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ध्वनि प्रदूषण पर यू.एन.ई.पी. की रिपोर्ट

संदर्भ

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने फ्रंटियर्स 2022: नॉइज़, ब्लेज़ एंड मिसमैच नामक रिपोर्ट को जारी किया है। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर को भारत का सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषित शहर के रूप में घोषित किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट दुनिया भर के कई शहरों में शोर के स्तर के बारे में अध्ययनों को संकलित करती है।
  • इसमें पाँच भारतीय शहरों दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, आसनसोल और मुरादाबाद को शामिल किया गया हैं, जिसमें मुरादाबाद में 29 से 114 डेसिबल रेंज तक के शोर को मापा गया है।
  • इस सूची में 114 डेसिबल के अधिकतम मूल्य के साथ मुरादाबाद दूसरा सर्वाधिक शोर वाला शहर है। जबकि प्रथम स्थान पर ढाका (बांग्लादेश) है, जहाँ पर 119 डेसिबल का शोर मापा गया है।

रिपोर्ट से संबंधित विवाद

  • वर्तमान में जारी रिपोर्ट में मुरादाबाद शहर का नाम होना अप्रत्याशित है क्योंकि  इससे पूर्व की अन्य रिपोर्टों में इस शहर को शामिल नहीं किया गया था।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि इस रिपोर्ट में मुरादाबाद के विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण को मापा गया है, जहाँ ध्वनि प्रदूषण की सीमा 114 डेसिबल थी।

ध्वनि प्रदूषण के परिणाम

  • इस रिपोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को बताया है, जिसमें हल्के (कम) और अस्थायी संकट से लेकर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव और ध्वनि क्षय तक के प्रभाव शामिल हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार ध्वनि प्रदूषण के कारण यूरोप में 22 मिलियन आबादी झुंझलाहट और 6.5 मिलियन आबादी अनिद्रा से पीड़ित हो गई है।  
  • वृद्ध, गर्भवती महिलाएँ और शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों को शोर-शराबे के कारण अनिद्रा की समस्या उत्पन्न हो रही है।
  • शोर के कारण कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव प्रतिक्रियाएँ भी उत्पन्न हो रही है।
  • यातायात से उत्पन्न शोर के कारण हृदय और उपापचय संबंधी विकार जैसे कि उच्च रक्तचाप, धमनी उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और मधुमेह की समस्या उत्पन्न हो रही है।

ध्वनि प्रदूषण के विरुद्ध भारत के प्रयास

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को अपनी राज्य इकाइयों के माध्यम से शोर के स्तर को ट्रैक करने, मानकों को निर्धारित करने तथा अत्यधिक शोर के स्रोतों को नियंत्रित करने का कार्य किया जाता है।
  • सी.पी.सी.बी. के पास एक मैनुअल मॉनिटरिंग सिस्टम है, जो प्रमुख शहरों में लगे सेंसर की सहायता से शोर के स्तर को ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • सी.पी.सी.बी. प्रमुख शहरों में दिवाली से पहले और बाद में ध्वनि के स्तर को मापता है।
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