| (प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक मुद्दे, भारत की राजनीतिक व्यवस्था) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारतीय संविधान- विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना; संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ) |
20 नवंबर, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति द्वारा सलाह के लिए भेजे गए 14 प्रश्नों (Presidential Reference) पर अपनी विस्तृत राय दी। यह संदर्भ तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले के बाद उत्पन्न संवैधानिक विवादों को स्पष्ट करने के उद्देश्य से भेजा गया था। कुछ राज्यों ने इसे ‘appeal in disguise’ यानी ‘अपील के रूप में छिपा प्रयास’ बताया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
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प्रश्न 1. जब संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के समक्ष कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तो उसके समक्ष संवैधानिक विकल्प क्या हैं? उत्तर : विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना या यदि विधेयक धन विधेयक नहीं है तो अनुमोदन रोककर उसे टिप्पणियों के साथ विधानमंडल को वापस भेजना। प्रश्न 2. क्या राज्यपाल अनुच्छेद 200 के तहत मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सहायता और सलाह से बाध्य है? उत्तर : राज्यपाल को विवेकाधिकार प्राप्त है और वह मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह से बाध्य नहीं है। प्रश्न 3. क्या अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है? उत्तर : अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन न्यायोचित नहीं है। हालाँकि, अनिश्चितकालीन निष्क्रियता की स्पष्ट परिस्थितियों में, न्यायालय के पास राज्यपाल को उचित समयावधि के भीतर निर्णय लेने के लिए परमादेश जारी करने की सीमित शक्ति है। प्रश्न 4. क्या अनुच्छेद 361 अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है? उत्तर : संविधान का अनुच्छेद 361 राज्यपाल को व्यक्तिगत रूप से न्यायिक कार्यवाही के अधीन करने के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। प्रश्न 5. क्या अनुच्छेद 200 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए समयसीमा निर्धारित की जा सकती है? उत्तर : यह उचित नहीं है क्योंकि संविधान इस पर मौन है। प्रश्न 6. क्या संविधान के अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा संवैधानिक विवेक का प्रयोग न्यायोचित है? उत्तर : राज्यपाल के संबंध में दिए गए तर्क के अनुसार, अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति की सहमति भी न्यायोचित नहीं है। प्रश्न 7. क्या राष्ट्रपति अनुच्छेद 201 के तहत शक्ति का प्रयोग करते समय समयसीमा से बाध्य हो सकते हैं? उत्तर : राज्यपाल के संदर्भ में बताए गए उन्हीं कारणों से राष्ट्रपति भी न्यायिक रूप से निर्धारित समय-सीमा से बाध्य नहीं हो सकते हैं। प्रश्न 8. क्या जब भी कोई राज्यपाल किसी विधेयक को अपनी स्वीकृति के लिए सुरक्षित रखता है तो राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की आवश्यकता होती है? उत्तर : राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं है। राष्ट्रपति की व्यक्तिपरक संतुष्टि ही पर्याप्त है। प्रश्न 9. क्या संविधान के अनुच्छेद 200 और अनुच्छेद 201 के अंतर्गत राज्यपाल व राष्ट्रपति के निर्णय कानून के लागू होने से पहले के चरण में न्यायोचित हैं? उत्तर : अनुच्छेद 200 एवं 201 के अंतर्गत राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय कानून के लागू होने से पहले के चरण में न्यायोचित नहीं होते हैं। किसी विधेयक के कानून बनने से पहले उसकी विषय-वस्तु पर न्यायिक निर्णय लेना न्यायालयों के लिए अनुचित है। प्रश्न 10. क्या संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग और राष्ट्रपति/राज्यपाल के आदेशों को किसी भी प्रकार प्रतिस्थापित किया जा सकता है? उत्तर : संविधानिक शक्तियों के प्रयोग तथा राष्ट्रपति/राज्यपाल के आदेशों को अनुच्छेद 142 के अंतर्गत किसी भी प्रकार से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है, न ही यह विधेयकों की ‘मान्य स्वीकृति’ की अवधारणा की अनुमति देता है। प्रश्न 11. क्या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की सहमति के बिना लागू कानून है? उत्तर : अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल की अनुमति के बिना राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के लागू होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। प्रश्न 12. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 145(3) के प्रावधान के मद्देनजर, क्या न्यायालय की किसी भी पीठ के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वह पहले यह निर्णय करे कि क्या किसी मामले में विधि के सारवान प्रश्न सम्मिलित हैं और उसे न्यूनतम पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए? उत्तर : अनुत्तरित लौटाया गया. इस संदर्भ से अप्रासंगिक प्रश्न 13. क्या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां प्रक्रियात्मक कानून के मामलों तक ही सीमित हैं? उत्तर : निश्चित रूप से उत्तर देना संभव नहीं है। अनुच्छेद 142 का दायरा प्रश्न 10 के भाग के रूप में दिया गया है। प्रश्न 14. क्या संविधान सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 131 के अंतर्गत वाद के अलावा किसी अन्य माध्यम से केन्द्र-राज्य विवादों का समाधान करने से रोकता है? उत्तर : संदर्भ की कार्यात्मक प्रकृति से अप्रासंगिक। इसलिए, अनुत्तरित लौटा दिया गया। |
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