New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 5th Dec., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

कोविड-19 : प्लाज्मा थैरेपी

(प्रारंभिक परीक्षा : सामाजिक विकास-सतत् विकास, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहलें आदि; सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

हाल ही में, आई.सी.एम.आर. के साथ काम करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने भारत सरकार को प्लाज्मा थेरेपी को बंद करने की सलाह दी थी। इसके आधार पर सरकार ने कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग नहीं करने संबंधी दिशा-निर्देश किये हैं।

सलाह के मुख्य बिंदु

  • आई.सी.एम.आर. ने प्लाज्मा थेरेपी से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि प्लाज्मा थेरेपी ने ना तो लोगों की जान बचाई है और ना ही रोगी के स्वास्थ्य में सुधार किया है। जबकि डॉक्टरों ने रोगी के परिवारजनों पर रोगी प्लाज्मा थेरेपी कराने का अनावश्यक दबाव भी बनाया गया था।
  • विशेषज्ञों ने ब्रिटेन के 'द लैसेंट' में प्रकाशित एक शोध पत्र का ज़िक्र करते हुए कहा कि ब्रिटेन ने लगभग 11000 व्यक्तियों की प्लाज्मा थेरेपी की, लेकिन यह कोविड-19 के उपचार में कारगर साबित नहीं हुई।

प्लाज्मा

‘प्लाज्मा’ रक्त में उपस्थित एक तरल पदार्थ होता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं तक पोषक तत्त्व पहुँचाने का कार्य करता है। रक्त में लगभग 55% प्लाज्मा मौजूद होता है। जिसका लगभग 90-92% हिस्सा पानी, लवणों (इलेक्ट्रोलाइट्स) और प्रोटीन से बना होता है।

प्लाज्मा के कार्य

  • ‘एल्बुमिन’ और ‘फाइब्रिनोजेन’ प्लाज्मा के मुख्य प्रोटीन होते हैं, जो रक्त वाहिकाओं से ऊतकों में तरल पदार्थ के रिसाव को रोकने तथा संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
  • प्लाज्मा में इम्यूनोग्लोबुलिन नामक एंटीबॉडी भी पाई जाती है, जो विषाणु, जीवाणु, कवक, कैंसर कोशिकाओं आदि से शरीर की रक्षा करती हैं तथा यह रक्त स्राव के दौरान खून के थक्के को भी नियंत्रित करती है।
  • यह रक्त कोशिकाओं के लिये एक परिवहन प्रणाली है तथा रक्तचाप (Blood Pressure) को सामान्य बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्लाज्मा थैरेपी

  • इसका प्रयोग सर्वप्रथम वर्ष 1819 में एक जर्मन फिजियोलॉजिस्ट ‘एमिल वॉन बेहिंग’ ने डिप्थीरिया से होने वाले संक्रमण को रोकने में किया था।
  • तत्पश्चात् वर्ष 1918 में आई महामारी 'स्पेनिश फ्लू' तथा वर्ष 1920 के 'डिप्थीरिया' के प्रकोप से बचने में भी प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया गया था।
  • इस थेरेपी के अंतर्गत, संक्रमण से ठीक हुए रोगी के शरीर से प्लाज्मा निकालकर एक प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से रक्त में मौजूद लाल रक्त कणिकाएँ, प्लेटलेट्स जैसे भारी तत्त्वों तथा हल्के पीले रंग के प्लाज्मा की अलग कर लिया जाता है तथा इस प्लाज्मा को संग्रहित कर लिया जाता है।
  • प्लाजमा को 24 घंटे के भीतर सुरक्षित करना अनिवार्य होता है। तत्पश्चात् अगले 1 वर्ष तक इसका प्रयोग रोगी के इलाज में किया जा सकता है। यद्यपि इस प्रक्रिया में पृथक किये गए लाल रक्त कणिका, प्लेटलेट आदि को प्लाज्मा दाता के शरीर में पुनः स्थापित कर दिया जाता है।
  • यह ‘प्लाज्मा’ प्रोटीन तथा एंटीबॉडी से युक्त होता है। इसे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट करा दिया जाता है, जो रोगी की बीमारी से लड़ने में सहायता करता है तथा रोगी के प्लाज्मा में भी एंटीबॉडी का निर्माण होने लगता है।

प्लाज्मा थेरेपी की वर्तमान चिंताएँ

  • विशेषज्ञों ने चिंता जताई कि कोरोना वायरस में हुए उत्परिवर्तन में प्लाज्मा थेरेपी की संभावित भूमिका हो सकती है, हालाँकि अभी इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं।
  • प्लाज्मा दाता व प्लाज्मा ग्राही को आपस में जोड़ने के लिये विभिन्न मोबाइल ऐप, सोशल साइट्स का उपयोग किया गया, जो लोगों की प्राइवेसी संबंधी समस्या उत्पन्न हुई।
  • प्लाज्मा की बढ़ती लोकप्रियता से प्लाज्मा की कालाबाज़ारी, मनमानी कीमत वसूल करना, नकली प्लाज्मा देना इत्यादि समस्याएँ उत्पन्न हुईं और अंततः लोगों की मौतों में भी इज़ाफा होने लगा। इसके अलावा, डॉक्टरों तथा प्लाज्मा ग्राही लोगों के मध्य कमीशन एजेंटों की संख्या में भी वृद्धि हुई।

निष्कर्ष

  • विशेषज्ञों के द्वारा किये जाने वाले ऐसे विश्लेषण लोगों को उपचार की प्रकृति के बारे में अवगत कराते हैं तथा रोगियों की देखभाल करने बेहतर तरीके सिखाते हैं।
  • इससे चिकित्सकों पर दबाव कम होता है तथा बेहतर उपचार प्रणाली विकसित करने में सहायता मिलती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR