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विश्व बैंक द्वारा समर्थित स्टार्स (STARS) परियोजना का विश्लेषण

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: विकास प्रक्रिया तथा विकास- विभिन्न समूहों तथा संघों एवं अन्य पक्षों की भूमिका, शिक्षा)

पृष्ठभूमि

‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ एक ऐसे भारत का आह्वान करता है, जो अपने नागरिकों को स्थानीय वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन तथा वितरण में सक्षम हो। ‘सभी बच्चों के लिये शिक्षा’ जैसे क्षेत्रों पर भी यह समान रूप से लागू होता है। विशाल व विविधतापूर्ण जनसँख्या को ध्यान में रखते हुए शिक्षा जैसी सेवाओं के वितरण व प्रबंधन हेतु राज्य का सक्षम होना आवश्यक है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की अवधारणा का मूल आधार यही है, अत: शिक्षा जैसी सुविधाओं को आउटसोर्स (किसी कार्य को तीसरे पक्ष को सौंपना या उससे करवाना) नहीं किया जाना चाहिये।

स्टार्स परियोजना

  • स्टार्स परियोजना का पूरा नाम- ‘राज्यों के शिक्षण-अधिगम व परिणाम के सुदृढ़ीकरण हेतु कार्यक्रम’ (Strengthening Teaching-Learning and Results for States Program– STARS) है।
  • विश्व बैंक द्वारा ऋण सहायता के रूप में $ 500 मिलियन की यह परियोजना भारत के छह राज्यों में शिक्षा सुधार से सम्बंधित है। इस परियोजना के तहत स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता के साथ-साथ शासन में सुधार पर भी ज़ोर दिया जाएगा। यह ऋण विश्व बैंक के घटक अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) द्वारा प्रदान किया गया है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर, ‘समग्र शिक्षा’ के माध्यम से व राज्यों के साथ साझेदारी द्वारा यह परियोजना अधिगम मूल्यांकन (Learning Assessment) प्रणालियों को बेहतर बनाने में मदद करने के साथ-साथ कक्षा में सीखने की क्षमता व पुनर्वितरण को मज़बूत करेगी। साथ ही, स्कूल-टू-वर्क सम्बंधी बदलाव की सुविधा तथा शासन व विकेंद्रीकृत प्रबंधन को भी सशक्त करेगी।
  • इस परियोजना में 6 भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, केरल व मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं। इस परियोजना के माध्यम से लगभग 1.5 मिलियन स्कूलों में अनुमानत: 10 मिलियन शिक्षक और 6 से 17 वर्ष की आयु के तकरीबन 250 मिलियन स्कूली छात्रों को लाभ होगा।
  • स्टार्स कार्यक्रम सार्वजानिक स्कूली शिक्षा को मज़बूत करने और 'सब के लिये शिक्षा' प्रदान करने के लक्ष्य हेतु भारत व विश्व बैंक (1994 से) के बीच लम्बी साझेदारी पर आधारित है। स्टार्स से पहले, बैंक ने इस लक्ष्य के लिये $ 3 बिलियन से अधिक की सहायता प्रदान की थी।

स्टार्स परियोजना की आवश्यकता

  • भारत में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या वर्ष 2004 में 219 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 248 मिलियन हो गई है परंतु छात्रों के सीखने व अधिगम के नतीजे लगातार निम्न स्तर पर बने हुए हैं। स्टार्स के माध्यम से विश्व बैंक अधिगम सम्बंधी चुनौती को हल करने के प्रयासों का समर्थन करेगा। साथ ही, छात्रों को नौकरियों के लिये बेहतर तरीके से तैयार करने में मदद करेगा।
  • इसका उद्देश्य कमज़ोर वर्गों के छात्रों पर विशेष ध्यान देना है। सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में 52 % से अधिक बच्चें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदाय से सम्बंधित हैं। इसके लिये एक ऐसे पाठ्यक्रम का निर्माण करना आवश्यक है, जो बाज़ार की तेज़ी से विकसित हो रही ज़रूरतों के अनुरूप रोज़गार प्राप्त करने में सहायक हो सके।
  • यह कार्यक्रम शिक्षकों के लिये वैयक्तिकृत व आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण का समर्थन करेगा। इससे शिक्षकों को छात्रों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आकार देने और उनकी शिक्षण आवश्यकताओं को प्रासंगिक बनाने का अवसर प्रदान होगा।
  • भारत की मानव पूँजी में अधिक निवेश करने की ज़रूरत हैं। इससे भविष्य की श्रम बाज़ार की ज़रूरतों को पूरा करने में सहायता मिलेगी। इसके लिये कक्षा 1 से 3 तक की मूलभूत शिक्षा को मज़बूत करने हेतु संज्ञानात्मक और सामाजिक-व्यवहार के साथ-साथ भाषा कौशल को बढ़ावा देना भी इस पहल का एक हिस्सा है।

स्टार्स परियोजना के अंतर्गत सुधारात्मक पहलें

  • स्कूली सुधार की दिशा में स्थानीय स्तर के अनुकूल समाधान प्रदान करके राज्य, ज़िला और उप ज़िला स्तरों पर शिक्षा सेवाओं के वितरण पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
  • अधिकतम जवाबदेही और समावेशन के लिये सभी हितधारकों, विशेष रूप से माता-पिता की माँगों पर विचार करना और उनका समाधान करना।
  • शिक्षकों को इस प्रकार के परिवर्तन का प्रबंधन करने हेतु सुसज्जित और तैयार करना।
  • भारत की मानव पूँजी को विकसित करने के लिये अधिक निवेश करना।
  • यह शिक्षा के लिये सतत विकास लक्ष्य 4 (एस.डी.जी. 4) के अनुरूप तथा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के पीसा (PISA- Programme for International Student Assessment) कार्यक्रम में भारत की भागीदारी वैश्विक स्तर पर भारत के अधिगम स्तरों की तुलना करने सम्बंधी डाटा प्राप्त करने हेतु भारत सरकार द्वारा लिया गया एक ऐतिहासिक रणनीतिक निर्णय है।
  • कई बच्चें माध्यमिक शिक्षा के चरण में ही स्कूल छोड़ देते हैं तथा छोटे-मोटे रोज़गार में संलग्न हो जाते हैं। स्टार्स के तहत, प्रत्येक राज्य से अपेक्षा की जाती है कि वह न केवल इस प्रवृत्ति पर रोक लगाए बल्कि माध्यमिक स्तर की शिक्षा को पूरा करने की दर में भी सुधार करे।

परियोजना से सम्बंधित मुद्दे

  • विशेषज्ञों की राय है कि स्टार्स के दृष्टिकोण का प्रयोग करके राज्य की क्षमताओं को विकसित करना दोषपूर्ण है। इसके लिये कुछ कारण बताए जा रहे हैं।
  • प्रथम मुद्दा शिक्षा के आधारभूत क्षमता और ढ़ाँचे सम्बंधी समस्याओं के समाधान में विफलता है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET), जिला और ब्लॉक शिक्षा कार्यालय तथा स्कूलों में शिक्षकों सहित विभिन्न शिक्षा प्रणालियों में प्रमुख पद खाली पड़े हैं। सक्षम और प्रेरणापूर्ण संकाय के बिना शिक्षकों के शिक्षण व प्रशिक्षण में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
  • इसी तरह, ब्लॉक स्तर पर पहले से ही अति-व्यस्त नौकरशाही से प्रशिक्षित जनशक्ति, सहायक कर्मचारियों और संस्थागत समर्थन में पर्याप्त वृद्धि किये बिना किसी अर्थपूर्ण परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
  • दूसरा, विश्व बैंक ने विकेंद्रीकृत निर्णय लेने की क्षमता की भी अनदेखी की है। विकेंद्रीकृत निर्णयन क्षमता धन के हस्तांतरण और वास्तविक निर्णय लेने की शक्ति के लिये आवश्यक होती है। अधिक विकेंद्रीकरण के द्वारा ‘पर्यवेक्षण अधिकारियों’ की बजाय लोगों के प्रति जवाबदेही को बढ़ाया जा सकता है।
  • इसके लिये न केवल अग्रिम पंक्ति की नौकरशाही की क्षमता में निवेश की आवश्यकता है, बल्कि सामाजिक जवाबदेही को बढ़ावा देते हुए विवेकाधीन शक्तियों में वृद्धि करने की भी आवश्यकता है।
  • तीसरा प्रमुख मुद्दा विश्वास का है। राज्य की क्षमता सम्वर्धन के लिये इस महत्त्वपूर्ण तत्त्व पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस परियोजन में विश्वास की अनदेखी की गई है। विश्व बैंक की निर्भरता ‘सूचना और संचार प्रौद्योगिकी’ (ICT) से प्राप्त आँकड़ों पर अधिक है, जिसमें साक्ष्यों के द्वारा प्रतिपुष्टि का अभाव होता है।
  • यह इस विचार पर आधारित है कि किसी त्रुटिपूर्ण प्रणाली को अधिक और बेहतर तकनीक के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। वास्तव में, प्रौद्योगिकी, प्रणालीगत तथा संस्थागत और शासन की अधिकांश चुनौतियों का समाधान करने के बजाय उन्हें बाईपास कर देती है। अतीत में राज्यों को सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी ने शॉर्ट-कट के तौर पर कार्य नहीं किया है।
  • चौथा मुद्दा प्रदर्शन के मापन में सुधार करने के तरीके से सम्बंधित है। क्या अधिगम क्षमता में सुधार करने के लिये या बुनियादी ढाँचे के परीक्षण हेतु केवल धन का निवेश करना ही उचित है। केवल धन का निवेश ही मानकीकृत आकलन के लिये महत्त्वपूर्ण नहीं है।
  • अंततः केवल निजी पहलों का विस्तार करते हुए सरकारी कार्यों व भागीदारी को कम करना और उसके माध्यम से आधारभूत प्रशासनिक व शैक्षिक कार्यों को आउटसोर्स करना भारत जैसे देश की परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है। शिक्षा को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप अधिक प्रासंगिक बनाने के साथ-साथ स्थानीय स्तर के अधिकारियों को सशक्त बनाकर लोकतांत्रिक रूप से लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने जैसे मूल्यों व लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आउटसोर्सिंग जैसे उपाय उपयुक्त नहीं हैं।

सुझाव

  • डायट (DIET), ब्लॉक व सामुदायिक संसाधन केंद्रों और स्कूलों को यदि आत्मनिर्भर बनाते हुए सुधार करना है तो उन्हें स्वयं की आवश्यकतानुसार क्षमता विकसित करने की ज़रुरत है।
  • प्रशासन को पर्याप्त भौतिक, वित्तीय और मानव संसाधनों से सुसज्जित होना चाहिये। इन संसाधनों के आभाव में बढ़ती हुए इनपुट लागत संसाधनों की बर्बादी है क्योंकि ऐसी स्थिति में उसका उपयोग अक्षम तरीके से किया जाता हैं।
    · प्रशासनिक या शासकीय सुधारों के द्वारा स्थानीय मुद्दों का समाधान करने और आवश्यकतानुरूप नवाचार करने के लिये नौकरशाही को अधिक विवेकाधीन शक्तियाँ प्रदान करनी चाहिये।
  • प्रशासन तथा संस्थाओं पर विश्वास के साथ-साथ अधिकारियों, कर्मचारियों और सहकर्मियों के मध्य तालमेल और विश्वास होना चाहिये।
  • आउटसोर्सिंग, मानकीकृत आकलन द्वारा माप पर अधिक निर्भरता और आई.सी.टी. के अत्यधिक उपयोग से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना आसान नहीं होगा
  • वर्तमान स्वरूप में स्टार्स को अपने मूल उद्देश्य, ‘शिक्षा की गुणवत्ता और शासन प्रणालियों में सुधार’ हेतु अधिक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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