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भारत में नमक की खपत एवं संबंधित मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 5 ग्राम (लगभग एक चम्मच) नमक की खपत उचित है किंतु भारतीय इससे दोगुना से अधिक नमक का सेवन कर रहे हैं। इससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग एवं स्ट्रोक जैसे स्वास्थ्य जोखिमों में वृद्धि हो रही है।

नमक : एक अवलोकन

  • क्या है : नमक (सोडियम क्लोराइड/NaCl) एक खनिज है जिसमें सोडियम एवं क्लोराइड आयन 1:1 के अनुपात में होते हैं। यह भोजन का स्वाद बढ़ाने एवं संरक्षण के लिए उपयोग किया जाता है।
  • आवश्यकता : नमक शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखता है और तंत्रिका तंत्र के कार्य में मदद करता है। न्यूनतम 500 मिग्रा. सोडियम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है किंतु अधिक मात्रा हानिकारक है।
  • स्रोत
    • प्राकृतिक स्रोत : समुद्री जल, खनिज नमक (रॉक सॉल्ट) और खारे झरने
    • खाद्य स्रोत : प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, जैसे- नमकीन, सॉस और डिब्बाबंद भोजन
  • प्रकार
    • टेबल नमक : सामान्य नमक है, जिसमें आयोडीन मिलाया जाता है (भारत में अनिवार्य)
    • समुद्री नमक : समुद्री जल से प्राप्त, जिसमें सूक्ष्म खनिज हो सकते हैं।
    • हिमालयन पिंक सॉल्ट : खनिजों से युक्त, सजावटी एवं खाद्य उपयोग के लिए।
    • काला नमक : भारतीय व्यंजनों में उपयोग, जिसमें सल्फर यौगिक होते हैं।
    • कम सोडियम वाला नमक : सोडियम का हिस्सा पोटैशियम या अन्य यौगिकों से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है।

  • उपयोग
    • खाद्य एवं स्वाद : खाना पकाने और स्वाद बढ़ाने के लिए
    • संरक्षण : मांस, मछली, अचार एवं पापड़ जैसे खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए
    • औद्योगिक उपयोग : रासायनिक उत्पादन, जैसे- सोडियम बाइकार्बोनेट एवं सोडियम नाइट्राइट
    • स्वास्थ्य : आयोडीन युक्त नमक गलगंड (गॉयटर) जैसी बीमारियों की रोकथाम करता है।
  • अन्य सोडियम यौगिक
    • सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) : बेकरी उत्पादों में
    • मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) : स्वाद बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में
    • सोडियम नाइट्राइट : मांस संरक्षण में
    • सोडियम बेंजोएट : शीतल पेय, अचार और जैम में शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए

मानव शरीर पर प्रभाव

  • सकारात्मक प्रभाव
    • सोडियम शरीर में द्रव संतुलन और तंत्रिका संचरण के लिए आवश्यक है।
    • आयोडीन युक्त नमक थायराइड कार्य और गलगंड की रोकथाम में मदद करता है।
  • नकारात्मक प्रभाव
    • उच्च रक्तचाप : अधिक नमक से पानी का अवशोषण बढ़ता है, जिससे हृदय पर दबाव पड़ता है।
    • हृदय रोग : अधिक सोडियम हृदयाघात एवं स्ट्रोक का जोखिम बढ़ाता है।
    • गुर्दे की समस्याएँ : अतिरिक्त सोडियम गुर्दों पर दबाव डालता है जिससे किडनी रोग हो सकते हैं।
    • अस्थि स्वास्थ्य : अत्यधिक नमक कैल्शियम के नुकसान को बढ़ा सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है।
  • ICMR-NIN दिशानिर्देश (2024)
    • उच्च नमक की खपत रक्त वाहिकाओं और रक्तचाप पर हानिकारक प्रभाव डालती है।
    • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (जैसे- नमकीन, सॉस एवं डिब्बाबंद भोजन) नमक की अधिकता के मुख्य स्रोत हैं।

नमक का इतिहास

  • प्राचीन काल
    • भारत में नमक उत्पादन का सबसे पुराना साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) से मिलता है।
    • 11,000 वर्ष पहले, जब मानव कृषि कार्य में संलग्न हुआ तो नमक को आहार में शामिल किया गया।
  • सांस्कृतिक महत्व
    • नमक को प्राचीन काल में एक मूल्यवान वस्तु माना जाता था और यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा था।
    • भारत में नमक का उत्पादन पहली सरकारी एकाधिकार (मोनोपॉली) प्रणालियों में से एक था।
  • नमक सत्याग्रह (1930)
    • महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश नमक कर का विरोध किया, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बना।
    • इसने नमक को भारत में सामाजिक एवं राजनीतिक एकता का प्रतीक बना दिया।
  • आधुनिक युग
    • वर्ष 1962 में राष्ट्रीय गॉयटर नियंत्रण कार्यक्रम के तहत नमक में आयोडीन मिलाना शुरू किया गया, जो आज भी अनिवार्य है।

भारत में नमक की खपत : एक विश्लेषण

  • खपत का स्तर
    • भारतीय औसतन 10-12 ग्राम नमक प्रतिदिन खाते हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 5 ग्राम के दैनिक सीमा से दोगुना से अधिक है।
    • ICMR-NIN के अनुसार, इस अधिक खपत से स्वास्थ्य जोखिमों में वृद्धि होती है।
  • बाजार का आकार
    • भारत का नमक बाजार वर्ष 2024 में 2.32 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
    • इसके वर्ष 2025-2034 के बीच 6.20% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ वर्ष 2034 तक 4.23 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय कारण
    • भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है जहाँ पसीने के माध्यम से सोडियम की क्षति होती है, जिसके लिए परंपरागत रूप से अधिक नमक का सेवन किया जाता है।
    • क्षेत्रीय व्यंजनों में नमक का उपयोग भिन्न होता है, जैसे- तटीय क्षेत्रों में मछली और अंतर्देशीय क्षेत्रों में पापड़ एवं अचार।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
    • नमकीन, सॉस, चिप्स, डिब्बाबंद भोजन एवं रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थ नमक की खपत के प्रमुख स्रोत हैं।
    • बेकरी उत्पादों, शीतल पेय एवं प्रोसेस्ड मांस में अन्य सोडियम यौगिक (जैसे- MSG, सोडियम बेंजोएट) शामिल हैं।

संबंधित चिंताएँ

  • स्वास्थ्य जोखिम
    • अधिक नमक की खपत से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक एवं गुर्दे की समस्याएँ होती हैं।
    • यह विशेष रूप से भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) के बढ़ते मामलों के लिए चिंता का विषय है।
  • कम सोडियम वाले नमक की चुनौतियाँ
    • कम सोडियम वाले नमक में सोडियम के हिस्से को पोटैशियम से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है, जो महँगा एवं कम उपलब्ध है।
    • वृद्धजनों में हाइपरकालेमिया (रक्त में अतिरिक्त पोटैशियम) का खतरा हो सकता है।
    • स्वाद में अंतर के कारण उपभोक्ताओं में स्वीकार्यता कम है।
  • जागरूकता की कमी
    • उपभोक्ताओं को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में छिपे सोडियम (जैसे- MSG, सोडियम बाइकार्बोनेट) के बारे में जानकारी नहीं है।
    • लोग कम सोडियम वाले नमक को अधिक मात्रा में उपयोग कर सकते हैं जिससे इसका लाभ कम हो जाता है।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत
    • शहरीकरण एवं बदलती जीवनशैली के कारण नमकीन, चिप्स एवं फास्ट फूड की मांग बढ़ रही है जो नमक की खपत को बढ़ाता है।
  • नीतिगत चुनौतियाँ
    • भारत में कम सोडियम वाले नमक के बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए विशिष्ट अध्ययन एवं नीतिगत ढांचे की कमी है।

आगे की राह

  • जागरूकता अभियान
    • FSSAI द्वारा ‘फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग’ को लागू किया जाए, जो उच्च नमक, चीनी एवं ट्रांस फैट की चेतावनी दे।
    • यू.के. एवं आयरलैंड की तरह ‘ट्रैफिक लाइट पैकेजिंग’ मॉडल अपनाया जाए, जिसमें लाल, पीला और हरा रंग उच्च, मध्यम व निम्न स्तर दर्शाएँ।
  • कम सोडियम विकल्प
    • कम सोडियम नमक के उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देना, जैसे- पोटैशियम-आधारित नमक
    • ICMR और PHFI जैसे संस्थानों द्वारा भारत-विशिष्ट अध्ययन करना, जैसे-चीन में SSaSS अध्ययन
  • खाद्य नीतियाँ
    • स्कूलों, अस्पतालों एवं सरकारी कैंटीन में कम नमक वाले भोजन को बढ़ावा देना
    • उच्च नमक वाले उत्पादों पर कर लगाकर उद्योगों को कम नमक वाले उत्पादों के लिए प्रोत्साहित करना
  • स्वाद संतुलन
    • खाना पकाने में नींबू, जड़ी-बूटियों (पुदीना, धनिया, तुलसी) और मसालों का उपयोग बढ़ाकर नमक की मात्रा कम करना
    • क्षेत्रीय व्यंजनों में छह रसों (मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय) का संतुलन बनाए रखना
  • पोषक तत्वों से भरपूर आहार
    • पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे- केला, नारियल पानी एवं हरी सब्जियों) को आहार में शामिल करना।
    • यह सोडियम के प्रभाव को संतुलित करता है और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • व्यवहार परिवर्तन
    • FSSAI के ‘ईट राइट मूवमेंट’ जैसे अभियानों को मजबूत करना
    • मिड-डे मील जैसे कार्यक्रमों में कम नमक वाले भोजन को शामिल करना
  • निगरानी एवं अनुसंधान
    • नमक की खपत और इसके स्वास्थ्य प्रभावों पर नियमित निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाना
    • कम सोडियम वाले नमक के दीर्घकालिक प्रभावों पर शोध को बढ़ावा देना

निष्कर्ष

नमक भारतीय संस्कृति, व्यंजनों एवं इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है किंतु इसकी अधिक खपत स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही है। ICMR-NIN और FSSAI जैसे संगठन नमक की खपत को कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं किंतु इसके लिए सामुदायिक जागरूकता, नीतिगत बदलाव एवं कम सोडियम विकल्पों की आवश्यकता है। ‘नमक स्वाद अनुसार’ से ‘नमक सेहत अनुसार’ की ओर बढ़ना न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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