चर्चा में क्यों ?
केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने "भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन पदचिह्न आकलन: विधियाँ और केस स्टडीज़" नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन किया।

पुस्तक के बारे में
- यह पुस्तक वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय और आईआईटी दिल्ली के वस्त्र एवं रेशा अभियांत्रिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई है।
उद्देश्य और महत्व
- हथकरघा उद्योग के कार्बन पदचिह्न को मापने और कम करने के लिए स्पष्ट व व्यावहारिक तरीके प्रदान करना।
- पर्यावरण-अनुकूल हथकरघा उत्पादन और सतत विकास के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करना।
- हथकरघा क्षेत्र को वैश्विक जलवायु रिपोर्टिंग मानकों के अनुरूप बनाना,
- लेकिन भारत के स्थानीय परिचालन संदर्भ को ध्यान में रखते हुए।
भारतीय हथकरघा क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक महत्व
- ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण आजीविका का अभिन्न हिस्सा - 35 लाख से अधिक लोग इससे जुड़े।
- महिलाओं की भागीदारी अधिक - 25 लाख से अधिक महिला बुनकर और संबद्ध श्रमिक।
- महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का एक प्रमुख स्रोत।
- भारतीय सांस्कृतिक विरासत का जीवंत पहलू - जैसे बनारसी साड़ी, इकत साड़ी, सूती चादर, फर्श की चटाई आदि।
सहयोगी संस्थाएँ
- आईआईटी दिल्ली - वस्त्र एवं रेशा अभियांत्रिकी विभाग
- वस्त्र मंत्रालय - हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय
- भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान
- बुनकर सेवा केंद्र
- ग्रीनस्टिच प्राइवेट लिमिटेड
- जमीनी स्तर के बुनकर समूह
- प्रमुख सरकारी एजेंसियाँ
कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint)
- किसी व्यक्ति, संस्था, उत्पाद या गतिविधि द्वारा सीधे या परोक्ष रूप से वातावरण में उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की कुल मात्रा को कार्बन पदचिह्न कहते हैं।
- इसे आमतौर पर कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (CO₂-eq) में मापा जाता है।
मुख्य स्रोत:
- ऊर्जा उत्पादन व उपयोग
- परिवहन
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ
- कृषि व पशुपालन
- वस्त्र एवं फैशन उद्योग
प्रश्न. “भारतीय हथकरघा क्षेत्र में कार्बन पदचिह्न आकलन: विधियाँ और केस स्टडीज़” पुस्तक का विमोचन किसने किया?
(a) पीयूष गोयल
(b) गिरिराज सिंह
(c) नितिन गडकरी
(d) र्मेंद्र प्रधान
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