एक हालिया सर्वेक्षण में वर्ष 2025 में भारतीय सुंदरबन में खारे पानी के मगरमच्छों (क्रोकोडाइलस पोरोसस) की संख्या में वृद्धि दर्ज़ की गई है। यह दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में एक स्वस्थ एवं स्थिर आबादी का संकेत देता है।
खारे पानी के मगरमच्छ के बारे में
- आवास: खारे पानी के मगरमच्छ नदीय मुहानों, ज्वारीय नदियों और मैंग्रोव दलदलों में रहते हैं।
- खारे पानी का मगरमच्छ (क्रोकोडाइलस पोरोसस) सभी मगरमच्छों में सबसे बड़ा और दुनिया का सबसे बड़ा सरीसृप है।
- ये ‘अतिमांसाहारी शीर्ष शिकारी’ हैं जो पानी में शवों और जंगली अवशेषों को खाकर बहते पानी के पारिस्थितिक तंत्र को साफ रखते हैं।
- भारत में वितरण : मुख्यतः सुंदरबन (पश्चिम बंगाल), भितरकनिका (ओडिशा) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।
- सर्दियों के दौरान ये पानी की विभिन्न लवणता को भी सहन कर लेते हैं।
- संरक्षण स्थिति
- IUCN लाल सूची : संकटमुक्त (Least Concern)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची I (उच्चतम संरक्षण)
- CITES : परिशिष्ट I (व्यापार निषिद्ध)
चुनौतियाँ
- लवणता में वृद्धि से इस क्षेत्र में खारे पानी के मगरमच्छों के आवास की उपयुक्तता कम हो सकती है।
- सुंदरबन में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि हो सकती है।
- मगरमच्छों की बढ़ती संख्या कभी-कभी स्थानीय मछुआरा समुदायों के साथ संघर्ष को बढ़ावा देती है।
संरक्षण का महत्व
- शीर्ष शिकारी की भूमिका : मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना।
- पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का सूचक : बढ़ती आबादी प्रभावी संरक्षण और शिकार की उपलब्धता को दर्शाती है।
इसे भी जानिए!
- पश्चिम बंगाल सरकार ने वर्ष 1976 में दक्षिण 24 परगना में भगबतपुर मगरमच्छ परियोजना के रूप में एक संरक्षण एवं प्रजनन सुविधा शुरू की थी।
- सुंदरबन में खारे पानी के मगरमच्छों की आबादी में स्थायी वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए यह परियोजना वर्ष 2022 तक जारी रही।
|