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विक्रेंदीकृत खरीद योजना

(प्रारंभिक परीक्षा- गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक)

संदर्भ

हाल ही में, खाद्य, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण की संसदीय स्थायी समिति (स्टेडिंग कमेटी) ने ‘विक्रेंदीकृत खरीद योजना’ से अधिक-से-अधिक राज्यों को जोड़ने की सिफारिश की है।

विक्रेंदीकृत खरीद योजना

  • ‘विक्रेंदीकृत खरीद योजना’ (Decentralized Procurement System: DCP) की शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी। इसका उद्देश्य राज्य सरकारों द्वारा स्वयं खाद्यान्न की खरीद, संग्रहण और वितरण करना था। राज्य सरकारें अपनी लक्षित योजनाओं के लिये खाद्यान्न का वितरण करती हैं। 
  • इसका दूसरा उद्देश्य राज्य सरकारों द्वारा अपने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत खरीददारी को बढ़ावा देना है। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की परिवहन लागत की भी बचत होती है। साथ ही, राज्य सरकारों के पास बचे हुए खाद्यान्न को भारतीय खाद्य निगम (FCI) सेंट्रल पूल के लिये खरीद लेती है।
  • डी.सी.पी. योजना के तहत अनाज की खरीद, संग्रहण और वितरण पर राज्य सरकारों द्वारा होने वाले व्यय के बराबर धनराशि भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों को उपलब्ध करा दी जाती है।

लाभ

  • एम.एस.पी. का भुगतान, संग्रहण के लिये स्थान की व्यवस्था, बारदाना और मजदूरों के इंतजाम से बचने के लिये राज्य सरकारें डी.सी.पी. योजना में शामिल नहीं होना चाहती हैं। 
  • स्थायी समिति का मानना है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मज़बूती प्रदान करने में डी.सी.पी. योजना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, क्योंकि इससे राज्य सरकारें अपने राज्य की उपज स्थानीय लोगों को वितरित कर सकेंगी। 
  • इससे लोगों को स्वाद व पोषण की आपूर्ति स्थानीय फसलों व अनाजों से की जा सकेगी, जिससे कुपोषण में कमी के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र को भी मज़बूती प्राप्त होगी।   

इस योजना से जुड़े हुए राज्य

  • इस योजना को शुरु हुए 23 वर्ष हो चुके हैं किंतु अब तक डी.सी.पी. मोड के तहत 15 राज्य चावल की खरीद व वितरण करते हैं, जबकि 8 राज्य गेहूँ की खरीद व वितरण करते हैं।
  • उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, अंडमान निकोबार और त्रिपुरा चावल की खरीद व वितरण करते हैं, जबकि पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र गेहूँ की खरीद व वितरण करते हैं।

सुझाव

  • केंद्र सरकार को सभी राज्यों को इस योजना से जोड़ने का प्रयास करना चाहिये। इससे वितरण पर होने वाले व्यय में अत्यधिक कमी आने के साथ-साथ एम.एस.पी. का लाभ भी अधिकांश घरों व किसानों तक पहुँच पाएगा।
  • इसके लिये केंद्र सरकार व संबंधित मंत्रालय को एक तय समय-सीमा के भीतर राज्यों को आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करते हुए इस योजना में शामिल करने का प्रयास करना चाहिये।
  • समिति के अनुसार, केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से बात करने और डी.सी.पी. मोड के तहत राज्यों के समक्ष आ रही समस्याओं को समझने और उनका निवारण करने की आवश्यकता है।
  • समिति ने सरकार द्वारा समय-समय पर डी.सी.पी. योजना की समीक्षा करने पर भी बल दिया है। हालाँकि, नीति आयोग ने डी.सी.पी. योजना के कामकाज की समीक्षा के लिये एक मूल्यांकन सलाहकारी समिति का गठन किया है।
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