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शैडो उद्यमिता का विकास

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार )

संदर्भ

शैडो उद्यमशीलता का वैश्विक उदय न केवल शिक्षा क्षेत्र बल्कि वित्त (आसान ऋण के लिये), सट्टेबाजी अर्थव्यवस्था (ऑनलाइन खेल) और स्वास्थ्य सेवा (ई-फार्मेसियों) जैसे अन्य क्षेत्रों में भी हो रहा है। इसकी क्षमता को देखते हुए शैडो उद्यमिता के विनियमन की आवश्यकता है।

शैडो उद्यमी (Shadow Entrepreneurs)

  • ‘शैडो उद्यमी’ से तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों से हैं जो वैध वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित व्यवसाय का प्रबंधन करते हैं परंतु वे अपने व्यवसायों का पंजीकरण नहीं कराते हैं।
  • इस प्रकार वे कर का भुगतान नहीं करते हैं तथा सरकारी अधिकारियों की पहुँच से बाहर शैडो अर्थव्यवस्था में अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करते हैं।
  • इन व्यवसायों में प्रमुख रूप से बिना लाइसेंस वाली टैक्सी सेवा, सड़क के किनारे फ़ूड स्टाल जैसी कई गतिविधियाँ शामिल हैं। वर्ष 2014 में 68 देशों के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में शैडो उद्यमियों की संख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है, जबकि सबसे कम संख्या यू.के. में हैं।

शैडो उद्यमिता के उदय का कारण

  • माँग और आपूर्ति- कोविड-19 जैसी परिस्थितियों के चलते माँग एवं आपूर्ति में अंतराल के कारण बढ़ती कीमतों और उपलब्धता में कमी जैसे कारकों से निपटने के लिये एक नए व समानांतर बाजार का विकास हो जाता है।
  • प्रौद्योगिकी सक्षम सेवा- शैडो उद्यमी प्रौद्योगिकी के माध्यम से ऐसे पूरक व अतिरिक्त सेवाओं की पेशकश करते हैं, जहाँ पारंपरिक सेवा प्रदाताओं को सेवा प्रदान करने में समस्या होती है तथा जिन सेवाओं तक उपभोक्ताओं की पहुँच सीमित होती है। शैडो उद्यमिता में प्रौद्योगिकी-सक्षम नए बाजारों के विकास से नए और तकनीक सुलभ उपभोक्ताओं का प्रवेश होता है।
  • कर विधान और कानून- कराधान और कानूनों का प्रवर्तन व क्रियान्वयन भी इसके विकास का एक कारण है। कर की उच्च दर के साथ-साथ कानूनों के प्रवर्तन में ढिलाई कर से बचने और औपचारिक व्यवसायों में निवेश को हतोत्साहित करती है, जो अनौपचारिक क्षेत्र में उद्यमशीलता की गतिविधि को प्रेरित करती है।

लाभ

  • रोजगार प्रदाता- भारत में अनौपचारिक क्षेत्र की अधिकांश नौकरियाँ शैडो उद्यमिता के अंतर्गत ही आती हैं और इस प्रकार यह रोजगार प्रदान करने में सहायक है। भारत के परिप्रेक्ष्य में यह इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शैडो उद्यमिता गैर कृषि रोजगार प्रदान करके कृषि पर दबाव को कम करता है।
  • अतिरिक्त विकल्प- आर्थिक विकास में सहायक होने के साथ-साथ यह गरीबी को भी कम करने में भी सहायक हो सकता है। साथ ही, शैडो उद्यमिता के विकास से उपभोक्ताओं को एक से अधिक विकल्प उपलब्ध होता है जो उनकी सौदेबाजी क्षमता में वृद्धि करता है।

हानि

  • आर्थिक विकास में बाधक- शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में बड़ी संख्या में शैडो उद्यमी कार्यरत हैं, जो अपने व्यवसाय को आधिकारिक रूप से पंजीकृत नहीं करा रहे हैं, जिससे आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न हो रही हैं।
  • राजस्व की क्षति- शैडो अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप कर राजस्व का नुकसान होता है और पंजीकृत व्यवसायों के लिये अनुचित प्रतिस्पर्धा के विकास तथा घटिया उत्पादकता के कारण आर्थिक विकास में बाधा आती हैं।
  • भ्रष्टाचार में वृद्धि- इन व्यवसायों के पंजीकृत नहीं होने के कारण ये कानून की पहुँच से परे होते है, जो भ्रष्टाचार में वृद्धि करता है।
  • प्रतिस्पर्धा में कमी- इस बाज़ार के विकास से प्रतिस्पर्धा में कमी आती हैं। इसके अतिरिक्त यह संदिग्ध और अवैधअर्थव्यवस्था के विकास में भी योगदान देता है। हाल ही में एप-आधारित त्वरित लोन सुविधा और उसकी छुपी शर्तों व उच्च ब्याज दर के कारण मौत के कई मामलें सामने आए हैं।
  • निवेश में कमी- अनौपचारिक उद्यमी अपने व्यवसायों में औपचारिक लोगों की तुलना में बहुत कम निवेश करते हैं, जिसका अर्थ है कि औपचारिकता का परिसंपत्ति के आकार से सकारात्मक संबंध है।

उपाय

  • संस्थानों की गुणवत्ता में वृद्धि- विश्व भर में अपने व्यवसायों को पंजीकृत करने वाले उद्यमियों पर आर्थिक और राजनीतिक संस्थानों की गुणवत्ता का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि शैडो उद्यमी राजनीतिक और आर्थिक संस्थानों की गुणवत्ता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। जहाँ आर्थिक और राजनैतिक ढाँचे विकसित हैं, व्यक्तियों के औपचारिक उद्यमी बनने और उनके द्वारा व्यवसाय को पंजीकृत करने की अधिक संभावना होती है, क्योंकि ऐसा करके वे लाभ की स्थिति में आ सकते हैं।
  • आर्थिक नीतियाँ- सरकार की नीतियाँ शैडो अर्थव्यवस्था उद्यमियों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में संक्रमण में मदद कर सकती हैं। यह इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शैडो उद्यमियों के लिये नवाचार करने, पूंजी जमा करने और अर्थव्यवस्था में निवेश करने की संभावना कम होती है, जो आर्थिक विकास को बाधित करती है।
  • उचित विनियमन- स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या वित्त क्षेत्र में शैडो उद्यमशीलता को विनियमित करने के लिये अधिकारियों और एजेंसियों के बीच गतिविधियों के बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
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