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विश्व शौचालय दिवस एवं भारत में स्वच्छता

प्रारंभिक परीक्षा

(समसामयिक घटनाक्रम)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय) 

संदर्भ 

संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व शौचालय दिवस की स्थापना अपर्याप्त स्वच्छता के कारण विश्व भर में लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिए की गई थी। यह दिवस हैजा जैसी घातक बीमारियों के प्रसार को रोककर सार्वजनिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बनाए रखने में उचित शौचालय सुविधाओं की प्रमुख भूमिका को दर्शाता है।

विश्व शौचालय दिवस, 2024 के बारे में 

  • परिचय : विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर को वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए कार्रवाई को प्रेरित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय दिवस है।
  • उद्देश्य : स्वच्छता संकट को तत्काल रुप से दूर करने के लिए वैश्विक जागरूकता एवं कार्रवाई को बढ़ावा देना।
  • शुरुआत : वर्ष 2013 से।
  • समर्पित : यह प्रयास सतत विकास लक्ष्य- 6 : ‘2030 तक सभी के लिए पानी एवं स्वच्छता सुनिश्चित करना’ के हिस्से के रूप में सुरक्षित और सुलभ शौचालय सुविधाओं के महत्व पर जोर देने के लिए समर्पित है।
  • इस वर्ष की थीम : शौचालय- शांति के लिए एक स्थान
    • यह थीम युद्ध, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और व्यवस्थागत उपेक्षाओं के कारण अरबों लोगों को स्वच्छता के लिए बढ़ते खतरों का सामना करने पर केंद्रित है।

भारत में आयोजन और वैश्विक अभियान

  • भारत में विश्व शौचालय दिवस देश की खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति को बनाए रखने की दिशा में प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के तौर पर मनाया जाता है।
  • सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मौजूदा अंतरालों की पहचान करने और व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों के निर्माण में तेजी लाने के लिए जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है।
  • इसके अतिरिक्त, ग्राम-स्तरीय पंजीकरण अभियान और शिविर आयोजित किए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी पात्र लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए समय पर मंजूरी आदेश प्राप्त हों।
  • इस वर्ष भारत ने 19 नवंबर से ‘हमारा शौचालय: हमारा सम्मान’ अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है जो 10 दिसंबर, 2024 तक मानवाधिकार दिवस के मौके पर समाप्त हो रहा है।
    • यह अभियान स्वच्छता को मानवाधिकारों और विशेष रूप से महिलाओं व बालिकाओं के लिए गरिमा एवं गोपनीयता की वैश्विक आवश्यकता से जोड़ेगा।

स्वच्छ भारत मिशन का योगदान 

  • स्वच्छ भारत मिशन (SBM) स्वच्छता में सुधार और खुले में शौच को समाप्त करने के भारत के प्रयासों की आधारशिला रहा है जो वर्ष 2014 में इसकी शुरूआत के बाद से एक परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाता है। 
  • एस.बी.एम.-ग्रामीण के तहत 11.73 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों के निर्माण के साथ पर्याप्त प्रगति हुई है, जिसके नतीजतन 5.57 लाख से अधिक ‘ओ.डी.एफ. प्लस’ गांव बन गए हैं। 
  • इस पहल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डब्ल्यू.एच.ओ. के मुताबिक वर्ष 2014 की तुलना में 2019 तक डायरिया से होने वाली मौतों में 300,000 की कमी आई। 
  • मिशन का आर्थिक प्रभाव भी समान रूप से प्रभावशाली दिखा, जिसके जरिए ओ.डी.एफ. गांवों को स्वास्थ्य सेवा पर प्रति परिवार औसतन 50,000 रुपए की बचत हुई। 
  • इसके समकक्ष शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने भी अपने लक्ष्यों को पूरा किया और 63.63 लाख से अधिक घरेलू शौचालयों तथा 6.36 लाख से अधिक सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की सुविधा प्रदान की। 
  • इन प्रयासों के कारण 4,576 शहरों को ओ.डी.एफ. का स्थान मिला, जिनमें से कई ‘ओ.डी.एफ.+’ एवं ‘ओ.डी.एफ.++’ पहचान के लिए आगे बढ़ रहे हैं। 
  • इस मिशन ने महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को भी अंदरूनी तौर पर प्रभावित किया हैओ.डी.एफ. क्षेत्रों में 93% महिलाओं ने सुरक्षा भावना में बढ़ोत्तरी ज़ाहिर की है। 
  • सामूहिक रूप से एस.बी.एम. ने विश्व शौचालय दिवस और एस.डी.जी.- 6 के व्यापक लक्ष्यों के साथ एकरुपता दर्शाते हुए एक स्वच्छ, स्वस्थ एवं अधिक न्यायसंगत भारत की नींव रखी है।

बेहतर स्वच्छता की आवश्यकता 

  • वर्तमान में बेहतर स्वच्छता सेवाओं की सख्त जरूरत है क्योंकि 3.5 अरब लोग अभी भी सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता से वंचित हैं और दुनिया भर में 419 मिलियन खुले में शौच करने के लिए विवश हैं।
  • स्वच्छता सेवाएं एक सुरक्षात्मक अवरोधक के रूप में कार्य करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि मानव अपशिष्ट को पारिस्थितिक तंत्र में प्रवेश करने से रोका जा सके और समुदायों को खतरे से बचाया जा सके।
  • वर्ष 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार असुरक्षित जल, साफ-सफाई एवं स्वच्छता की कमी से प्रतिदिन 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 1000 बच्चों की मौत हो जाती है।
  • 2.2 बिलियन लोगों के पास अभी भी सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल की कमी है और 2 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की कमी है जिनमें 653 मिलियन लोग बिना किसी सुविधा के रह रहे हैं।
  • संवेदनशील स्थितियों में रहने वाले बच्चे विशेष रूप से कमजोर हैं, क्योंकि उनकी खुले में शौच करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है और बुनियादी पेयजल सेवाओं की कमी की संभावना 8 गुना अधिक होती है।
  • संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में, 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों की प्रत्यक्ष हिंसा की तुलना में, खराब स्वच्छता से जुड़ी बीमारियों से मरने की संभावना लगभग 3 गुना अधिक होती है, जो अपर्याप्त स्वच्छता के विनाशकारी प्रभाव को रेखांकित करता है।
  • बेहतर स्वच्छता की वजह से संभावित रूप से सालाना 1.4 मिलियन लोगों की जान बचाई जा सकती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में त्वरित कार्रवाई की ज़रुरत है।

आगे की राह 

  • विश्व शौचालय दिवस 2024 कमजोर और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता चुनौतियों का समाधान करने के लिए वैश्विक ज़रुरत के एक महत्वपूर्ण के रूप में कार्य करता है। 
  • यह दिवस दर्शाता है कि सुरक्षित और बेहतर स्वच्छता व्यवस्था तक पहुंच केवल बुनियादी ढांचे का मुद्दा नहीं, बल्कि गरिमा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा एक मौलिक मानव अधिकार है। 
  • सरकारों, संगठनों और समुदायों को स्थायी समाधानों को प्राथमिकता देने, जागरूकता को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक उपायों में निवेश करने के लिए एक साथ आना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हर व्यक्ति के पास ये सुविधाएं हों। 
  • एकजुट होकर कार्य करके, हम पानी और स्वच्छता तक सभी की पहुंच होने के सपने को वास्तविकता में बदल सकते हैं, अरबों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा कर सकते हैं और एक अधिक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण दुनिया की नींव रख सकते हैं।
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