हाल ही में, बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसेना ने परमाणु पनडुब्बी आई.एन.एस. अरिघात से बैलिस्टिक मिसाइल K-4 का सफल परीक्षण किया।
K-4 मिसाइल के बारे में
- क्या है : यह एक परमाणु सक्षम मध्यम दूरी की ‘पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल’ (SLBM) है।
- नामकरण : पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सम्मान में।
- मारक क्षमता : 3,500 किलोमीटर से अधिक
- निर्माण : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा
- गति : मैक 5 या ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक तेज (100 किमी. प्रति मिनट)
- आकार : 1.5 मीटर व्यास, 10 मीटर लंबाई, वजन 20 टन
- वारहेड क्षमता : 2.5 टन तक के हथियार ले जाने में सक्षम
प्रमुख विशेषताएँ
- पूर्ण स्वदेशी : इसमें स्वदेशी प्रणालियों व उपकरणों का उपयोग किया गया है, जिनकी संकल्पना, डिजाइन, निर्माण एवं एकीकरण भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योग तथा नौसेना कर्मियों द्वारा किया गया है।
- नेविगेशन : यह हथियार प्रणाली अपने जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम से संचित त्रुटियों को संशोधित करने के लिए उपग्रह अपडेट से लैस है।
- गुप्त आक्रमण : यह पानी के अंदर स्थित गुप्त प्लेटफॉर्म से प्रक्षेपित किए जाने पर दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला करने में सक्षम है।
- उन्नत संस्करण : भारत इस मिसाइल का K-5 संस्करण विकसित कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक होगी।
महत्त्व
- यह सफल परीक्षण भारत की सामरिक प्रतिरोधक क्षमताओं को रेखांकित करता है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी सुरक्षा स्थिति मजबूत हुई है।
- इसने भारत को पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक रखने वाले 6 देशों के समूह में भी शामिल कर दिया है।
- यह क्षमता रखने वाले अन्य देश अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन हैं।
- रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पनडुब्बियों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता भूमि या वायु आधारित प्रणालियों की तुलना में अधिक टिकाऊपन सुनिश्चित करती है और यह भारत की ‘पहले प्रयोग नहीं’ वाली परमाणु नीति के अनुरूप है, जो आक्रामक इरादे के बिना विश्वसनीय निवारण पर केंद्रित है।