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भारतीय जनसंख्या की आनुवंशिक उत्पत्ति से संबंधित नया अध्ययन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल व समाज, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे)

संदर्भ 

हाल ही में, सेल (Cell) जर्नल में आधुनिक भारतीयों की उत्पत्ति से संबंधित नया अध्ययन प्रकाशित किया गया है जिसमें भारतीयों की उत्पत्ति प्रमुख तीन प्राचीन समूहों नवपाषाण युग के ईरानी किसान, यूरेशियाई स्टेपी पशुपालक और दक्षिण एशियाई शिकारी-संग्रहकर्ता से हुई है। यह अध्ययन भारतीय आबादी की आनुवंशिक विविधता और इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण है।

अध्ययन के बारे में

  • प्रकाशन : यह भारत में आनुवंशिक विविधता का अब तक का सबसे व्यापक अध्ययन है।
  • शामिल समूह : इस अध्ययन में 18 राज्यों के 2,762 व्यक्तियों को शामिल किया गया, जो ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों, विभिन्न भाषा परिवारों (भारोपीय, द्रविड़ व तिब्बतो-बर्मन) और ऐतिहासिक रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों (अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग) से थे। 
  • डाटा स्रोत : डाटा लॉन्जिट्यूडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया डायग्नोस्टिक असेसमेंट ऑफ डिमेंशिया से लिया गया है, जिसमें 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के पूर्ण जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से विगत 50,000 वर्षों की भारत की विकासवादी इतिहास का पुनर्निर्माण किया गया।

अध्ययन से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष

  • प्रवास और आनुवंशिक मिश्रण : विश्लेषण से पता चला कि भारतीयों की आनुवंशिक विविधता लगभग 50,000 वर्ष पहले अफ्रीका से एक प्रमुख प्रवास से उत्पन्न हुई, जिसके बाद निएंडरथल और डेनिसोवन से जीन प्रवाह हुआ। 
    • इस जीन प्रवाह ने भारतीय आबादी के आनुवंशिक गठन में 1-2% योगदान दिया।
  • निएंडरथल और डेनिसोवन जीनोम : अध्ययन ने भारतीय व्यक्तियों से निएंडरथल जीनोम का लगभग 50% और डेनिसोवन जीनोम का 20% पुनर्निर्माण किया। 
    • शोधकर्ताओं ने बताया कि भारतीयों में निएंडरथल वंश यूरोपीय और अमेरिकी व्यक्तियों के समान अनुपात में है।
  • जटिल इतिहास : दक्षिण एशियाई आबादी का जटिल इतिहास, जिसमें पिछले 10,000 वर्षों में कई मिश्रण की घटनाएँ और कई समूहों में आनुवंशिक संकुचन शामिल हैं, भारतीयों को विभिन्न वंशों का मोज़ेक बनाता है।
  • सामुदायिक विवाह और होमोजाइगोसिटी : अध्ययन में पाया गया है कि भारत में अंतर्विवाह (एंडोगैमी) की ओर एक बड़ा जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ है। 
    • अध्ययन में शामिल लगभग 2,700 व्यक्तियों में प्रत्येक व्यक्ति का कम-से-कम एक निकट संबंधी पाया गया। 
    • भारतीयों में होमोजाइगोसिटी (एक ही जीन की दो समान प्रतियों का होना) का स्तर पूर्वी एशियाई और यूरोपीय लोगों की तुलना में दो से नौ गुना अधिक है।
  • होमोजाइगोसिटी के प्रभाव : उच्च होमोजाइगोसिटी हानिकारक आनुवंशिक वेरिएंट की प्रबलता को बढ़ा सकती है जिससे जन्मजात और रक्त विकार, चयापचय रोग तथा संज्ञानात्मक ह्रास व डिमेंशिया जैसे जटिल रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।

महत्त्व

यह अध्ययन भारत की आनुवंशिक विविधता को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल प्राचीन प्रवास की कहानी बताता है बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों पर भी प्रकाश डालता है। 

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