(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण सम्मेलन एवं आयोजन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: कृषि से संबंधित विषय व बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता) |
संदर्भ
19 नवंबर, 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट, 2025 का आयोजन किया गया।
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से तात्पर्य
- प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें रसायनों, रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है।
- इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- यह मृदा की प्राकृतिक उर्वरता पर आधारित होती है।
- इसमें स्थानीय संसाधनों, जैसे- गोबर, गौमूत्र, जैव-घोल, वर्मी-कंपोस्ट आदि का उपयोग किया जाता है।
- यह पर्यावरण के अनुकूल होती है।
- यह किसानों को कम लागत में अधिक टिकाऊ उत्पादन प्रदान करती है।
- प्राकृतिक खेती को भारत की पारंपरिक ज्ञान-व्यवस्था एवं आधुनिक विज्ञान दोनों का समर्थन प्राप्त है।

साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट 2025 के बारे में
- यह एक क्षेत्रीय सम्मेलन है जिसे प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
- इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया और भारत को ‘वैश्विक प्राकृतिक कृषि हब’ बनाने के संकल्प पर जोर दिया।
- यह समिट दिवंगत जैविक कृषि वैज्ञानिक डॉ. जी. नम्मालवर के विचारों और कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए किसान संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था।
- यह समिट दक्षिण भारत के विभिन्न किसान संगठनों की ओर से आयोजित की गई जिसमें तमिलनाडु और अन्य राज्यों के कई कृषि विशेषज्ञ, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) एवं प्राकृतिक खेती के समर्थक शामिल हुए।
- थीम : 21वीं सदी की आवश्यकता- विज्ञान-समर्थित प्राकृतिक खेती
उद्देश्य
- भारत को वैश्विक प्राकृतिक खेती केंद्र के रूप में विकसित करना
- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करना
- मृदा के स्वास्थ्य की बहाली व सुधार
- युवा किसानों को आधुनिक तकनीकों के साथ प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना
- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की क्षमता का उपयोग कर प्राकृतिक खेती का विस्तार
- छोटे किसानों की आय बढ़ाना और लागत कम करना
- प्राकृतिक खेती को कृषि शिक्षा और अनुसंधान में शामिल करना
- बहुफसली खेती (Multi-crop Farming) को बढ़ावा देना
मुख्य परिणाम
- भारत को प्राकृतिक खेती का वैश्विक केंद्र बनाने की घोषणा की गई।
- रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से असंतुलित मृदा को बहाल करने के लिए प्राकृतिक खेती को सर्वोत्तम उपाय बताया गया।
- प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान की 21वीं किस्त के तहत ₹18,000 करोड़ की राशि किसानों के खातों में स्थानांतरित की। अब तक ₹4 लाख करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत सीधे प्रदान किए जा चुके हैं।
- तमिलनाडु में 35,000 हेक्टेयर भूमि प्राकृतिक खेती में है जो राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत बड़ा विस्तार है।
- किसानों को प्रतिवर्ष कम-से-कम 1 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू करने की अपील और धीरे-धीरे इसे बढ़ाने की सलाह दी गई।
- FPOs द्वारा मोटे अनाज (Millets) और प्राकृतिक खेती को व्यापक बनाने की क्षमता पर विशेष ध्यान दिया गया।
निष्कर्ष
साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट, 2025 ने भारत में प्राकृतिक खेती आंदोलन को नया आयाम दिया। प्रधानमंत्री द्वारा विज्ञान-आधारित, कम लागत वाली, टिकाऊ एवं मृदा-हितैषी खेती मॉडल पर जोर देने से यह स्पष्ट है कि भारत आने वाले वर्षों में प्राकृतिक खेती का विश्व नेतृत्वकर्ता बन सकता है। इस समिट ने किसानों, वैज्ञानिकों, सरकार और समुदायों के बीच सहयोग को मजबूत कर प्राकृतिक खेती के विस्तार को गति दी है।