New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Month End Sale offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Month End Sale offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

चंडीगढ़ एवं अनुच्छेद 240 संबंधी मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम; भारतीय राजनीतिक व्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों व वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)

संदर्भ

चंडीगढ़ वर्तमान में एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) है और पंजाब के राज्यपाल इसके प्रशासक के रूप में अतिरिक्त कार्यभार देखते हैं। यह पंजाब एवं हरियाणा की साझा राजधानी भी है। चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के तहत लाए जाने की चर्चा जारी है जिससे इसके प्रशासनिक व अधिकार संरचना में बड़े बदलाव संभव हैं।

अनुच्छेद 240 के बारे में

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 240 कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए राष्ट्रपति को विनियम (Regulations) बनाने की शक्ति प्रदान करता है। राष्ट्रपति ‘शांति, प्रगति एवं सुशासन’ के लिए विनियम बना सकते हैं।
  • यह अनुच्छेद मुख्य रूप से अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव तथा पुदुचेरी (जब उसकी विधानसभा निलंबित हो) पर लागू होता है।
  • राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए विनियम संसद द्वारा बनाए गए कानूनों के बराबर होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर किसी मौजूदा कानून को संशोधित या निरस्त भी कर सकते हैं।

चंडीगढ़ एवं अनुच्छेद 240 के निहितार्थ

  • यदि चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के दायरे में लाया गया, तो :
  • इसे एक स्वतंत्र प्रशासक (LG जैसी भूमिका) मिल सकता है।
  • पंजाब के राज्यपाल की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी समाप्त हो जाएगी।
  • पंजाब एवं हरियाणा का प्रशासनिक प्रभाव सीमित हो जाएगा।
  • केंद्र सरकार को चंडीगढ़ पर अधिक प्रत्यक्ष नियंत्रण प्राप्त होगा।

इसका प्रभाव

  • केंद्र सरकार को विस्तृत अधिकार मिल जाएंगे, जिससे किसी भी कानून को संसद में ले जाए बिना नियमों के माध्यम से बदला जा सकेगा।
  • छोटे-छोटे प्रशासनिक बदलाव (जैसे- मेयर की पदावधि) एक हस्ताक्षर के साथ तुरंत लागू हो सकेंगे।
  • पंजाब एवं हरियाणा की चंडीगढ़ पर दीर्घकालिक दावेदारी कमजोर हो सकती है।
  • शहर की प्रशासनिक संरचना अधिक केंद्रीकृत हो जाएगी।

पक्ष में तर्क (Pros)

  • केंद्र के सीधे नियंत्रण से त्वरित निर्णय, बेहतर योजनाएँ और अधिक बजट मिल सकता है।
  • भविष्य में चंडीगढ़ की अपनी विधान सभा बनने की संभावना खुल सकती है।
  • प्रशासनिक भ्रम कम होगा क्योंकि पंजाब व हरियाणा के कानूनों का ओवरलैप कम हो सकता है।
  • एक स्वतंत्र प्रशासक से शासन अधिक स्पष्ट व व्यवस्थित हो सकता है।

विपक्ष में तर्क (Cons) 

  • केंद्र को अत्यधिक अधिकार मिलने से संसदीय निगरानी कमजोर हो सकती है।
  • स्थानीय लोकतांत्रिक संस्थाओं की शक्ति कम हो सकती है, जैसे- मेयर या नगर निगम की भूमिका।
  • पंजाब एवं हरियाणा के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है।
  • नागरिकों को स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने के अधिकार कम महसूस हो सकते हैं।

चुनौतियाँ

  • राजनीतिक असहमति: पंजाब एवं हरियाणा दोनों राज्य इस बदलाव का विरोध कर सकते हैं।
  • प्रशासनिक परिवर्तन: कई मौजूदा कानूनों और नियमों को नए ढांचे में ढालना होगा।
  • संस्थागत असंतुलन: मेयर-इन-काउंसिल या नगर निगम के अधिकार अधिक कमजोर हो सकते हैं।
  • संघवाद: केंद्र एवं स्थानीय हितों में संतुलन बनाना कठिन होगा।

आगे की राह

  • किसी भी बदलाव से पहले केंद्र, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के बीच विस्तृत परामर्श आवश्यक है।
  • नगर निगम को शक्तिशाली बनाने के सुझावों पर ध्यान दिया जा सकता है, जैसे मेयर–इन–काउंसिल मॉडल।
  • चंडीगढ़ की विशेष स्थिति (UT + संयुक्त राजधानी) को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित प्रशासनिक ढांचा विकसित करना ज़रूरी है।
  • नागरिकों की सहभागिता बढ़ाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमों की पुनर्संरचना आवश्यक है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X