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सिक्किम में अचानक बाढ़ आई

प्रारम्भिक परीक्षा – बाढ़, लोनक / ल्होनक झील, GLOF, चुंगथांग बांध
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 और 3

संदर्भ

  • सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसएसडीएमए) के अनुसार, सिक्किम में लगातार बारिश के कारण राज्य के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर झील साउथ लोनक / ल्होनक झील के फटने के पश्चात् तीस्ता नदी में जल स्तर बढ़ गया, जिससे 4 अक्टूबर 2023   को मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची के साथ-साथ लगभग चार जिलों में बाढ़ आ गई।

प्रमुख बिंदु

  • कई अध्ययनों ने ग्लेशियर के पिघलने के कारण दक्षिण लोनाक झील के तेजी से बढ़ते आकार पर प्रकाश डाला है और इसे हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के लिए अतिसंवेदनशील के रूप में चिह्नित किया है।
  • कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, सिक्किम के तीस्ता नदी बेसिन में अचानक बाढ़ का कारण 3 अक्टूबर 2023 को नेपाल और आसपास के क्षेत्र में आया भूकंप है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अचानक आई बाढ़ जीएलओएफ के कारण आई न कि बादल फटने से।

हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) क्या है?

  • दक्षिण लोनक झील की तरह हिमनद झीलें, पानी के बड़े भंडार हैं जो पिघलते ग्लेशियर के सामने, ऊपर या नीचे स्थित होते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वे और अधिक खतरनाक होते जाते हैं क्योंकि हिमनद झीलें ज्यादातर अस्थिर बर्फ या ढीली चट्टान और मलबे से बनी तलछट से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यदि उनके चारों ओर की सीमा टूट जाती है, तो भारी मात्रा में पानी पहाड़ों की ओर से नीचे की ओर बहता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है। इसे हिमानी झील विस्फोट बाढ़ या GLOF कहा जाता है।

GLOF के कारण

  • GLOF कई कारणों से शुरू हो सकता है, जिनमें भूकंप, अत्यधिक भारी बारिश और बर्फीले हिमस्खलन  आदि शामिल हैं ।

ग्लेशियर झीलों की विशेषता

  • ये झीलें अक्सर खड़ी, पहाड़ी क्षेत्रों में भी पाई जाती हैं, जिस कारण से भूस्खलन या बर्फ का हिमस्खलन कभी-कभी सीधे झीलों में गिर जाता है और पानी को विस्थापित कर देता है, जिससे पहाड़ी के नीचे की ओर बाढ़ आ जाती है।
  • 2013 में, ऐसी ही एक घटना उत्तराखंड के केदारनाथ में हुई थी जब इस क्षेत्र में चोराबाड़ी ताल हिमनद झील के कारण GLOF के साथ अचानक बाढ़ आई थी।

दक्षिण ल्होनक झील GLOF के प्रति कैसे संवेदनशील हो गई?

  • बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ, सिक्किम हिमालय में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे कई ग्लेशियर झीलें बन रही हैं और क्षेत्र में पहले से मौजूद झीलों का विस्तार हो रहा है। मोंगाबे की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, सिक्किम हिमालय में वर्तमान में 300 से अधिक हिमनद झीलें हैं। इनमें से 10 की पहचान बाढ़ के प्रति संवेदनशील के रूप में की गई है उनमें से एक साउथ ल्होनक झील है ।
  • ग्लेशियर झील वर्षों से सरकारी अधिकारियों की निगरानी में है। सिक्किम वन और पर्यावरण विभाग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में पाया गया कि पिछले पांच दशकों में झील का क्षेत्र काफी बढ़ गया है।
  • ल्होनक 1989 में अपने शुरुआती आकार से लगभग 1.5 गुना और दक्षिणी ल्होनक लगभग 2.5 गुना बढ़ गया है।

सिक्किम सरकार का दक्षिण लोनक झील के विस्तार से निपटने हेतु प्रयास :

  • वर्ष 2016 में, सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और सिक्किम के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के सदस्यों ने, अन्य लोगों के साथ, दक्षिण ल्होनक झील से झील का पानी निकालने का निर्णय लिया।
  • झील के फटने से चुंगथांग बांध भी टूट गया, जो राज्य की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। यह बांध 1,200 मेगावाट की क्षमता वाले तीस्ता चरण III जलविद्युत परियोजना का हिस्सा है ।

बाढ़

  • बाढ़ जब नदी का पानी अपने प्रवाह क्षेत्र से बाहर निकलकर आस-पास के क्षेत्रों में फैल जाती है तो उस स्थिति को ‘बाढ़’ कहते हैं।
  • सामान्यत: वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा के कारण नदियों में बाढ़ की स्थिति देखी जाती है। इसके अलावा बाँधों के टूटने से, नदी के मार्ग परिवर्तित करने तथा ग्लेशियर फटने आदि स्थितियों के कारण भी बाढ़ की स्थिति देखी जाती है।

बाढ़ के प्रभाव

  • बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। यह अपने प्रभाव क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित कर देती है। 
  • बाढ़ के निम्नलिखित प्रभाव होते हैं- 
  • बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में चारों ओर पानी इमारतों, घरों, दफ्तरों, स्कूलों में भर जाता है, जिससे लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है।
  • बाढ़ में डूबने से बड़ी संख्या में मानव जीवन एवं पशुओं की क्षति होती है। 
  • बाढ़ का सर्वाधिक प्रभाव बुजुर्गों तथा अपाहिज लोगों पर पड़ता है, जो अपना बचाव करने में सक्षम नहीं होते हैं। 
  • बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, पेयजल आदि दिन-प्रतिदिन की आवश्यक वस्तुओं की कमी हो जाती है। 
  • बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा भी दुष्प्रभावित होती है। 
    • अधिक समय तक पानी भरे रहने से सम्बन्धित क्षेत्रों में महामारी फैलने का डर बना रहता है। इसके अलावा मच्छर आदि का भी प्रकोप बढ़ जाता है।

    बाढ़ आपदा निवारण के उपाय

    • बाढ़ आपदा निवारण के उपाय निम्नलिखित हैं-
    • बाढ़ सम्भावित क्षेत्रों में नदी जलमार्गों को सीधा रखने पर ध्यान देना चाहिए, नदियों के मार्ग बदलने से बाढ़ आने की आशंका अधिक रहती है। 
    • स्थानीय स्तर पर कृत्रिम जलाशय बनाए जाने चाहिए, जिससे बाढ़ की स्थिति में जल को कृत्रिम जलाशय की ओर मोड़ा जा सके। 
    • नदियों को आपस में जोड़ने की व्यवस्था की जानी चाहिए, इससे वर्षा के अधिक जल को कम जल क्षेत्र की ओर मोड़ा जा सकता है। 
    • तटबन्धों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। 
    • पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ आपदा को रोकने के लिए भूस्खलन पर नियन्त्रण आवश्यक है। अतः पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण हेतु विस्फोटों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे भूस्खलन की आशंकाएँ बढ़ती हैं। 
    • नगर नियोजन के दौरान जल निकास व्यवस्था पर पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। 
    • किसी भी प्रकार से जलधाराओं का प्राकृतिक मार्ग अवरुद्ध नहीं होना चाहिए। 
    • नदियों, तालाबों एवं झीलों के निकट अतिक्रमण के द्वारा बसाव कार्यों पर पूर्ण रोक लगाई जानी चाहिए जिससे बाढ़ द्वारा होने वाली क्षति न्यूनतम हो। 
    • नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों पर सघन वृक्षारोपण का अभियान चलाया जाना चाहिए तथा वन विनाश को रोकने के लिए हर सम्भव उपाय किए जाने चाहिए। 
      • बाढ़ के पश्चात् चारों ओर फैले हुए पानी पर कीटाणुनाशक दवाएँ छिड़कनी चाहिए, जिससे संक्रामक रोगों के प्रसार को रोका जा सके।

      निष्कर्ष

      • उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में बाढ़ के लिए प्राकृतिक कारणों की अपेक्षा मानवीय कारण अधिक प्रभावी होते जा रहे हैं। अतः आवश्यकता है कि हम पर्यावरण व्यवस्था को बनाए रखने पर विशेष ध्यान केन्द्रित करें। इससे बाढ़ प्रकोप की घटनाओं में अवश्य ही कमी आएगी।

      प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से लोनक / ल्होनक झील  किस राज्य में स्थित है?

      (a) मणिपुर

      (b) मेघालय

      (c) सिक्किम

      (d) असम

      उत्तर : (c)

      मुख्य परीक्षा प्रश्न :भारत में बाढ़ एक प्रमुख आपदा है इसके कारण एवं प्रभाव को कम करने के उपाय सुझाएँ ?
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