चर्चा में क्यों?
- भारतीय नौसेना ने INS उदयगिरि को आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल किया।
- यह प्रोजेक्ट 17A (P-17A) के तहत निर्मित दूसरी स्टेल्थ फ्रिगेट है, जिसे रिकॉर्ड 37 महीनों में तैयार किया गया है।
- इसका निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL) द्वारा किया गया है।

INS उदयगिरि
- प्रोजेक्ट 17A: यह परियोजना भारत की नीलगिरि क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके तहत कुल 7 जहाजों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से INS उदयगिरि दूसरी फ्रिगेट है।
- डिज़ाइन: इसका डिज़ाइन भारतीय नौसेना के Warship Design Bureau ने तैयार किया है।
- यह डिज़ाइन स्टेल्थ तकनीक से युक्त है, जो रडार से बचाव, थर्मल सिग्नेचर को न्यूनतम करना, और ध्वनि-रहित संचालन जैसी क्षमताओं से सुसज्जित है।
- बहुउद्देश्यीय क्षमता: यह युद्धपोत सतह, हवा और पनडुब्बी से हो रहे खतरों का मुकाबला करने में सक्षम है।
- यह ब्लू-वाटर नेवी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, अर्थात यह गहरे समुद्रों में स्वतंत्र और दीर्घकालिक ऑपरेशनों में भाग लेने की क्षमता रखता है।
आयुध और युद्धक क्षमताएं
INS उदयगिरि अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और युद्धक तकनीकों से लैस है, जो इसे एक बहु-आयामी युद्धपोत बनाती हैं। इसमें शामिल हैं:
- सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइलें, जैसे ब्रह्मोस, जो शत्रु के जहाजों को तेज़ गति से और सटीकता से निशाना बना सकती हैं।
- मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (MR-SAM), जो हवाई खतरों — जैसे दुश्मन के लड़ाकू विमान या मिसाइलों — को रोकने में सक्षम है।
- 76 मिमी की मुख्य नौसैनिक तोप, जो सतह पर और हवाई लक्ष्यों के विरुद्ध त्वरित और घातक प्रहार कर सकती है।
- 30 मिमी की क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS), जो अत्यंत निकटवर्ती हमलों, जैसे कम ऊंचाई पर उड़ती मिसाइलों या तेज़ गति वाले विमानों से रक्षा करने हेतु स्वचालित प्रतिक्रिया देती है।
- इसके अलावा, जहाज में उन्नत सेंसर, सोनार, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली स्थापित की गई हैं, जो शत्रु की गतिविधियों को पहले से पहचानने और जवाब देने की क्षमता को बढ़ाती हैं।
नामकरण का महत्व
- ‘उदयगिरि’ नाम आंध्र प्रदेश की उदयगिरि पर्वतमाला से प्रेरित है।
- यह नाम पहले भी भारतीय नौसेना के एक युद्धपोत को दिया गया था, जो अब सेवा से बाहर हो चुका है।
- यह नाम भारत की सांस्कृतिक विरासत और नौसेना की परंपराओं को जोड़ता है।
सामरिक महत्व
- INS उदयगिरि के नौसेना में शामिल होने से भारत की हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति और नौसैनिक शक्ति में इजाफा हुआ है।
- यह भारत को एक ब्लू-वाटर नेवी बनाने की दिशा में आगे बढ़ाता है, जो किसी भी महासागर में स्वतंत्र रूप से ऑपरेशन चला सके।
- यह चीन और अन्य समुद्री शक्तियों की तुलना में भारत की नौसैनिक क्षमता को संतुलित करने में सहायक है।
प्रश्न. INS उदयगिरि का निर्माण किस शिपयार्ड द्वारा किया गया है?
(a) कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड
(b) गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स
(c) गोवा शिपयार्ड लिमिटेड
(d) मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
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