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समुद्री अधिकार क्षेत्र जागरूकता में भारत के बढ़ते प्रयास

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आंतरिक सुरक्षा ,विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ)

संदर्भ

वर्तमान में किसी देश के लिये स्थल के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र भी विशेष सामरिक महत्त्व रखते हैं। भारत लगातार समुद्री अधिकार-क्षेत्र को बढ़ाने के लिये निगरानी तंत्र को मज़बूत करने का प्रयास कर रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के कारण यह और भी आवश्यक हो गया है कि भारत समुद्री क्षेत्र में अपने सुरक्षा-प्रबंधन को मज़बूत करे।

समुद्री क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • आधुनिक समय में समुद्री क्षेत्र के खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। इन खतरों में आतंकवादियों का समुद्री मार्ग से किसी देश की सीमा में घुसना, अपराधियों द्वारा भागने के लिये समुद्री मार्गों का उपयोग करना और समुद्री डाकुओं तथा लुटेरों के हमले शामिल हैं।
  • अनेक बार इन आतंकवादियों, अपराधियों तथा लुटेरों की पहचान संभव नहीं हो पाती, क्योंकि ये लोग मछुआरों तथा बंदरगाह- श्रमिकों की आड़ में स्वयं को छिपा लेते हैं।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वास्तविक समय पर आधारित जानकारी को साझा करने तथा संदिग्ध गतिविधियों को ट्रैक करने के लिये प्रयुक्त होने वाले उच्च-श्रेणी के सेंसर और संचार नेटवर्क का उपयोग करते समय विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

भारत के प्रयास

  • भारतीय नौसेना थोड़ा विलम्ब से ही सही पर अब हिंद महासागर में अधिकार-क्षेत्र के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास कर रही है।
  • भारतीय नौसेना मालदीव, म्यांमार और बांग्लादेश में रडार स्टेशन स्थापित करके समुद्री क्षेत्र में निगरानी तंत्र में विस्तार करने की दिशा में कार्य रही है। मॉरीशस, सेशेल्स तथा श्रीलंका में  पहले से ही व्यापक तटीय रडार शृंखला नेटवर्क स्थापित किये जा चुके हैं।
  • भारतीय नौसेना पूर्वी हिंद महासागर, विशेषकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के आस-पास के क्षेत्रों में चीन की गतिविधियों पर विशेष नजर रख रही है।
  • जून 2020 में, उत्तरी लद्दाख के गलवान में भारतीय सेना और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की आपसी भिड़ंत के बाद पूर्वी समुद्री क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए भारतीय रणनीतिकार विशेष सावधानी अपना रहे हैं।
  • हाल के महीनों में, भारत ने ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी’ (PLAN) की पनडुब्बियों की निगरानी के लिये के P-8I विमान को तैनात किया है और भारतीय नौसैनिक जहाजों ने चीन द्वारा किसी भी सामुद्रिक गतिविधि को रोकने के लिये अंडमान सागर तथा पूर्वी चोकपाइंट्स पर गश्त की है।

पड़ोसी देशों के साथ भारत का तालमेल   

  • समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाने के लिये पड़ोसी देशों के साथ सहयोगपूर्ण तालमेल होना आवश्यक है। एक जानकारी के अनुसार हिंद महासागरीय देश; बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स जल्द ही गुरुग्राम में स्थित ‘हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र’ (IFC-IOR) में संपर्क अधिकारी नियुक्त करेंगे।
  • फ्रांस पहले से ही आई.एफ.सी. के साथ सूचनाओं को साझा करता है और चार अन्य हिंद-प्रशांत देश; ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूके तथा अमेरिका भी इस केंद्र के साथ सूचनाएँ साझा करने पर सहमत हुए हैं। इस प्रकार, आई.एफ.सी. पूर्वी हिंद महासागर में प्रमुख सूचना केंद्र के रूप में उभर रहा है।
  • भारत पश्चिमी हिंद महासागर के मेडागास्कर में क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र (RMIFC) में भी स्थिति को मज़बूत कर रहा है। हिंद महासागर आयोग के तत्त्वावधान में स्थापित आर.एम.आई.एफ.सी. (RMIFC) में भारत, हाल ही में एक 'पर्यवेक्षक' के रूप में शामिल हुआ।
  • भारत ने फारस की खाड़ी और होर्मुज की जलसंधि में समुद्री गतिविधियों की निगरानी में सहायता के लिये ‘यूरोपियन मेरीटाइम अवेयरनेस इन द स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ (EMASOH), अबूधाबी में एक अधिकारी भी तैनात किया है। 

फ्रांस के साथ सामंजस्य

  • पश्चिमी एवं दक्षिण पश्चिमी क्षेत्रों में भारत की पहुँच को आसान बनाने में फ्रांस ने सहयोग किया। फ्रांस हिंद महासागर की प्रमुख शक्ति और इस क्षेत्र में भारत का महत्त्वपूर्ण भागीदार है।
  • वर्ष 2019 में भारत के साथ लॉजिस्टिक्स समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद फ्रांस समुद्री कॉमन्स में एक मज़बूत साझेदारी बनने के लिये उत्सुक है।
  • फ्रांस ने हिंद महासागर आयोग में 'पर्यवेक्षक' का दर्जा हासिल करने में भारत का सहयोग किया है और वह पश्चिमी हिंद महासागर में सुरक्षा पहल में भारतीय भागीदारी को बढ़ावा देने पर भी बल दे रहा है।
  • हालाँकि, परिचालन के दृष्टिकोण से, भारतीय नौसेना की प्राथमिकता दक्षिण एशिया बनी हुई है, जहाँ नौसेना का नेतृत्व पूर्वी हिंद महासागर में पानी के नीचे डोमेन जागरूकता पर केंद्रित है।

चीन की बढ़ती उपस्थिति से उत्पन्न चिंताएँ

  • चीन की समुद्री क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति भारत के लिये चिंताजनक है। भारत की विशेष चिंता यह भी है कि चीन की पी.एल.ए.एन. क्वाइटर (आवाज़ उत्पन्न न करने वाली) पनडुब्बियों की एक पीढ़ी विकसित कर रही है जिनका पता लगाना कठिन होता है।
  • परिणामस्वरूप, भारत पूर्वी चोकपॉइंट्स में अपनी जल के अंदर की क्षमताओं का विस्तार कर रहा है।
  • साथ ही, संवेदनशील समुद्री स्थानों पर निगरानी बढ़ाने के लिये, भारतीय नौसेना ने अमेरिका से लीज़ पर दो समुद्री गार्डियन ड्रोन भी शामिल किये हैं।
  • इसके अतिरिक्त, भारत चीन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिये जापान के सहयोग से अंडमान द्वीप समूह के निकट जल के अंदर सेंसर तकनीक स्थापित करने पर विचार कर रहा है

 आगे की रणनीति

  • समुद्री अधिकार क्षेत्र में भारत की पहल रणनीतिक विचारों से अधिक से प्रेरित है। हालाँकि भारत ने समुद्री क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये अपने भागीदारों को पहचाना है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में 21 देशों के साथ नौवहन समझौतों ने मेरीटाइम ट्रैफिक की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत की है।
  • भारत का सैन्य उपग्रह (GSAT-7A) शीघ्र ही साझेदार राष्ट्रों के साथ समुद्री जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • भारत के ये सभी प्रयास सागर (Security and Growth for All in the Region) की अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करते हैं, जो भारत के विचार को सुरक्षा प्रदाता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पसंदीदा भागीदार के रूप में स्थापित करता है।

निष्कर्ष

हालाँकि, भारतीय पहलें क्षेत्रीय तटवर्ती राष्ट्रों के उद्देश्यों और रणनीतियों के संरेखण के बारे में बताती हैं। चूँकि सहकारी जानकारी के साझाकरण से गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न होने का खतरा भी बना रहता है, परिणामस्वरूप अनेक राष्ट्र महत्त्वपूर्ण जानकारी को समय पर साझा नहीं करते हैं। अतः समुद्री अधिकार क्षेत्र में अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिये यह आवश्यक है कि भारत निर्बाध सूचना प्रवाह को सुनिश्चित करे। इसके लिये भारत को भागीदार राष्ट्रों के साथ परिचालन संबंधी तालमेल स्थापित करना होगा और साझा हितों के लिये सयुंक्त प्रयासों का विस्तार करना होगा।

हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR)

  • दिसंबर, 2018 में भारतीय नौसेना ने सामुद्रिक नौवाहन की निगरानी के लिये ‘हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र’ (IFC-IOR)  की स्थापना गुरुग्राम में की।
  • यह सूचना प्रबंधन  और विश्लेष्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है तथा यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अंतर्गत कार्य करता है
  • यह एक प्रकार का वैश्विक नौवहन सुचना केंद्र है जो विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों के साथ समन्वय स्थापित कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है, इसमें शामिल केंद्र हैं-
    • हॉर्न ऑफ अफ्रीका का समुद्री सुरक्षा केंद्र ( MSCHOA)
    • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री ब्यूरो-पाइरेसी रिपोर्टिंग केंद्र (IMB-PRC)
    • आभासी क्षेत्रीय मेरीटाइम ट्रैफिक केंद्र (VRMTC)
    • समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती पर क्षेत्रीय सहयोग समझौता (ReCAAP)
    • सूचना संलयन केंद्र- सिंगापुर (IFC-SG)

 सागर (Security and Growth for All in the Region)

  • भारत में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने और हिंद महासागर क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा, स्थिरता एवं संवृद्धि सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा सागर कार्यक्रम शुरू किया गया था।
  • सागर कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है- समुद्री क्षेत्र में सभी विवादों का शांतिपूर्वक समाधान तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना और समुद्री क्षेत्र में सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित करना।

 हिंद महासागर आयोग

  • हिंद महासागर आयोग दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर में एक क्षेत्रीय मंच है। इसकी स्थापना वर्ष 1982 में मॉरीशस के पोर्ट लुई में की गयी थी। इसका मुख्यालय एबेने (मॉरीशस) में स्थित है।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसमें पांच देश शामिल हैं - कोमोरोस, फ्रांस (रीयूनियन), मेडागास्कर, मॉरीशस तथा सेशेल्स।

 क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र (RMIFC)

  • यह हिंद महासागर आयोग के अंतर्गत कार्य करता है। इसका मुख्यालय मेडागास्कर में स्थित है।
  • आर.एम.आई.एफ.सी. पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्री सूचनाओं से संबंधित का एक प्रमुख केंद्र है।
  • भारत, जापान तथा संयुक्त राष्ट्र को मार्च, 2020 में पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया गया है। इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य समुद्री गतिविधियों पर निगरानी के माध्यम से समुद्री अधिकार-क्षेत्र जागरूकता (Maritime Domain Awareness) में वृद्धि करना तथा सूचना साझाकरण को प्रोत्साहन देना है।
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