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झारखंड में तम्बाकू पर प्रतिबंध

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : विषय- स्वास्थ्य, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

चर्चा में क्यों

हाल ही के एक आदेश में झारखंड सरकार ने, राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों के लिये तम्बाकू उत्पादों के किसी भी प्रकार के उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार ने सभी राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिये एक शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया है कि वे तम्बाकू के किसी भी रूप का सेवन नहीं करेंगे।
  • तम्बाकू उत्पादों में सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा, पान मसाला, जर्दा या सुपारी के साथ-साथ हुक्का, ई-हुक्का, ई-सिगरेट और वे सभी तम्बाकू उत्पाद शामिल हैं, जिन्हें किसी अन्य नाम से प्रयोग में लाया जा रहा है।
  • सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (Cigarettes and other Tobacco Products Act-COTPA) को लागू करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य स्तर (National Tobacco Control Programme's state chapter) की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
  • यह निर्णय 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी होगा।
  • हालाँकि आदेश के उल्लंघन के मामले में किसी भी प्रकार के दंडात्मक प्रावधान पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है।
  • सरकार पंचायत स्तर के संस्थानों का उपयोग करके कर्मचारियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये भी उपाय कर रही है।
  • ज़िला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों को प्रत्येक ग्राम सभा की बैठक में तम्बाकू नियंत्रण चर्चा आयोजित करने के लिये कहा गया है।
  • प्रतिबंधित तम्बाकू उत्पादों के राज्य में प्रवेश को रोकने के लिये पुलिस को चेकपोस्टों पर सतर्कता बढ़ाने का आदेश दिया गया है।
  • इससे पहले अप्रैल 2020 में, झारखंड ने कोविड -19 संक्रमण की सम्भावना में वृद्धि को देखते हुए, सार्वजनिक स्थलों पर तम्बाकू उत्पादों की बिक्री और उनकी ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

भारत में तम्बाकू नियंत्रण

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन :

  • भारत ने वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल’ (WHO FCTC) की पुष्टि की।

सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 :

  • इस अधिनियम ने सिगरेट अधिनियम 1975 का स्थान लिया। वर्ष 1975 के अधिनियम में काफी हद तक वैधानिक चेतावनियाँ ही शामिल थीं जैसे - 'धूम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है आदि। इन चेतावनियों को सिगरेट के पैकेट और होर्डिंग्स या विज्ञापनों में प्रदर्शित किया जाता था। इस अधिनियम में गैर-सिगरेट तम्बाकू उत्पाद शामिल नहीं थे।
  • वर्ष 2003 के अधिनियम में सिगार, बीड़ी, चेरूट, पाइप तम्बाकू, हुक्का, चबाने वाले तम्बाकू, पान मसाला और गुटखे को भी शामिल किया गया।

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP), 2008

  • उद्देश्य: तम्बाकू की खपत को नियंत्रित करना और तम्बाकू से होने वाली मौतों को कम करना और जागरूकता फैलाना।
  • कार्यान्वयन: एन.टी.सी.पी. को त्रिस्तरीय संरचना- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (NTCC) (ii) राज्य स्तर पर राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (STCC) और (iii) ज़िला स्तर पर ज़िला तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (DTCC) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2020:

  • इस नियम में तम्बाकू उत्पादों पर मुद्रित करने के लिये वर्धित सचित्र चेतावनियों (enhanced pictorial images) के साथ कुछ विशेष स्वास्थ्य चेतावनियों को जोड़ा गया।

mCessation कार्यक्रम

  • यह तम्बाकू की समाप्ति के लिये मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली एक पहल है।
  • भारत ने वर्ष 2016 में सरकार के डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में पाठ संदेश (Text messages) का उपयोग कर mCessation कार्यक्रम शुरू किया।
  • वर्ष 1981 के प्रदूषण अधिनियम में धूम्रपान को वायु प्रदूषक के रूप में मान्यता दी गई।
  • वर्ष 2000 के केबल टेलीविज़न नेटवर्क संशोधन अधिनियम के द्वारा भारत में तम्बाकू और शराब पर विज्ञापनों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत नियम जारी किये हैं, जो यह कहते हैं कि तम्बाकू या निकोटीन का उपयोग खाद्य उत्पादों में सामग्री के रूप में नहीं किया जा सकता है।
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