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भारत का 2030 तक 900 KTPA ग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

भारत में ऊर्जा संक्रमण की प्रक्रिया तेज़ हो रही है। जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने, उद्योगों को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को प्राथमिकता दे रही है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता का लक्ष्य 

  • केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की कि भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) जैसे- IOCL, BPCL, HPCL, GAIL, ONGC, NRL व CPCL मिलकर वर्ष 2030 तक 900 किलो टन प्रति वर्ष (KTPA) ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता विकसित करेंगी।
  • यह देश की ऊर्जा प्रणाली में बड़े बदलाव का संकेत है क्योंकि इससे ग्रे हाइड्रोजन (फॉसिल फ्यूल आधारित) को धीरे-धीरे स्वच्छ विकल्प से बदला जाएगा।

ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम (GHCI)

  • अप्रैल 2025 में शुरू की गई GHCI योजना ग्रीन हाइड्रोजन की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करती है। इसके अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन में दो शर्तें अनिवार्य हैं :
    • केवल नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित हाइड्रोजन 
    • प्रति किलो हाइड्रोजन उत्पादन पर 2 किलोग्राम से कम CO₂ उत्सर्जन 
  • अब भारत में उत्पादित हाइड्रोजन की ‘ग्रीन’ कैटेगरी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित होगी, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

आर्थिक लाभ और आयात में कमी

  • स्वच्छ हाइड्रोजन बढ़ने से देश की ऊर्जा आयात निर्भरता कम होगी।
  • सरकार का अनुमान है कि ग्रीन हाइड्रोजन अपनाने से लगभग 1 लाख करोड़ की आयात बचत होगी।
  • वर्ष 2030 तक भारत वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन बाज़ार में 10% हिस्सेदारी हासिल कर सकता है जो बड़ी उपलब्धि होगी।

भारत की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता

  • भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता 260 GW के करीब पहुँच चुकी है।
  • इसमें मुख्य योगदान सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का है।
  • यह दर्शाता है कि ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आवश्यक नवीकरणीय बिजली की नींव मजबूत है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के उपाय

  • 17,000 करोड़ के प्रोत्साहन स्वीकृत किए हैं।
  • 3,000 MW/वर्ष इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता स्थापित करने के लिए परियोजनाएँ हैं।
  • 8.62 लाख टन/वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आवंटन किया है। यह भविष्य के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता तैयार करेगा।

निष्कर्ष

ग्रीन हाइड्रोजन भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की रीढ़ बनने जा रहा है। PSUs द्वारा 900 KTPA क्षमता का लक्ष्य, GHCI के ज़रिए विश्वसनीय प्रमाणन व सरकार के वित्तीय समर्थन मिलकर भारत को वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है बल्कि अर्थव्यवस्था, उद्योग एवं ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी गेम-चेंजर साबित होगा।

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