(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश) |
संदर्भ
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने 27 जुलाई, 2025 को दिल्ली में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 87वें स्थापना दिवस पर घोषणा की कि किसी ऑपरेशन के दौरान गंभीर रूप से घायल होने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कर्मियों को सेवानिवृत्ति तक पूर्ण लाभ मिलेगा।
CAPF के बारे में
- क्या है : सी.ए.पी.एफ. भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत एक संघीय पुलिस संगठन है।
- स्थापना : इसका गठन विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र बलों के रूप में हुआ, जिनमें से सबसे पुराना सी.आर.पी.एफ. (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) है, जिसकी स्थापना वर्ष 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में हुई थी।
- नियंत्रण : ये सशस्त्र बल गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा सुरक्षा एवं आंतरिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
- कर्मचारी : सी.ए.पी.एफ. में लाखों जवान एवं अधिकारी (पुरुष व महिला दोनों) कार्यरत हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात हैं।
उद्देश्य
- राष्ट्रीय सुरक्षा : सीमा सुरक्षा, आतंकवाद एवं नक्सलवाद से निपटना और आंतरिक शांति बनाए रखना
- कानून एवं व्यवस्था : विभिन्न राज्यों में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और चुनाव जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर सुरक्षा प्रदान करना
- आपदा प्रबंधन : आपदाओं एवं संकटों में राहत व बचाव कार्यों में सहायता करना
- नक्सलवाद उन्मूलन : विशेष रूप से वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापना, जैसे- छत्तीसगढ़, झारखंड एवं बिहार।
विभिन्न शाखाएँ
- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
- यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है जो आंतरिक सुरक्षा तथा नक्सलवाद रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन) इसकी विशेष इकाई है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य करती है।
- सीमा सुरक्षा बल (BSF) : भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, विशेष रूप से पाकिस्तान एवं बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा करता है।
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) : भारत-चीन सीमा की सुरक्षा और उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती
- सशस्त्र सीमा बल (SSB) : नेपाल एवं भूटान सीमाओं की रक्षा तथा मानव तस्करी रोकने में सहायता करना
- असम राइफल्स : पूर्वोत्तर भारत में आंतरिक सुरक्षा एवं सीमा सुरक्षा के लिए तैनाती
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) : आतंकवाद रोधी और विशेष अभियानों के लिए प्रशिक्षित
सी.ए.पी.एफ. कर्मियों के लिए हाल की सुविधाएँ
- सेवा में बने रहने का प्रावधान
- ऑपरेशन के दौरान अंगों की क्षति या स्थायी अक्षमता झेलने वाले कर्मचारी सेवानिवृत्ति तक सेवा में बने रहेंगे।
- उन्हें वेतन, भत्ते एवं प्रोन्नति के सभी लाभ मिलेंगे।
- चिकित्सा सुविधाएँ
- अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए विश्व की सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएँ और प्रौद्योगिकी प्रदान की जाएगी।
- सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि अंगों की हानि को यथासंभव ठीक किया जाए।
- वित्तीय पैकेज
- घायल कर्मियों के लिए न्यूनतम वित्तीय पैकेज प्रदान किया जाएगा।
- यह पैकेज मौजूदा सरकारी योजनाओं या सी.ए.पी.एफ. के बजट से वित्तपोषित होगा।
- समिति का गठन
- सी.आर.पी.एफ. महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो इस योजना के ढांचे एवं कार्यान्वयन की रणनीति तय करेगी।
- महिला कर्मियों के लिए सुविधाएँ
- गृह सचिव ने विशेष रूप से महिला कर्मियों के लिए बेहतर सुविधाओं का आश्वासन दिया है, विशेषकर मणिपुर जैसे क्षेत्रों में।
- सी.आर.पी.एफ. महानिदेशक को जवानों, विशेषकर महिलाओं, के लिए आवश्यक सुविधाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
सुविधाओं का लाभ
- आर्थिक सुरक्षा : घायल कर्मियों को वेतन एवं प्रोन्नति के लाभ मिलने से उनकी आर्थिक स्थिरता बनी रहेगी। न्यूनतम वित्तीय पैकेज उनके तथा उनके परिवारों के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करेगा।
- मानसिक एवं शारीरिक कल्याण : उन्नत चिकित्सा सुविधाएँ (जैसे- अंग प्रत्यारोपण सर्जरी) घायल जवानों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेंगी। सेवा में बने रहने से उनका सम्मान एवं आत्मसम्मान बना रहेगा।
- महिला कर्मियों का सशक्तिकरण : बेहतर सुविधाएँ, विशेष रूप से महिला कर्मियों के लिए, उनकी कार्यक्षमता एवं मनोबल को बढ़ाएँगी।
- संगठनात्मक दक्षता : घायल कर्मियों को वैकल्पिक भूमिकाओं में समायोजित करने से संगठन को उनके अनुभव का लाभ मिलेगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान : ये सुविधाएँ जवानों को यह आश्वासन देंगी कि सरकार उनके साथ है, जिससे उनका समर्पण एवं कार्य उत्साह बढ़ेगा।
सी.ए.पी.एफ. के समक्ष चुनौतियाँ
- कठिन परिस्थितियाँ : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (जैसे- छत्तीसगढ़ एवं झारखंड) में तैनाती के दौरान जवानों को प्राकृतिक व मानव-निर्मित खतरों का सामना करना पड़ता है।
- मणिपुर जैसे क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था ड्यूटी के दौरान सुविधाएँ (जैसे- सड़क, बिजली एवं पानी की कमी) अपर्याप्त होती हैं।
- शारीरिक मानक : प्रोन्नति एवं सेवा के लिए शारीरिक मानकों का पालन करना घायल कर्मियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- मानसिक तनाव : लंबे समय तक कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी करने से मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ता है, विशेषकर महिला कर्मियों के लिए।
- उभरते खतरे : भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति के साथ सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ रही हैं जिनमें साइबर खतरों और उन्नत हथियारों का सामना शामिल है।
- विस्फोटक उपकरण : विगत दशकों में आई.ई.डी. विस्फोटों में कई कर्मियों के अंग क्षतिग्रस्त हो गए हैं जो एक निरंतर खतरा है।
आगे की राह
- आधुनिक तकनीक का उपयोग : गृह मंत्रालय ड्रोन, रिमोट हथियार एवं आई.ई.डी. डिटेक्शन तकनीकों जैसे उन्नत उपकरण प्रदान करेगा, जो जोखिम को कम करेगा।
- बुनियादी सुविधाओं में सुधार : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और मणिपुर जैसे क्षेत्रों में शिविरों में सड़क, बिजली व पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँगी।
- महिला कर्मियों के लिए विशेष ध्यान : महिला कर्मियों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाएगी, जैसे- बेहतर आवास और ड्यूटी के दौरान सुविधाएँ।
- नक्सलवाद का अंत : 149 अग्रिम परिचालन ठिकानों की स्थापना से नक्सलियों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। गृह मंत्रालय का लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करना है।
- कर्मचारी कल्याण : सेवानिवृत्त कर्मियों एवं शहीदों के परिवारों के लिए वेलफेयर एंड रिहैबिलिटेशन बोर्ड और मोबाइल ऐप जैसी पहलें उनकी शिकायतों व कल्याण को संबोधित करेंगी।