New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

चंद्रमा का भू-राजनैतिक महत्त्व तथा भारत की स्थिति 

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाओं से सबंधित प्रश्न )
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र- 2 भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों का प्रभाव से सबंधित विषय)

संदर्भ

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें अमेरिका के महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन आर्टेमिस में भगीदारी का प्रस्ताव दिया है। इसे चीन व रूस के मध्य हुए अंतरिक्ष समझौते के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है।

चीन का चांग-ई मिशन-

  • हाल के वर्षों में चीन चंद्रमा पर अन्वेषण गतिविधियों के संदर्भ में अन्य देशों की तुलना में अधिक महत्त्वाकांक्षी रहा है। 
  • चीन द्वारा चीनी चंद्रमा देवी चांग'ई के नाम पर वर्ष 2007 में चंद्र मिशन का अनावरण किया गया था। गौरतलब है कि हाल ही में, चांग- ई 5 मिशन चंद्रमा की सतह से कुछ पदार्थों को लेकर सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापस आ गया है।   
  • चीन के आगामी चंद्र मिशन - चांग'ई 6, 7 और 8  चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में एक अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (International Lunar Space Research Station- ILRS) के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। 
  • आई.एल.आर.एस. के पास चंद्रमा की परिक्रमा करने वाला एक अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जिसमें रोबोट द्वारा विभिन्न कार्यों को संपादित किया जाएगा।
  • चीन इस दशक के अंत तक एक सुपर-हैवी रॉकेट लॉन्ग मार्च CZ-9 के निर्माण का प्रयास  कर रहा है। यह चंद्रमा पर कम से कम 50 टन पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। 

चंद्र अन्वेषण तथा चीन-रूस सहयोग

  • चीन ने अन्य देशों को आई.एल.आर.एस. परियोजना में भाग लेने के लिये आमंत्रित करके अपनी चंद्र अन्वेषण योजनाओं में एक अंतर्राष्ट्रीय आयाम भी जोड़ा है। 
  • इसी क्रम में रूस चीन के प्रयासों को पूरा करने के लिये चंद्रमा अन्वेषण से संबंधित अपनी लूना शृंखला को पुनर्जीवित कर रहा है। ध्यातव्य है कि विगत माह के लिये निर्धारित लूना -25 का प्रक्षेपण अब मई 2022 तक के लिये स्थगित कर दिया गया है। 
  • लूना 25, 26 और 27 चांग'ई 6, 7 और 8 के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि विस्तृत अन्वेषण कार्य शुरू किया जा सके और चंद्रमा पर लैंडिंग  हेतु अल्ट्रा-सटीक तकनीक विकसित की जा सके।
  • यह मिशन वर्ष 2026 में शुरू होने वाले आई.एल.आर.एस. के दूसरे चरण के लिये आधार तैयार करेगा, जिसके तहत चंद्र स्टेशन बेस का सयुंक्त रूप से निर्माण किया जाएगा।

अमेरिका का आर्टेमिस मिशन-

  • नागरिक और सैन्य क्षेत्रों में चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम की व्यापक प्रगति और रूस के साथ इसके गहन सहयोग ने अमेरिका को चंद्रमा के अन्वेषण के लिये पुनः प्रेरित किया है।
  • इसी कड़ी में ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 2024 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने और वापस लाने की योजना की घोषणा की तथा अपोलो की जुड़वाँ बहन के नाम पर नई चंद्र परियोजना का नाम आर्टेमिस रखा।
  • आर्टेमिस मिशन की संरचना चीन के आई.एल.आर.एस. के समान है। इसमें चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले एक स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण शामिल है, जिसे लूनर गेटवे कहा जाता है।
  • आर्टेमिस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक बेस स्टेशन का निर्माण करना है, जहाँ बर्फ होने तथा भविष्य की मानव गतिविधियों को बनाए रखने की संभावना है।
  • चीन की तरह ही अमेरिका ने भी घोषणा की है कि वह चंद्र अन्वेषण के लिये भागीदारों की तलाश कर रहा है। भारत को आर्टेमिस मिशन में शामिल करने का प्रस्ताव इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

अमेरिका का आर्टेमिस मिशन तथा क्वाड ग्रुप

  • अमेरिका के नेतृत्व वाला आर्टेमिस मिशन समझौता चंद्रमा पर बढ़ती मानव गतिविधियों, खनन संसाधनों तथा चंद्र उपनिवेशों की स्थापना को निर्देशित करने वाला एक समझौता है। 
  • विगत वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में आठ देशों (आस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, जापान, लक्ज़मबर्ग, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका)  ने तथाकथित आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। तब से, कई अन्य देश जैसे- ब्राजील, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और यूक्रेन भी इसमें शामिल हुए हैं।
  •  बाहरी अंतरिक्ष के बढ़ते व्यावसायीकरण और सैन्यीकरण ने क्वाड नेताओं की अंतरिक्ष अन्वेषण में रुचि को बढ़ा दिया है।
  • क्वाड शिखर सम्मेलन में, मोदी और बिडेन, ऑस्ट्रेलियाई और जापानी प्रीमियर के साथ, बाहरी अंतरिक्ष पर एक नया क्वाड वर्किंग ग्रुप स्थापित करने पर सहमत हुए।
  • चीन तथा रूस का अंतरिक्ष सहयोग अमेरिका के खिलाफ उनकी रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा बन गया है। रूस- अमेरिका के साथ अंतरिक्ष सहयोग खत्म करने की भी धमकी दे रहा है। ऐसे में अमेरिका भी अंतरिक्ष सहयोग हेतु एक समूह बनाने पर बल दे रहा है। 

    चंद्र अन्वेषण में भारत की स्थिति- 

    • भारत ने वर्ष 2008 में अपना पहला चंद्रयान भेजा था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर पानी व हीलियम की उपस्थिति का पता लगाना था। यह मिशन इस संदर्भ में सफल रहा कि इसने चंद्रमा पर बर्फ होने की पुष्टि की।
    • वर्ष 2019 मे भारत ने अपना चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया, परंतु इसने पृथ्वी पर वापसी के समय इसरो के साथ संपर्क खो दिया।
    • भारत अब आर्टेमिस मिशन समझौते में शामिल होकर अपनी चंद्र अन्वेषण गतिविधियों को तीव्र करेगा।

    चंद्र अन्वेषण गतिविधियाँ का बदलता परिदृश्य तथा बाह्य अंतरिक्ष संधि

    • बढ़ती चंद्र-अन्वेषण गतिविधियाँ वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था पर दबाव डाल रही हैं, यह कानून व्यवस्था वर्ष 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि (OST) के इर्द-गिर्द केंद्रित है।
    • इस संधि के अनुसार बाह्य अंतरिक्ष, जिसमें चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंड शामिल हैं, "संप्रभुता के दावे द्वारा, उपयोग या व्यवसाय के माध्यम से, या किसी अन्य माध्यम से किसी राष्ट्र के अधीन नहीं है"। 
    • बाहरी अंतरिक्ष "सभी मानव जाति का प्रांत" होगा और इसका उपयोग "सभी देशों के कल्याण और हितों के लिये किया जाएगा"।
    • ओ.एस.टी. की व्यापक सार्वभौमिकता को तब तक मानना आसान था, जब तक वाणिज्यिक और सैन्य लाभ के लिये बाहरी अंतरिक्ष का दोहन करने के लिये क्षमताएँ विकसित नहीं की गईं थी। परंतु वर्तमान में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में प्रगति और प्रमुख शक्तियों द्वारा संसाधनों के व्यापक निवेश के कारण यह स्थिति बदल रही है।

    आगे की राह

    • विभिन्न देशों द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण गतिविधियों हेतु एक सहयोगात्मक रुख़ अपनाना जाना चाहिये, ताकि समस्त मानव जाति के सर्वोत्तम लाभ को सुनिश्चित किया जा सके।
    • अमेरिका चंद्रमा के संबंध में ओ.एस.टी. शासन को संरक्षित करने, आपातकालीन सहायता और शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु आर्टेमिस समझौते को बढ़ावा दे रहा है। लेकिन रूस और चीन अमेरिका के साथ काम करने को लेकर उत्साहित नहीं दिख रहे हैं। यह भारत जैसे अन्य अंतरिक्ष-उत्साही देशों को विकल्प चुनने के लिये स्वतंत्रता देता है।
    • भारत को अंतरिक्ष गतिविधि को बढ़ावा देने और अपने अंतर्राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये मज़बूत नियामक ढाँचा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • भारत को वर्तमान अंतरिक्ष व्यवस्था की उभरती चुनौतियों पर कड़ी नज़र रखने की आवश्यकता है। साथ ही, इसे बाहरी अंतरिक्ष की प्रकृति के बारे में अपनी पिछली राजनीतिक धारणाओं की समीक्षा करनी चाहिये और नए वैश्विक मानदंडों के विकास में योगदान देना चाहिये जो बाह्य अंतरिक्ष संधि को मज़बूत करेंगे।

    निष्कर्ष

    जैसे- जैसे तकनीकी क्षमताएँ बढ़ती हैं, राष्ट्रों का ध्यान अंतर-ग्रहीय अन्वेषण तथा गहन अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर जाता है। इन प्रवत्तियों ने चंद्र अन्वेषण को केंद्र में ला दिया है। आवश्यकता  है कि इन अन्वेषण गतिविधियों का सतत् विकास हो ताकि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ-साथ समूचा प्राणी जगत लाभान्वित हो।

    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR