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सूडान में भुखमरी की मार: युद्धग्रस्त देश में मानवता पर संकट

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम)

संदर्भ

हाल ही में जारी ‘इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन (IPC)’ की रिपोर्ट के अनुसार, सूडान के कई क्षेत्रों में भुखमरी (Famine) फैल चुकी है। विशेष रूप से दारफूर क्षेत्र के एल-फाशेर और कदुगली शहरों में अकाल की स्थिति घोषित की गई है। यह संकट देश में चल रहे गृहयुद्ध और मानवीय संकट को और गहरा बना रहा है।

सूडान अकाल पर IPC रिपोर्ट 

IPC की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार (नवंबर 2025):

  • लगभग 3.75 लाख लोग भुखमरी की स्थिति में पहुँच चुके हैं।
  • 6.3 मिलियन लोग देशभर में अत्यधिक खाद्य असुरक्षा (Acute Food Insecurity) का सामना कर रहे हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि जीविका का पूर्ण पतन, अत्यधिक कुपोषण, और भोजन की कमी से मौतें अब व्यापक हो चुकी हैं।
  • IPC ने पहले भी सूडान के पाँच स्थानों को अकाल-प्रभावित घोषित किया था, जिनमें से अधिकतर दारफूर और कोर्दोफान प्रांतों में हैं।

मुख्य अकाल प्रभावित क्षेत्र

  • एल-फाशेर (El-Fasher) : दरफूर का प्रमुख शहर, जो 18 महीनों से रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के घेरे में है।
  • कदुगली (Kadugli) : साउथ कोर्दोफान प्रांत का शहर, जो महीनों से घेराबंदी में है।
  • अन्य प्रभावित शहर : तविला (Tawila), मेलित (Melit) और तविशा (Tawisha) को भी अकाल के खतरे में बताया गया है।

Sudan-famine

कारण

  • गृहयुद्ध और हिंसा : अप्रैल 2023 से चल रहे सूडानी सेना और RSF (Rapid Support Forces) के बीच संघर्ष ने देश को पूरी तरह तोड़ दिया है।
  • घेराबंदी और आपूर्ति बाधा : RSF ने कई शहरों को घेर लिया है, जिससे भोजन, दवाइयाँ और मानवीय सहायता नहीं पहुँच पा रही।
  • विस्थापन : युद्ध के कारण 1.4 करोड़ से अधिक लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं।
  • स्वास्थ्य संकट : कुपोषण और बीमारियों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
  • आर्थिक पतन : कृषि व व्यापार व्यवस्था के ध्वस्त होने से खाद्य उत्पादन रुक गया है।

चुनौतियाँ

  • मानवीय सहायता बाधित: संघर्ष क्षेत्रों में राहत एजेंसियाँ पहुँचने में असमर्थ हैं।
  • संचार तंत्र ठप : कई क्षेत्रों में नेटवर्क और बिजली व्यवस्था नष्ट हो चुकी है।
  • सुरक्षा जोखिम : सहायता पहुँचाने वाले संगठनों पर हमलों का खतरा बना रहता है।
  • कुपोषण की भयावहता : पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 30% बच्चे तीव्र कुपोषण से पीड़ित हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय निष्क्रियता : वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया सीमित है, जबकि स्थिति ‘विश्व का सबसे बड़ा मानवीय संकट’ बन चुकी है।

आगे की राह : समाधान

  • तात्कालिक संघर्षविराम : IPC और संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत युद्धविराम की अपील की है ताकि राहत पहुँच सके।
  • मानवीय गलियारे : भोजन और दवाओं की आपूर्ति के लिए सुरक्षित मार्ग बनाए जाएँ।
  • अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप : अफ्रीकी संघ, संयुक्त राष्ट्र और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को संयुक्त रणनीति अपनानी होगी।
  • स्थायी शांति प्रक्रिया : युद्धरत पक्षों के बीच राजनीतिक संवाद और स्थायी समाधान आवश्यक है।
  • कृषि और पुनर्निर्माण : दीर्घकाल में सूडान को खाद्य आत्मनिर्भरता और सामाजिक पुनर्वास पर ध्यान देना होगा।

निष्कर्ष

सूडान में फैलती भुखमरी केवल एक मानवीय आपदा नहीं, बल्कि राजनीतिक विफलता और युद्ध की त्रासदी का परिणाम है। जब तक देश में शांति और स्थिरता नहीं लौटती, तब तक लाखों सूडानी नागरिकों का जीवन खतरे में रहेगा। विश्व समुदाय को अब केवल बयान नहीं, बल्कि ठोस मानवीय और कूटनीतिक कार्रवाई करनी होगी।

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