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मिस्र में गोल्डेन सिटी की खोज

(प्रारंभिक परीक्षा- अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : विश्व के इतिहास की प्रमुख घटनाएँ)

संदर्भ

कुछ समय पूर्व मिस्र के पुरातत्त्वविदों ने नील नदी के पश्चिमी तट पर एक नगर की खोज की थी और दावा किया था कि यह नगर लगभग 3000 वर्ष पुराना है। इसे ‘स्वर्ण नगरी’ (Golden City) कहा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह नगर मिस्र के दक्षिणी राज्य ‘लग्ज़र’ (Luxor) में खोजा गया है। पुरातत्त्वविदों के अनुसार, इस नगर का नाम ‘एटन’ है। इस शहर पर ‘18-राजवंशों के युग’ के राजा ‘एमेनोटेप-III’ (Amenhotep-III), उनके पोते ‘तूतनखामेन’ और उसके पश्चात् राजा ‘अय’ ने शासन किया था। कुछ इतिहासकार इस नगर की तुलना प्राचीन इटली के ‘पोम्पेई नगर’ से भी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों में इटली के प्राचीन शहर पोम्पेई में एक रथ की खोज भी हुई थी।
  • यहाँ से भोजन संग्रहण के लिये ओवन (Oven), मिट्टी के अलंकृत पात्र, बेकरी व एक बड़ा रसोईघर मिला है। इसके अतिरिक्त, गृह सुरक्षा के दृष्टिकोण से कंटीली तारों से युक्त दीवार, अंगूठियों जैसे विभिन्न आभूषण, रंगीन बर्तन, ताबीज़ इत्यादि भी प्राप्त हुए हैं। इसी स्थल से एमेनोटेप-III की मोहर लगी मिट्टी की ईंटें, शराब की बोतलों के मिट्टी के ढक्कन जैसी सामग्रियाँ भी मिली हैं। शहर के उत्तरी हिस्से में प्रशासनिक और आवासीय स्थल मिलने की संभावना है।
  • इस प्राचीन शहर के खंडहरों में बाँहें फैलाए एक व्यक्ति का कंकाल मिला है, जिसके घुटनों पर रस्सी लिपटी हुई है। इसके अलावा, शहर के एक हिस्से से ‘फैरोह’ (Pharaoh) के शासनकाल के उपकरण तथा दूसरे हिस्से से एक बड़ा कब्रिस्तान भी मिला है। वस्तुतः ‘फैरोह’ प्राचीन मिस्र में राजा या प्रभावशाली व्यक्ति होते थे।

महत्त्व

  • नील नदी के पश्चिमी तट पर अवस्थित इस शहर ‘एटन’ के निकट से ‘द कॉलोनी ऑफ़ मेमन’ (एमेनोटेप-III की दो विशाल खंडित प्रस्तर मूर्तियाँ), मेदिनीत हाबू और राजा रामसेस द्वितीय के स्मारक मंदिर भी मिले हैं। ये सभी मिस्र के लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। ऐसे में, इस नई खोज से मिस्र में पर्यटन क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है।
  • इसे लगभग 100 वर्ष पूर्व खोजे गए बादशाह तूतनखामेन (Tutankhamun) के मकबरे के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक खोज माना जा रहा है। विदित है कि उक्त मकबरे की खोज वर्ष 1922 में ‘राजाओं की घाटी’ में की गई थी।
  • यहाँ से तूतनखामेन के पूर्वज एमेनोटेप-III की मुहर युक्त कुछ ईंटे प्राप्त हुई हैं। एमेनोटेप-III को मिस्र के सबसे शक्तिशाली ‘फैरोह’ में से एक माना जाता है। कुछ विद्वानों का मत है कि इस शहर का उपयोग तूतनखामेन और उनके उत्तराधिकारियों द्वारा किया जाता था और उनका शासनकाल ‘प्राचीन मिस्र का स्वर्ण युग’ कहा जाता था। यहाँ से प्राप्त स्रोतों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह शहर अत्यंत समृद्ध रहा होगा।
  • यहाँ से काँच (Glass) व चीनी मिट्टी के चमकीले पात्रों के निर्माण के लिये बड़ी संख्या में ओवन और भट्ठियाँ प्राप्त हुई हैं। इस शहर से मिली अन्य चमकीली वस्तुओं (Faience) में बारीक चमकीले सिरेमिक मोती, विभिन्न आकृतियाँ तथा अन्य छोटी वस्तुएँ शामिल हैं। इसके अलावा, यहाँ से प्राप्त कताई-बुनाई वाले औज़ार भी मिले हैं। ये सभी साक्ष्य इस बात के सूचक हैं कि यहाँ औद्योगिक गतिविधियाँ भी पर्याप्त मात्रा में संचालित होती थीं।
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