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जम्मू और कश्मीर के राज्य दर्जे की पुनर्बहाली

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना। संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।) 

संदर्भ 

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से, जम्मू और कश्मीर (J&K) एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) बन गया। केंद्र सरकार ने संसद और सार्वजनिक मंचों पर जम्मू और कश्मीर के राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली का आश्वासन दिया है, लेकिन कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं बताई है।

संवैधानिक प्रावधान 

  • संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को संबंधित विधानमंडल से परामर्श के बाद राष्ट्रपति की सिफ़ारिश के आधार पर नए राज्यों का गठन करने या मौजूदा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार देता है।
  • जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 ने राज्य को जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख, दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

राज्य दर्जे की पुनर्बहाली के लिए आवश्यक कदम

  • संसद में कानून :  राज्य का दर्जा पुनः प्रदान करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव और पारित होना।
  • परिसीमन प्रक्रिया: परिसीमन आयोग (2022 में प्रस्तुत रिपोर्ट) ने विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी है।चुनावों के लिए इसका कार्यान्वयन पूर्वापेक्षा है।
  • विधानसभा चुनाव: सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियों के बाद चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराना।
  • राजनीतिक एवं सुरक्षा आकलन: राज्य दर्जे के पुनर्बहाली के संबंध में केंद्र का निर्णय स्थिरता, उग्रवाद में कमी और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा।
  • केंद्र का रुख: विधानसभा चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बेहतर सुरक्षा, बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने और निवेश को प्रारंभिक कदम बताया है।

चुनौतियाँ

  • क्षेत्रीय दलों के साथ राजनीतिक विश्वास की कमी।
  • सुरक्षा चिंताओं और लोकतांत्रिक आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाना।
  • पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के खतरों का प्रबंधन।
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