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फ़ूड फोर्टिफिकेशन तथा सम्बंधित पहलू

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : स्वास्थ्य, जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा सम्बंधी विषय)

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने अगले तीन वर्षों में कुछ पोषक तत्वों से चावल के अनिवार्य फोर्टिफिकेशन या पौष्टिकीकरण की योजना बनाई है।

फ़ूड फोर्टिफिकेशन (Food Fortifiction)

‘फ़ूड फोर्टिफिकेशन’ अथवा ‘खाद्य पौष्टिकीकरण’ से तात्पर्य किसी खाद्य पदार्थ में विटामिन या खनिज जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने की प्रक्रिया से है, ताकि इन खाद्य पदार्थों के पोषण मान में सुधार हो सके और न्यूनतम लागत पर सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया सके।

योजना के प्रमुख बिंदु

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) अगले तीन वर्षों में चावल के फोर्टिफिकेशन को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव पर कार्य कर रहा है। इससे प्रत्येक वित्त वर्ष में अनुमानित 2,500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। एफ.एस.एस.ए.आई. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत देश का शीर्ष खाद्य नियामक है।
  • सरकार की योजना लौह, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 जैसे पोषक तत्वों से चावल के अनिवार्य फोर्टिफिकेशन की है। इससे अनुमानत: फोर्टिफाइड चावल की कीमत में 60-70 पैसे प्रति किलोग्राम की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • उल्लेखनीय है कि एफ.एस.एस.ए.आई. वर्ष 2018 से फोर्टिफिकेशन पर जोर दे रहा है। वर्ष 2018 में एफ.एस.एस.ए.आई. ने फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के लिये एक नया ‘+F’ लेबल लॉन्च किया है। साथ ही एफ.एस.एस.ए.आई. ने गेहूं के आटे, चावल, दूध, खाद्य तेल और डबल फोर्टिफाइड नमक सहित पाँच श्रेणियों में फोर्टिफिकेशन के लिये मानक तय किये थे। हालांकि, इन मानकों का पालन करना अनिवार्य नहीं है।

कारण

  • एनीमिया (रक्ताल्पता) के प्रसार को रोकने और इस समस्या से निपटने के लिये सरकार फ़ूड फोर्टिफिकेशन की योजना बना रही है।
  • प्राधिकरण के अनुमानों के अनुसार चावल 70% से अधिक भारतीय जनसँख्या का मुख्य खाद्य है, अत: इसके फोर्टिफिकेशन से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य लाभ पहुँचेगा।
  • फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया एक व्यवहार्य प्रस्ताव है क्योंकि इस योजना को प्रारम्भ करने के कुछ वर्षों में भारत में एनीमिया की घटनाओं में लगभग 35% की कमी आने की सम्भावना है।

एनीमिया और भारत

  • एनीमिया ऐसा रोग है, जिसमें किसी व्यक्ति में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। इससे रक्त की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम हो जाती है।
  • एनीमिया का सबसे आम कारण पोषक तत्वों की कमी है, विशेष रूप से लौह की कमी। इससे शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 6-59 महीने की आयुवर्ग के लगभग 58% बच्चे और 15-49 आयु की महिलाओं पर किये गए सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 53% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित थीं।
  • एनीमिया के कारण जनसंख्या की कम उत्पादकता से राष्ट्र को आर्थिक नुकसान पहुँचता है।

फोर्टिफिकेशन से हानियाँ

  • ‘सतत् और समग्र कृषि हेतु गठबंधन’ (ASHA) ने कई नकारात्मक परिणामों का हवाला देते हुए एफ.एस.एस.ए.आई. से खाद्य तेल और चावल के फोर्टिफिकेशन की योजना पर पुनर्विचार करने को कहा है।
  • इस निर्णय से असहमत होने का एक प्राथमिक कारण फोर्टिफाइड चावल के लाभों की प्रमाणिकता का अभी तक सिद्ध न होना था।
  • साथ ही आशा के शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि चावल के फोर्टिफिकेशन से एनीमिया होने के जोखिम में बहुत कम या लगभग न के बराबर अंतर आया है।
  • साथ ही फोर्टिफाइड चावल के अधिक सेवन को लेकर भी चिंताएँ हैं। फ़ूड फोर्टिफिकेशन और ‘आयरन टैबलेट सप्लिमेंटेशन’ से महिलाओं के शरीर में आयरन की अधिकता हो सकती है।
  • आर्थिक रूप से देखा जाए तो यह कदम बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिये एक सुनिश्चित बाज़ार (Assured Market) का निर्माण करेगा, जिससे भारत में चावल और तेल प्रसंस्करण की छोटी इकाइयों के लिये खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
  • तीसरा कारण यह है कि इस तरह के कदम से जैव विविधता के नष्ट होने का खतरा होता है, जो मोनोकल्चर में वृद्धि और मृदा स्वास्थ्य को कम करेगा।

अन्य विकल्प

  • फोर्टिफिकेशन का एक विकल्प अमृत कृषि के माध्यम से खाद्य फसलों को उगाना हैं। यह एक जैविक कृषि तकनीक है, जो खाद्य पोषण में वृद्धि करेगा।
  • एक अन्य उपाय माताओं द्वारा शिशुओं को उचित स्तनपान कराना है। यह शुरुआती 1,000 दिनों में पोषण की कमी पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
  • एक तीसरा तरीका किचन गार्डन का है। महाराष्ट्र में एक अध्ययन से पता चला है कि जैविक रूप से किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियाँ हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में सहायक रही हैं।
  • चौथा विकल्प सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कम प्रसंस्कृत या बिना पॉलिश किये हुए चावल को शामिल करना है। इससे राइस ब्रान (भूसी युक्त चावल) लोगों तक पहुंच सकेगा, जो विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है।
  • अंतत: एफ.एस.एस.ए.आई. भारत में पैदा होने वाले विविध प्रकार के अनाज, सब्जियों, फलों और अन्य फसलों के बारे में भी जागरूकता फैला सकता है।
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