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ज़ोंबी आइस 

चर्चा में क्यों 

‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 'ज़ोंबी आइस'  (Zombie Ice) के कारण ग्रीनलैंड की हिम चादर (Ice Sheet) पिघलने से वैश्विक समुद्र स्तर में कम-से-कम 27 सेमी. की वृद्धि होने का अनुमान है। 

क्या है ज़ोंबी आइस 

  • ज़ोंबी आइस को मृत या नष्टप्राय बर्फ के रूप में भी जाना जाता है। मूल हिम चादर का हिस्सा बने रहने के बावजूद इस पर ताजा बर्फ नहीं जमा हो रही है।
  • इस अध्ययन में ज़ोंबी आइस एक संतुलनावस्था की ओर संकेत करती है जहां ग्रीनलैंड के उच्च क्षेत्रों से हिमपात का प्रवाह ग्लेशियरों के किनारों को रिचार्ज करने के लिये होता है।
  • इसके लगातार पिघलने से समुद्र के जलस्तर में वृद्धि का खतरा बना रहता है। विगत कई दशकों से बर्फ के पिघलने की दर में वृद्धि और पुनःपूर्ति में कमी आई है।
  • हाल के अध्ययन के अनुसार, वैश्विक रूप से किसी भी जलवायु कार्रवाई को अपनाए जाने या वैश्विक तापन के मौजूदा स्तर पर स्थिर रहने के बावजूद 'ज़ोंबी बर्फ' के कारण ग्रीनलैंड की कुल बर्फ का 3.3% भाग पिघल जाएगा। 

समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रभाव  

  • बड़े तटीय शहर पर सर्वाधिक प्रभाव।
  • संयुक्त राष्ट्र महासागर एटलस के अनुसार, दुनिया के 10 सबसे बड़े शहरों में से 8 तटीय क्षेत्रों के पास स्थित हैं।
  • विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट के अनुसार पहले से ही 570 से अधिक तटीय शहरों में अनुमानित 800 मिलियन लोग वर्ष 2050 तक समुद्र स्तर में 0.5 मीटर की वृद्धि की चपेट में हैं। 
  • बाढ़, उच्च ज्वार और तूफानों आदि में की बारंबारता में वृद्धि।
  • स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और बुनियादी ढाँचे के लिये खतरा।
  • निचले तटीय क्षेत्रों को अधिक नुकसान।
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