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स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र में निवेश के अवसर

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास)(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : स्वास्थ्य व मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र)

संदर्भ

नीति आयोग ने ‘भारत के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र में निवेश के अवसर’ विषय पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उद्योग में विभिन्‍न क्षेत्रों में निवेश के व्‍यापक अवसरों की रूपरेखा प्रस्‍तुत की गई है।

रिपोर्ट में शामिल बिंदु

  • रिपोर्ट के पहले खण्‍ड में, स्वास्थ्य क्षेत्र में रोज़गार सृजन की संभावनाओं, वर्तमान व्‍यावसायिक एवं निवेश संबंधी माहौल के साथ-साथ व्‍यापक नीति परिदृश्य को  सम्मिलित किया गया है।
  • इसके दूसरे खण्ड में इस क्षेत्र की प्रगति के मुख्य कारकों पर चर्चा की गई है, जबकि तीसरे खण्ड में 7 मुख्य वर्गों– चिकित्सालय एवं अवसंरचना, स्वास्थ्य बीमा, फार्मास्युटिकल्स एवं जैव-प्रौद्योगिकी, चिकित्‍सकीय उपकरण, चिकित्सा पर्यटन, घरेलू स्वास्थ्य देखभाल, टेलीमेडिसिन और तकनीक आधारित अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में नीतियों तथा निवेश के अवसरों का ब्यौरा है। 

क्यों महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र?

  • भारत के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उद्योग में वर्ष 2016 से 22% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से वृद्धि हो रही है और इसके वर्ष 2022 तक 372 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। इस प्रकार, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र का योगदान राजस्‍व एवं रोज़गार की दृष्टि से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिये महत्त्वपूर्ण हो गया है।
  • भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र की प्रगति और विस्तार के लिये उत्तरदाई कारकों में अधिक आयु वर्ग की बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता हुआ मध्‍य वर्ग, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि, पी.पी.पी. पर अधिक जोर के साथ-साथ डिजिटल प्रौद्योगिकियों को तीव्रता से अपनाना शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, कोविड-19 महामारी ने चुनौतियों के साथ-साथ भारत को विकास के अवसर भी मुहैया कराए है। इस प्रकार, इन सभी कारकों ने मिलकर भारत के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र में निवेश के लिये उपयुक्त विकल्प मुहैया कराया है।

भारत में स्वास्थ्य व्यय

  • वर्ष 2018-19 में भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय जी.डी.पी. का 1.5% था जबकि यूरोपीय देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय जी.डी.पी. के 7 से 8% के आस-पास है।
  • बजट 2021-22 में स्वास्थ्य और कल्याण के लिये पिछले वर्ष की तुलना में 137% की वृद्धि हुई है। साथ ही, आगामी वित्त वर्ष के लिये कोविड-19 के टीकों के लिये 35,000 करोड़ रूपए का परिव्यय सुनिश्चित किया गया है। 
  • आर्थिक समीक्षा 2020-21 के अनुसार, ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017’ के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय को जी.डी.पी. के 1% से बढ़ाकर 2.5-3% करने से कुल व्यक्तिगत स्वास्थ्य व्यय 65% से घटकर 35% के स्तर पर आ सकता है।

संभावनाएँ

  • चिकित्सालयों के क्षेत्र में टियर-2 और टियर-3 जैसे शहरों में निजी क्षेत्र के विस्तार ने निवेश के आकर्षक अवसर प्रदान किये है। फार्मास्‍युटिकल क्षेत्र में घरेलू निर्माण को बढ़ाकर और आत्‍मनिर्भर भारत पहल के तहत सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
  • चिकित्‍सकीय उपकरणों एवं उपायों के क्षेत्र में डायग्‍नोस्टिक और पैथोलॉजी केंद्रों का विस्‍तार तथा लघु निदान तकनीकों की वृद्धि की अत्यधिक संभावना है।
  • सरकर ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये एफ.डी.आई. को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों और पी.एल.आई. योजनाओं के माध्यम से वृहद संरचनात्मक सुधार किये हैं।
  • महामारी संकट को अवसर में बदलते हुए भारतीय स्टार्ट-अप्स ने कम लागत वाली प्रभावी एवं त्वरित समाधान के विकास को गति दी है। साथ ही, महामारी ने टेलीमेडिसिन और घरेलू स्वास्थ्य सेवा बाजार के विस्तार को प्रोत्साहित किया है।
  • इसके अतिरिक्त भारत में ‘मेडिकल वैल्‍यू ट्रेवल’ विशेषकर चिकित्‍सा पर्यटन के विकास की अत्यधिक संभावनाएँ है क्‍योंकि देश में चिकित्सा सुविधा सस्ती व विश्वसनीय होने के साथ-साथ यहाँ वैकल्पिक चिकित्‍सा का मजबूत आधार भी उपलब्ध है।
  • साथ ही, चिकित्सा के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता, मोबाइल सेवा और इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स जैसी अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकीयों की प्रगति और प्रयोग ने भी इस क्षेत्र में निवेश के अवसर मुहैया कराये हैं।
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