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जैवभार दहन और अमोनिया का बढ़ता स्तर

(प्रारंभिक परीक्षा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

नासा के एक अध्ययन के अनुसार, पश्चिम अफ्रीका और लेक विक्टोरिया क्षेत्र में 2008 से 2018 के दशक के बीच वायु में अमोनिया की मात्रा (सांद्रता) में काफी वृद्धि हुई है।

अफ्रीका में वृद्धि वाले क्षेत्र

  • 2008 से 2018 के दशक के दौरान वायुमंडलीय अमोनिया की औसत वार्षिक सांद्रता उत्तरी भू-मध्यरेखीय अफ्रीका, विशेष रूप से पश्चिम अफ्रीका में सवाना और वन-सवाना मोज़ेक (Forest–Savanna Mosaics) में सबसे अधिक पाई गई है।
  • विश्लेषण के अनुसार, यह प्रवृत्ति नाइजीरिया के साथ दक्षिणी तट पर और कुछ हद तक आर्द्र सवाना के कुछ हिस्सों में केंद्रित थी। अध्ययन में कहा गया है कि पश्चिम अफ्रीका प्रमुख वैश्विक अमोनिया हॉटस्पॉट में से एक है।

वन-सवाना मोज़ेक (Forest–Savanna Mosaics)

वन-सवाना मोज़ेक भू-मध्यरेखीय अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय आर्द्र चौड़ी पत्ती वाले जंगलों व वन क्षेत्रों के उत्तर एवं दक्षिण में शुष्क सवाना के बीच एक संक्रमणकालिक इकोटोन है। वन-सवाना मोज़ेक में शुष्क वन शामिल हैं, जिनमें प्राय: ‘गैलरी वन’ आते है। ‘गैलरी वन’ नदियों या आर्द्रभूमि के समांतर एक गलियारे के रूप में विकसित होते हैं।

अमोनिया में वृद्धि का कारण

  • अमोनिया में इस वृद्धि को जैवभार दहन (Biomass Burning) के साथ-साथ कृषि प्रथाओं के विस्तार और गहनता से जोड़ा जा रहा है।
  • पश्चिमी अफ्रीका में अमोनिया की सांद्रता में वृद्धि शुष्क मौसम के महीनों (फरवरी और मार्च) के दौरान देखी गई क्योंकि इस समय इस क्षेत्र में खेतों (कृषि क्षेत्रों) में आग (दहन) की परिघटना आम है। इस प्रकार, छोटे क्षेत्र में खेतों की आग वातावरण में अमोनिया की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण हो सकती है। 
  • अध्ययन में जैवभार दहन में वृद्धि और कार्बन मोनोऑक्साइड की सांद्रता में वृद्धि के बीच भी एक संबंध पाया गया क्योंकि इसी अवधि में वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड में भी वृद्धि देखी गई।
  • लेक विक्टोरिया बेसिन में कृषि क्षेत्र के विस्तार और उर्वरक उपयोग के कारण अध्ययन अवधि के दौरान अमोनिया की सांद्रता में वृद्धि देखी गई। नए और मौज़ूदा कृषि भूमियों में उर्वरक प्रयोग में वृद्धि से इस क्षेत्र में अमोनिया प्रदूषण हुआ। नील क्षेत्र में उच्च अमोनिया सांद्रता का कारक कृषि आदानों में वृद्धि को माना जा रहा है।
  • पश्चिमी अफ्रीका में अमोनिया सांद्रता में वृद्धि पहले उर्वरक के उपयोग से जुड़ी हुई थी। हालाँकि, इस अध्ययन में पाया गया कि अमोनिया के स्तर में अधिकांश वृद्धि रोपण अवधि (Planting Season) की शुरुआत से पहले हुई, जबकि पश्चिम अफ्रीका में उर्वरकों का प्रयोग आमतौर पर फसल वृद्धि के मौसम (अप्रैल) की शुरुआत तक नहीं किया जाता है।

अमोनिया में कमी वाले क्षेत्र

  • दक्षिण सूडान में, सूड आर्द्रभूमि (Sudd Wetland) एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसमें अध्ययन अवधि के दौरान अमोनिया में स्पष्ट कमी देखी गई। सूड का लगभग आधा हिस्सा स्थायी रूप से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र है, जबकि बचा हुआ आधा भाग एक बाढ़ का मैदान है, जिसमें बाढ़ की संभावना मौसम (वर्षा) पर निर्भर करती है।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, शुष्क वर्षों के दौरान जब आर्द्रभूमि का एक बड़ा हिस्सा सूख जाता है, तो अमोनिया की सांद्रता बढ़ जाती है। मृदा जैसे-जैसे सूखती है, वह स्वाभाविक रूप से अमोनिया उत्सर्जित करती है। आर्द्र वर्षों के दौरान अमोनिया की सांद्रता में कमी देखी गई।

संबंधित अध्ययन

  • इस अध्ययन के लिये वर्ष 2008 से 2018 तक के उपग्रह डाटा का उपयोग किया गया। नासा का यह अध्ययन ‘एटमॉस्फेरिक केमिस्ट्री एंड फिजिक्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
  • अमेरिका, यूरोप और चीन की तुलना में अफ्रीका में अमोनिया उत्सर्जन का अध्ययन कम किया जाता है। नासा के अनुसार, यह शोध अफ्रीका में बदलते वायुमंडलीय अमोनिया सांद्रता का पहला अध्ययन है।

अमोनिया के प्रमुख स्रोत और हानियाँ

  • रिपोर्ट के अनुसार, अमोनिया के मुख्य स्रोत ‘कृषि अवशेष और जैवभार दहन’ हैं, जो अफ्रीका में महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहे हैं। यूरोप के बाहर अमोनिया का उत्सर्जन अभी भी अनियमित बना हुआ है।
  • कृषि अब तक विश्व स्तर पर अमोनिया का सबसे बड़ा स्रोत है, हालाँकि अमोनिया प्राकृतिक मृदा से उत्सर्जित होती है। जैवभार दहन विश्व स्तर पर इसका दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जिसका आधे से अधिक हिस्सा अफ्रीका में आग के कारण उत्पन्न होता है।
  • वायु में अमोनिया मानव स्वास्थ्य, जलवायु और पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है। अफ्रीका में बढ़ती हुई आबादी के कारण कृषि प्रक्रियाओं में विस्तार से वायुमंडलीय अमोनिया की सांद्रता में वृद्धि की संभावना है।

गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल

यूरोपीय देशों ने ‘गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल’ (Gothenburg Protocol) के ढाँचे के तहत अमोनिया उत्सर्जन में मामूली कटौती के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जो ‘लंबी-दूरी की सीमा पारीय वायु प्रदूषण’ (Long-Range Transboundary Air Pollution) और ‘राष्ट्रीय उत्सर्जन सीमा’ (National Emissions Ceilings) निर्देश पर सम्मेलन का हिस्सा है।

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