरंगें, पराबैंगनी एवं दृश्य प्रकाश शामिल हैं।
- सौर ज्वालाएँ सौर मंडल में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं और सबसे विशाल सौर ज्वालाओं में एक अरब हाइड्रोजन बमों के बराबर ऊर्जा हो सकती है।
विकिरण तूफान (Radiation Storms) के बारे में
- सौर विस्फोट आवेशित कणों (इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन) को अविश्वसनीय रूप से उच्च गति से अंतरिक्ष में त्वरित कर सकते हैं जिससे विकिरण तूफान शुरू हो सकता है।
- सबसे तेज गति वाले कण इतनी तेजी से यात्रा करते हैं कि वे सूर्य से पृथ्वी तक लगभग 93 मिलियन मील की दूरी को लगभग 30 मिनट या उससे कम समय में तय कर सकते हैं।
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के बारे में
- सी.एम.ई. सूर्य से निकलने वाली विद्युत आवेशित गैस का एक विशाल बादल होता है जिसे ‘प्लाज्मा’ कहा जाता है।
- एक एकल सी.एम.ई. एक ही बार में अरबों टन पदार्थ को सौर मंडल में विस्फोटित कर सकता है।
- सी.एम.ई. सूर्य के बाह्य वायुमंडल में घटित होते हैं जिसे ‘कोरोना (Corona)’ कहा जाता है और प्राय: ये सूर्य से प्रस्फोटित विशाल बुलबुलों की तरह दिखते हैं।
आदित्य-L1
- यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है।
- इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया गया था।
- अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में स्थापित किया गया है जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है।
- L1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में स्थापित उपग्रह का प्रमुख लाभ यह है कि वह बिना किसी अवरोध/ग्रहण के लगातार सूर्य का अवलोकन कर सकता है।
- इससे सौर गतिविधियों का निरंतर अवलोकन करने का अधिक लाभ मिलता है।
- यह अंतरिक्ष यान सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर एवं सबसे बाहरी परतों का अवलोकन करने के लिए विद्युत चुम्बकीय व कण डिटेक्टर्स का उपयोग करते हुए सात पेलोड ले जा रहा है।
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