भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में पूर्वोत्तर के वन क्षेत्रों में जंपिंग स्पाइडर्स की दो नई प्रजातियों ‘एसेमोनिया डेंटिस’ (Asemonea dentis) और ‘कोलिटस नोंगवार’ (Colyttus nongwar) की पहचान की है।
एसेमोनिया डेंटिस और कोलिटस नोंगवार के बारे में
- मेघालय में जंपिंग स्पाइडर्स की दो नई प्रजातियों की खोज की गई है। ये दोनों प्रजातियाँ साल्टिसिडे कुल (Salticidae family) से संबंधित हैं जो ‘जंपिंग स्पाइडर्स’ का वह समूह है जो अपनी तेज दृष्टि, तीव्र प्रतिक्रिया व शिकार करने की सटीकता के लिए जाना जाता है।
- परंपरागत जाले बुनने वाली मकड़ियों के विपरीत ये मकड़ियां अपने शिकार का चुपके से पीछा करती हैं और फिर पलक झपकते ही छलांग लगा देती हैं।
एसेमोनिया डेंटिस
- एसेमोनिया वंश के अंतर्गत पहचानी गई यह केवल तीसरी भारतीय प्रजाति है जो देश में अभी भी विरल रूप से प्रलेखित (Documented) समूह है।
- इस प्रजाति का नाम ‘डेंटिस’ इसलिए रखा गया है क्योंकि नर की जांघ की हड्डी पर एक विशिष्ट दांत जैसी संरचना पाई जाती है।
- नर मकड़ियों का शरीर हरे-भूरे रंग का होता है जिसके पेट पर हल्के पीले रंग का वी-आकार का पैटर्न होता है।
- इसके विपरीत मादा मकड़ियाँ क्रीमी सफेद रंग की होती हैं जिन पर हल्के काले निशान होते हैं।
कोलिटस नोंगवार
- यह कम ज्ञात ओरिएंटल वंश कोलिटस का दूसरा भारतीय सदस्य है। इसका नाम नोंगवार से लिया गया है जो खासी पहाड़ियों का वह गांव है जहाँ इसका प्रलेखन किया गया था।
- नर एवं मादा मकड़ियों में अंडाकार, लाल-भूरे रंग का कवच और हल्के भूरे रंग का पेट होता है जिसके सामने एक क्रीमी पट्टी और पीछे की ओर पांच स्पष्ट शेवरॉन के आकार के धब्बे होते हैं।