New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

राज्य निर्वाचन आयुक्त को अध्यादेश द्वारा हटाना कितना संवैधानिक

(सामान्य अध्ययन, मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र 2, विषय – विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति, शक्तियाँ, कार्य एवं उत्तरदायित्व , राज्य विधायिका- शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार)

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में, आंध्र प्रदेश सरकार ने “आंध्र प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994” में अध्यादेश द्वारा संशोधन करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त एन. रमेश कुमार को पदच्युत कर दिया।
  • इस संशोधन के द्वारा निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष कर दिया गया है, इसके चलते वर्तमान आयुक्त का कार्यकाल अब ख़त्म हो गया है।
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान आंध्र सरकार तथा रमेश कुमार के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था, ऐसे में आशंका जताई जा रही थी कि सरकार कोई सख्त कदम उठा सकती है।
  • दरअसल, यह विवाद उस समय ज़्यादा बढ़ गया जब कोविड-19 के प्रकोप के चलते राज्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव को 6 सप्ताह के लिये टाल दिया था, जबकि सरकार यह चुनाव करवाने के पक्ष में थी।
  • अध्यादेश के जरिये राज्य निर्वाचन आयुक्त को हटाया जाना इस निर्णय की संवैधानिकता पर सवाल उठाता है।

निर्णय के निहितार्थ

  • स्पष्ट है कि सरकार का यह निर्णय निर्वाचन आयुक्त एवं मुख्यमंत्री के बीच के संघर्ष की परिणति था। इसे सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण माना जा सकता है।
  • सरकार ने राज्यपाल द्वारा राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल को 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष करने लिये अध्यादेश जारी करवाया, जो कि  तार्किक निर्णय नहीं था।
  • अध्यादेश में निर्वाचन आयुक्त के पद को धारण करने की योग्यता में भी संशोधन किया गया है। पूर्व निर्धारित योग्यता के अनुसार प्रधान सचिव के स्तर के किसी भी अधिकारी को राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया जा सकता था, अब योग्यता में बदलाव कर दिया गया है। नए नियमों के अनुसार, यदि व्यक्ति ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है तो वह राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर नियुक्त किये जाने के योग्य है।
  • योग्यता नियमों में किया गया यह बदलाव वर्तमान आयुक्त को इस पद के लिये स्वतः अयोग्य बना देता है।
  • स्थानीय निकाय चुनाव को रद्द किये जाने के बाद राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी लेकिन अदालत ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
  • संविधान के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयुक्त को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह ही पद से हटाया जा सकता है।
  • यदि भविष्य में न्यायलय इस प्रकार किसी स्वतंत्र संवैधानिक निकाय के प्रमुख को हटाए जाने पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं करता है तो यह स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों पर गम्भीर सवाल खड़ा कर सकता है।

पूर्व के कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय

  • राज्य सरकार ने निर्वाचन आयुक्त को हटाने के लिये अपरमिता प्रसाद सिंह बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश  (2007) वाद का हवाला दिया है।
  • उक्त वाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि कार्यकाल की अवधि को कम करना पद से हटाए जाने से भिन्न है और न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल में कटौती को सही ठहराया था।

पिछले निर्णयों पर सवाल

  • उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर न्यायालय के पिछले कुछ निर्णय विवादित रहे हैं क्योंकि ये राज्य सरकार को केवल कार्यकाल या सेवानिवृत्ति की आयु में परिवर्तन करके एक चुनाव प्राधिकारी को हटाने की स्वतंत्रता देते हैं।
  • यह निश्चित रूप से संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है। छद्म विधायन के सिद्धांत (Doctrine of Colourable Legislation) के अनुसार जो कार्य प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया जा सकता है, वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता है।
  • ध्यातव्य है कि संविधान का अनुच्छेद 243K किसी सेवा के दौरान उस सेवा की स्थिति के परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है।

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति की सेवा के दौरान ही उसकी सेवा शर्तों में बदलाव संविधान सम्मत नहीं है और वर्तमान मामले में यह भी स्पष्ट है कि सरकार के द्वारा यह फैसला कुछ पूर्वाग्रहों के आधार पर लिया गया है। अतः संविधान का संरक्षक होने के नाते सर्वोच्च न्यायालय का यह दायित्व बनता है कि वह इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायिक जाँच का आदेश दे।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR