संदर्भ
प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 25 देशों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक नया वैश्विक सूचकांक लॉन्च किया गया है जिसमें भारत समग्र रूप से 10वें स्थान पर है।
क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज इंडेक्स के बारे में
- परिचय : यह सूचकांक 25 देशों के पांच महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों ‘सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी’ में प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
- विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों का भारांश :
- सेमीकंडक्टर (35%) : इसमें चिप डिजाइन, फंडिंग, प्रतिभा एवं विनिर्माण आदि को अधिक महत्त्व दिया गया है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (25%) : इसमें सर्वाधिक महत्व फंडिंग और प्रतिभा को दिया गया है। एल्गोरिदम, कंप्यूटिंग शक्ति एवं डाटा जैसे तकनीकी कारक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी (20%) : इसमें मानव पूंजी, वित्त पोषण व मुख्य क्षमताओं, जैसे- दवा उत्पादन, आनुवंशिक इंजीनियरिंग व वैक्सीन अनुसंधान को सबसे अधिक महत्व दिया गया है।
- अंतरिक्ष (15%) : इसमें सर्वाधिक महत्व वित्त पोषण, प्रतिभा एवं रक्षा परिसंपत्तियों को दिया गया है। लॉन्च क्षमता, नेविगेशन व दूरसंचार जैसे प्रमुख परिचालन क्षेत्रों को थोड़ा कम महत्व दिया गया है।
- क्वांटम प्रौद्योगिकी (5%) : इसमें सर्वाधिक महत्व फंडिंग, प्रतिभा एवं मुख्य प्रौद्योगिकियों को दिया जाता है। नीति, वैश्विक प्रभाव व सुरक्षा को कम महत्व दिया जाता है।
- प्रमुख मानदंड : उपर्युक्त भारांश छह मानदंडों पर आधारित हैं, जिनमें भू-राजनीतिक प्रासंगिकता, दोहरे उपयोग की संभावना, आर्थिक प्रभाव, प्रौद्योगिकी परिपक्वता, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र एवं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता शामिल हैं।
- इंडेक्स स्कोर प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक डाटा (जैसे- शोध प्रकाशन, पेटेंट) और वाणिज्यिक डाटा (जैसे- निवेश प्रवृत्ति, उत्पादन क्षमता) का उपयोग करता है।
वैश्विक रैंकिंग
- अमेरिका : मजबूत निवेश, शोध पारिस्थितिकी तंत्र और यूरोप, जापान व दक्षिण कोरिया जैसे सहयोगियों के साथ साझेदारी के कारण सभी पांच क्षेत्रों में अग्रणी है।
- चीन : जैव प्रौद्योगिकी एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति के साथ दूसरा स्थान है जो केंद्रीकृत नियोजन व राज्य-नेतृत्व वाले निवेश द्वारा समर्थित है।
- यूरोप : जैव प्रौद्योगिकी एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के साथ तीसरा स्थान है किंतु सेमीकंडक्टर एवं अंतरिक्ष में पीछे है।
भारत की क्षेत्रवार स्थिति
भारत 15.2 के स्कोर के साथ 10वें स्थान पर है और रूस, कनाडा व ऑस्ट्रेलिया से ऊपर है जो एक मध्यम किंतु असमान प्रौद्योगिकी आधार को दर्शाता है।
- सेमीकंडक्टर क्षेत्र : भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में काफी पीछे है। चिप डिजाइन, विनिर्माण एवं उपकरण उत्पादन में सीमित क्षमता के कारण यह क्षेत्र भारत की सबसे बड़ी कमजोरी है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता : भारत का AI क्षेत्र उभर रहा है किंतु यह वैश्विक नेतृत्वकर्ताओं से काफी पीछे है। स्टार्टअप्स एवं डिजिटल इंडिया जैसे प्रयासों के बावजूद फंडिंग, शोध एवं कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे की कमी बाधाएँ हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी : भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र, विशेष रूप से वैक्सीन उत्पादन (उदाहरण: कोविशील्ड) वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। हालांकि, उन्नत जेनेटिक इंजीनियरिंग और फंडिंग में कमी इसे सीमित करती है।
- अंतरिक्ष : इसरो की उपलब्धियाँ (चंद्रयान, मंगलयान) भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक उभरता हितधारक बनाती हैं। हालांकि, लॉन्च क्षमता एवं टेलीकॉम में सीमित प्रगति बाधाएँ हैं।
- क्वांटम प्रौद्योगिकी : भारत का क्वांटम क्षेत्र प्रारंभिक चरण में है। राष्ट्रीय क्वांटम मिशन एक सकारात्मक कदम है किंतु प्रतिभा व बुनियादी ढांचे की कमी चुनौतियां हैं।