(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी) |
संदर्भ
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अंतर्गत पुणे स्थित राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान (NIV) ने हाल ही में निपाह वायरस का त्वरित पता लगाने के लिए एक पोर्टेबल ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ टेस्ट किट विकसित की है।
पोर्टेबल पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट किट के बारे में
- परिचय : यह लूप-मेडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लिफिकेशन (LAMP) तकनीक पर आधारित एक पोर्टेबल टेस्ट किट है जो डी.एन.ए./आर.एन.ए. की आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन करती है अर्थात तापमान को स्थिर रखते हुए वायरस की आनुवंशिक सामग्री की प्रतिलिपि बनाती है।
- यह तकनीक PCR (Polymerase Chain Reaction) की तुलना में अधिक तीव्र, सरल एवं कम ऊर्जा-निर्भर होती है।
प्रमुख विशेषताएँ
- त्वरित परिणाम (Rapid Results) : इस किट से जांच प्रक्रिया को पूर्ण करने में केवल कुछ मिनट लगते हैं। ऐसे में यह उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आउटब्रेक स्थितियों में रैपिड स्क्रीनिंग के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
- लैब-फ्री संचालन (Laboratory-Free Operation) : यह परीक्षण बिना किसी विशेष प्रयोगशाला उपकरण या सेटअप के संचालित किया जा सकता है जो इसे ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है।
- उच्च संवेदनशीलता एवं विशिष्टता (High Sensitivity & Specificity) : इस किट को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह निपाह वायरस के जीनोटाइप B (Genotype B) को विशेष रूप से पहचान सके, जो भारत व बांग्लादेश में प्रमुखता से पाया गया है।
निपाह वायरस
- परिचय : निपाह वायरस (NiV) भारत में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बन गया है। विशेषकर केरल में बार-बार होने वाले प्रकोपों के कारण मौतें हुई हैं।
- यह एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होता है।
- उत्पत्ति : निपाह वायरस सबसे पहले 1999 में मलेशिया में सुअर पालकों में पाया गया था। वर्ष 2001 में बांग्लादेश में और लगभग उसी समय भारत में भी इसका पता चला।
- संचरण : NiV फ्रूट बैट्स से मनुष्यों में दूषित भोजन या संक्रमित जानवरों या लोगों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है।
- लक्षण : प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली एवं गले में खराश शामिल हैं।
- गंभीर मामलों में चक्कर आना, उनींदापन व तीव्र इंसेफेलाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे कोमा व मौत भी हो सकती है
- प्रसार व प्रभाव
- भारत में अब तक पाए गए निपाह वायरस के नमूने ‘जीनोटाइप B’ श्रेणी के हैं, जो बांग्लादेश व भारत में पाया जाता है और तेजी से फैलता है तथा गंभीर लक्षण पैदा करता है।
- मलेशिया में पाए जाने वाले (जीनोटाइप M) की तुलना में यह अधिक संक्रामक है।
- मृत्यु दर 50% से अधिक है जो इसे सबसे घातक वायरल रोगों में से एक बनाता है।
- प्रमुख प्रकोप
- 2001 : पश्चिम बंगाल में पहला मामला, 74% मृत्यु दर
- 2007 : पश्चिम बंगाल में दूसरा प्रकोप, 100% मृत्यु दर
- 2018 : केरल में तीसरा बड़ा प्रकोप, 16 लोगों की मौत। इसके बाद केरल में कई बार इसका प्रकोप हुआ।
- 1998 से 2018 तक भारत, मलेशिया एवं बांग्लादेश में 700 से अधिक मामले दर्ज किए गए।