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हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) और भारत की तैयारी

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ)

संदर्भ

हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Floods: GLOF) हिमालयी क्षेत्रों में एक बढ़ता हुआ खतरा है, जो जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण तीव्र हो रहा है। नेपाल में 8 जुलाई, 2025 को लेंडे नदी पर GLOF की एक घटना ने चीन द्वारा निर्मित एक पुल को नष्ट कर दिया और 8% जलविद्युत आपूर्ति को प्रभावित किया।

क्या हैं GLOF घटनाएँ 

  • क्या है : GLOF एक ऐसी बाढ़ है जो हिमनद झील के मोरेन (मलबे) या बर्फ से बने बांध के टूटने से अचानक पानी निकलने के कारण होती है।
  • कारण :
    • ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से झीलों में पानी के दबाव में वृद्धि 
    • बांध को अस्थिर करने वाले हिमस्खलन, भूस्खलन या भूकंप 
    • पिघलने की गति को तीव्र करने वाला अत्यधिक वर्षा या गर्म मौसम 
  • विशेषताएँ :
    • अचानक एवं विनाशकारी : नदियों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ता है।
    • अधिक ऊँचाई : ज्यादातर 4,500 मीटर से अधिक ऊँचाई पर।
    • सीमित चेतावनी समय : निचले क्षेत्रों में प्रतिक्रिया के लिए कम समय।

भारत के लिए GLOF की प्रकृति

  • हिमनद झीलों की संख्या : भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) में 11 नदी घाटियों में 28,000 हिमनद झीलों में से 7,500 भारत में हैं।
  • प्रमुख प्रकार
    • सुप्राग्लेशियल झीलें (Supraglacial Lakes) : गर्मियों में पिघलने के प्रति संवेदनशील ग्लेशियर की सतह पर निर्मित झीलें
    • मोरेन-बांध वाली झीलें (Moraine-Dammed Lakes) : ग्लेशियर के सिरे पर मलबे या बर्फ द्वारा बंधी झीलें, जिनके अचानक टूटने की संभावना होती है।
  • जोखिम क्षेत्र : हिमाचल प्रदेश (48 झीलें), सिक्किम (40), लद्दाख (35), अरुणाचल प्रदेश (28), जम्मू एवं कश्मीर (26) और उत्तराखंड (13)
  • जोखिम कारक : 66% GLOF हिमस्खलन/ भूस्खलन से, शेष अत्यधिक पिघलने या भूकंप से
  • उच्च जोखिम : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने हिमालयी क्षेत्रों में 7,500 हिमनद झीलों में से 195 को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में चिह्नित किया है।

प्रभाव

  • आर्थिक नुकसान:
    • सिक्किम में वर्ष 2023 के दक्षिण ल्होनक GLOF से $2 बिलियन का चुंगथांग बांध नष्ट हो गया।
    • वर्ष 2013 के केदारनाथ हादसे में सैकड़ों मौतें और अरबों रुपए के बुनियादी ढांचे का नुकसान
  • मानवीय हानि : भारत में 3 मिलियन लोग GLOF जोखिम में, विशेष रूप से हिमाचल, सिक्किम एवं उत्तराखंड में
  • पर्यावरणीय प्रभाव : नदी तल का ऊँचा होना (जैसे- सिक्किम में तीस्ता), जैव विविधता क्षति और स्थायी भू-आकृति परिवर्तन
  • बुनियादी ढाँचा : जलविद्युत संयंत्र, पुल एवं सड़कें नष्ट होने से क्षेत्रीय विकास पर प्रभाव
  • सामुदायिक प्रभाव : निचले क्षेत्रों में आजीविका, कृषि एवं आवास को खतरा

भारत की GLOF के खिलाफ तैयारी

  • राष्ट्रीय GLOF जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रम (NGRMP)
    • वर्ष 2024 में शुरूआत, $20 मिलियन की लागत, 195 उच्च जोखिम वाली झीलों पर ध्यान
    • उद्देश्य : जोखिम आकलन, स्वचालित मौसम और जल स्तर निगरानी स्टेशन (AWWS), प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS), झीलों का जल स्तर कम करना और सामुदायिक सहभागिता
  • प्रमुख कदम
    • जोखिम आकलन : उच्च जोखिम वाली 40 झीलों की गर्मियों में वर्ष 2024 में वैज्ञानिक अभियान
    • निगरानी : सिक्किम के दक्षिण ल्होनक एवं शाको चो झीलों पर AWWS स्थापित, हर 10 मिनट में डाटा एवं तस्वीरें
    • झीलों का जल स्तर कम करना : सिक्किम में वर्ष 2016 में दक्षिण ल्होनक झील का जल स्तर 50% कम किया गया (HDPE पाइप द्वारा साइफनिंग)
    • प्रौद्योगिकी : SAR इंटरफेरोमेट्री एवं UAV सर्वेक्षणों का उपयोग ढलान स्थिरता व झील की मात्रा के लिए
    • सहयोग : NDMA का आपदा जोखिम न्यूनीकरण समिति (CoDRR) के तहत केंद्रीय वैज्ञानिक एजेंसियों, सेना, ITBP और राज्यों के साथ समन्वय
  • सामुदायिक सहभागिता : स्थानीय समुदायों को अभियानों में शामिल करना और जागरूकता बढ़ाना
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : स्विस-भारतीय SCA हिमालय परियोजना के तहत सिक्किम में पायलट परियोजनाएँ

चुनौतियाँ

  • पहुँच की कमी : 4,500 मीटर से ऊपर की झीलें केवल गर्मियों में पहुँच योग्य
  • डाटा की कमी : अधिक ऊँचाई पर मौसम और जल निगरानी स्टेशनों का अभाव
  • जागरूकता की कमी : निचले क्षेत्रों में समुदायों को GLOF जोखिमों की जानकारी न होना
  • वित्त पोषण : बड़े पैमाने पर निगरानी एवं न्यूनीकरण के लिए सीमित बजट
  • सीमा-पार सहयोग : नेपाल एवं तिब्बत जैसे क्षेत्रों में GLOF के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का अभाव
  • प्रौद्योगिकी अंतर : SAR इंटरफेरोमेट्री और AI जैसी उन्नत तकनीकों का सीमित उपयोग

आगे की राह

  • विस्तारित निगरानी : सभी 195 उच्च जोखिम वाली झीलों पर AWWS एवं EWS स्थापित करना
  • वित्त पोषण : 16वें वित्त आयोग (2027-2031) के तहत NGRMP के लिए अधिक बजट
  • प्रौद्योगिकी विकास : AI, ड्रोन एवं सैटेलाइट IoT का उपयोग GLOF भविष्यवाणी और सर्वेक्षण के लिए
  • सामुदायिक प्रशिक्षण : स्थानीय समुदायों और ITBP को मैनुअल प्रारंभिक चेतावनी के लिए प्रशिक्षित करना
  • सीमा-पार सहयोग : नेपाल, भूटान एवं चीन के साथ डाटा साझाकरण और EWS के लिए समझौते
  • नियामक ढाँचा : GLOF जोखिम न्यूनीकरण के लिए स्पष्ट नीतियाँ एवं दिशानिर्देश
  • जागरूकता अभियान : हिमालयी समुदायों में GLOF जोखिमों और तैयारी पर शिक्षा
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