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बिटकॉइन और कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन

(प्रारंभिक परीक्षा- पर्यावरणीय पारिस्थितिकीऔर जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

ऐसे समय में जब वैश्विक रूप से बिटकॉइन जैसी नवीनतम वित्तीय प्रवृत्तियाँ तेज़ी से आकार ले रही हैं, बिटकॉइन माइनिंग की वजह से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।

बिटकॉइन और कार्बन फुटप्रिंट

  • बिटकॉइन से होने वाला वार्षिक कार्बन फुटप्रिंट लगभग मुंबई के कार्बन फुटप्रिंट के बराबर है। यदि इसे वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह स्लोवाकिया के कार्बन फुटप्रिंट के बराबर है।
  • डच अर्थशास्त्री एलेक्स डी व्रीस के अनुसार, बिटकॉइन एक वर्ष में लगभग 10 मीट्रिकटन के बराबर कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न करते हैं। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में मुंबई का वार्षिक कार्बन फुटप्रिंट लगभग 32 मीट्रिकटन था।
  • ‘बिटकॉइन एनर्जी कंजंप्शन इंडेक्स’, बिटकॉइन नेटवर्क के ऊर्जा उपभोग का अनुमान लगाने वाला प्रथम व्यवस्थित प्रयास है।हाल ही में, माइक्रोसॉफ्ट केसह-संस्थापक बिल गेट्स ने भी कहाकि अन्य ज्ञात विधियों की तुलना में प्रति बिटकॉइन हस्तांतरण (Transaction) में अपेक्षाकृत अधिक विद्युत खपतहोती है।

क्या होता है कार्बन फुटप्रिंट?

  • कार्बन फुटप्रिंट से तात्पर्य किसी संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों के रूप में किये गए कुल कार्बन उत्सर्जन से है।
  • ये ग्रीनहाउस गैसे मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होती हैं। व्यक्तियों के लगभग सभी व्यवहार, जिनमें खानपान से लेकर कपड़े पहनना तक शामिल हैं, कार्बन फुटप्रिंट के कारकों में शामिल हैं।

बिटकॉइन निर्माण और विद्युतआवश्यकताके बीच संबंध

  • बिटकॉइन को एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से बनाया जाता है। इस प्रक्रिया को माइनिंग’ (Mining) कहते है।डिजिटल कॉइन कोमाइन’ (Mine- बनाने/कोडिंग के संदर्भ में प्रयुक्त) करने के लिये माइनर्स (Miners- डिजिटल कॉइन की कोडिंग करने वाले) को उन्नत व तीव्र गति वाले कंप्यूटर प्रोसेसर (High-end Processors) की आवश्यकता होती है जिसमें बहुत अधिकविद्युत खपत होती है।बिटकॉइन और एथरियम क्रिप्टोकरेंसी के ही कुछ उदाहरण हैं।
  • कॉइन माइनिंग में जटिल गणना के लिये लंबे समय तक कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। पहले से ही पर्याप्त संख्या में कॉइन की उपलब्धता के कारण नए कॉइन की माइनिंग में अधिक समय लगता है,फलस्वरूप इस प्रक्रिया में उतनी ही अधिक विद्युत खपत होती है। ज़्यादा लाभ प्राप्ति के लिये लोग अधिक माइनिंग का प्रयास करते हैं।
  • वर्ष 2017 में बिटकॉइन नेटवर्क ने लगभग 30 टेरावाट घंटे (TWh) विद्युत उपभोग किया, किंतु वर्तमान में इसकी खपत दोगुनी से भी अधिक होने का अनुमान है, जो लगभग नॉर्वे की विद्युत खपत के बराबर है।
  • प्रत्येक बिटकॉइन हस्तांतरण में औसतन 300 किग्रा. कार्बन डाइऑक्साइड की आवश्यकता होती है, जो 750,000 क्रेडिट कार्ड को स्वाइप करने में उत्पन्न कार्बन फुटप्रिंट के बराबर है।यदि बिटकॉइन को एक देश माना जाए तो यह ऑस्ट्रिया या बांग्लादेश की तुलना में अधिक विद्युत का उपभोग करता है।

कार्बन फुटप्रिंट की गणना

  • बिटकॉइन माइनिंग में व्यापक पैमाने परऊर्जा खपत की प्रकृति के साथ-साथ अधिक समस्या माइनिंग की अधिकांश सुविधाओं का उन क्षेत्रों में उपस्थित होना है, जो ताप विद्युत (कोयला आधारित) विद्युत पर अधिक निर्भर हैं।
  • बिटकॉइन नेटवर्क के कार्बन प्रभाव को निर्धारित करना भी एक जटिल कार्य है क्योंकि माइनर्स को ट्रैक करना आसान नहीं है।बिटकॉइन माइनिंग की लागत का लगभग 60% हिस्सा उपयोग की जाने वाली विद्युत की कीमत है।

बिटकॉइन माइनिंग के अन्य प्रभाव

  • माइनिंग प्राय: अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करती है।नए ब्लॉकचेन को तैयार करने के लिये अधिक समय तक उच्च तकनीक वाले कंप्यूटर का उपयोग करने से इनका जीवन काल कम हो जाताहै।
  • बिटकॉइन माइनिंग उपकरण निर्माताओं को इनका उत्पादन करने के लिये पर्याप्त संख्या में चिपकी आवश्यकता होती है। साथ ही,कोविड-19 के कारण इन चिप्स की कमी ने अब विश्व भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
  • साथ ही, इसने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, परिवहन और घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है।
  • इसके अतिरिक्त,ईरान जैसे देश आर्थिक प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिये क्रिप्टोकरेंसी का अधिक उपयोग कर रहे है।

कार्बन फुटप्रिंट को कैसे नियंत्रित करें?

  • इसका पहला उपाय माइनिंग कार्यों पर रोक लगाना है, जिस तरह कनाडा के क्यूबेक में किया गया है। विद्युत की दरों को बढ़ाने के अतिरिक्त ऐसे उपकरणों को ज़ब्त करना भी इसका एक उपाय हो सकता है।
  • सरकारें डिजिटल एसेट मार्केटप्लेस से क्रिप्टोकरेंसी पर भी प्रतिबंध लगा सकती हैं क्योंकि यह डिजिटल मुद्रा की कीमतों को प्रभावित करेगा।
  • सरकारों को इस तरह केकठोर क्रिप्टोकरेंसी कानून बनाने पर ज़ोर देना चाहिये जो माइनिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ इसे आपराधिक गतिविधि मानते होंहै।
  • साथ ही, मौजूदा ‘फेमा’ (FEMA) तथा सेबी के कानूनों में संशोधन कर इसके लिये धन के प्रवाह व पूँजी जुटाने संबंधी विकल्पों को भी विनियमित किया जा सकता है।
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