New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Month End Sale offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Month End Sale offer UPTO 75% Off, Valid Till : 28th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition -SLP)

मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी की कि विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के खारिज होने पर, चाहे आदेश बोलकर दिया गया हो या बिना कारण बताए, निचली अदालत/न्यायाधिकरण के आदेश का सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के साथ विलय नहीं होता।

Special-Leave-Petition

क्या है विशेष अनुमति याचिका (SLP)?

  • एसएलपी भारत के सर्वोच्च न्यायालय से किया गया एक अनुरोध है, जिसके तहत-
  • किसी भी न्यायालय या न्यायाधिकरण (सैन्य न्यायाधिकरण को छोड़कर) के
  • किसी भी निर्णय, आदेश या डिक्री के विरुद्ध
  • अपील करने की विशेष अनुमति मांगी जाती है। 

विशेष बात:

  • कानून में अपील का वैधानिक अधिकार न हो, तब भी एसएलपी दायर की जा सकती है।
  • यह कोई अधिकार (Right) नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय का विवेकाधीन विशेषाधिकार है।

संवैधानिक आधार:

  • संविधान के अनुच्छेद 136 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को अधिकार प्राप्त है कि-
  • वह भारत के किसी भी न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील हेतु विशेष अनुमति प्रदान कर सकता है।

कब दायर की जा सकती है विशेष अनुमति याचिका ?

आधार

विवरण

गंभीर कानूनी प्रश्न

कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न पर विवाद हो

न्याय में गंभीर त्रुटि

घोर अन्याय या मनमाना आदेश दिया गया हो

अंतरिम आदेश भी चुनौती योग्य

अंतिम निर्णय होना आवश्यक नहीं

  • यह सिविल और आपराधिक दोनों प्रकार के मामलों में दायर की जा सकती है।

कौन दायर कर सकता है?

  • कोई भी पीड़ित पक्ष
  • सरकारी निकाय
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs)
  • NGO/संघ (उचित मामलों में)

किसके विरुद्ध दायर की जा सकती है?

  • उच्च न्यायालयों के निर्णय
  • अर्ध-न्यायिक निकायों के आदेश
  • अन्य न्यायाधिकरणों के आदेश
  • सशस्त्र बलों के न्यायाधिकरण को छोड़कर

विशेष अनुमति याचिका दायर करने की समय सीमा

स्थिति

समय सीमा

उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध

निर्णय की तिथि से 90 दिन

हाईकोर्ट द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ अपीलिबिलिटी से इंकार

आदेश की तिथि से 60 दिन

विशेष अनुमति याचिका दायर करने की प्रक्रिया

  • याचिका में सभी आवश्यक तथ्य एवं कानूनी आधार स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए जाएँ।
  • याचिका पर एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड द्वारा हस्ताक्षर आवश्यक।
  • यह घोषित करना अनिवार्य है कि हाईकोर्ट में कोई अन्य याचिका लंबित नहीं।
  • सुप्रीम कोर्ट प्रारंभिक सुनवाई में तय करेगा-
  • मामला सुनवाई योग्य है - अनुमति (Leave Granted)
  • मामला उपयुक्त नहीं - याचिका खारिज
  • एसएलपी स्वीकार होना ही इसे अपील में परिवर्तित कर देता है।

महत्वपूर्ण न्यायिक सिद्धांत

  • एसएलपी के खारिज होने मात्र से निचली अदालत का आदेश
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ विलय (Merger) नहीं मान लिया जाएगा।
  • यह सर्वोच्च न्यायालय की वैकल्पिक एवं विवेकाधीन शक्ति है, अधिकार नहीं।

निष्कर्ष

  • विशेष अनुमति याचिका न्यायिक व्यवस्था की वह महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय –
    • न्याय में हुई किसी भी गंभीर त्रुटि को सुधार सकता है
    • आमजन के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है
    • पूरे देश की न्याय प्रणाली में समानता और न्याय को कायम रखता है। 

प्रश्न. विशेष अनुमति याचिका दायर करने का संवैधानिक आधार कौन-सा है?

(a) अनुच्छेद 21

(b) अनुच्छेद 136

(c) अनुच्छेद 19

(d) अनुच्छेद 226

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X