New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Raksha Bandhan Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

सतलज-यमुना लिंक नहर विवाद

प्रारम्भिक परीक्षा – सतलज-यमुना लिंक नहर विवाद
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 और 2

संदर्भ

  • सतलज-यमुना लिंक (SYL) नहर में पंजाब राज्य में निर्माण कार्य पूरा नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्माण करने के आदेश दिये हैं क्योंकि हरियाणा पहले ही निर्माण कर चुका है ।

प्रमुख बिंदु

सतलज-यमुना लिंक (SYL) नहर के बारे में :

  • सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर पंजाब में लगभग 121 किमी और हरियाणा में 90 किमी तक फैली हुई है, जिसमें हरियाणा के अधिशेष रावी-ब्यास जल के औसत वार्षिक हिस्से के 3.5 एमएएफ में से 3.45 एमएएफ (1981 के समझौते के अनुसार) पहुंचाने की परिकल्पना की गई है।

सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर से लाभ

  • इससे 4.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। 
  • इससे हरियाणा और पंजाब को भी 1.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लाभ मिलेगा और बिजली के संदर्भ में, दो बिजली घरों में कुल 50 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जायेगा ।

सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर विवाद का कारण 

  • नहर निर्माण का कार्य हरियाणा में पूरा हो गया है। जबकि नहर निर्माण का कार्य पंजाब में मार्च 1991 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। 
  • जुलाई, 1990 तक जब काम का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो चुका था, 23 जुलाई को परियोजना के मुख्य अभियंता और एक अधीक्षण अभियंता की हत्या के बाद काम रुक गया।
  • 1990 के पश्चात् चूंकि काम फिर से शुरू नहीं हुआ, इसलिए हरियाणा सरकार ने मूल मुकदमा संख्या 6/ 1996 दायर की। 
  • हरियाणा सरकार ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एसवाईएल नहर का काम तुरंत शुरू करने और पूरा करने की प्रार्थना के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 15.01.02 को अपना फैसला सुनाते हुए पंजाब राज्य को एक वर्ष के भीतर नहर को पूरा करने का निर्देश दिया, अन्यथा भारत सरकार को अपनी एजेंसियों के माध्यम से नहर को यथासंभव शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया।
  • लेकिन अभी तक नहर निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ है जिससे यह विवाद का विषय बना हुआ है।  
  • 1981 में रावी और ब्यास के पानी को फिर से आवंटित करने के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच एक समझौता हुआ।

आगे की राह

  • एसवाईएल नहर को लेकर प्रतिस्पर्धी राजनीति के पीछे अविश्वास और अदूरदर्शिता नजर आती है।
  • दोनों राज्यों में गंभीर जल समस्याएँ हैं इसलिए अनिश्चित और जल-गहन फसल पैटर्न से दूर जाने की आवश्यकता है।
  • पंजाब सरकार एकतरफा समझौते को रद्द नहीं कर सकता है और इसलिए उसे हरियाणा के साथ सहयोग करना चाहिए क्योंकि यह पंजाब का हिस्सा था।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से कौन सा राज्य रावी और ब्यास नहर जल विवाद से संबंधित नहीं है?

(a) जम्मू और कश्मीर

(b) पंजाब

(c) हरियाणा

(d) राजस्थान

उत्तर: (a)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारत में लिंक नदी या नहर जल विवाद एक गंभीर समस्या है? इसके समाधान के उपाय सुझाएँ?

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR