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‘के’ प्रक्षेपास्र समूह और इसका रणनीतिक महत्त्व

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत द्वारा परमाणु सक्षम शौर्य मिसाइल का सफल परीक्षण ओडिशा के बालासोर में किया गया।

शौर्य मिसाइल

  • शौर्य मिसाइल पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की जाने वालीभारत की K-15 (B-05) मिसाइल का उन्नत व भूमि संस्करण है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा स्वदेशी रूप सेविकसित किया गया है।
  • यह बैलिस्टिक हथियार K-मिसाइल परिवारसे सम्बंधित है, जो परमाणु पनडुब्बियों के ‘अरिहंत वर्ग’ से लॉन्च किये गए हैं। इसका कूटनाम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है।
  • इस मिसाइल केउन्नत संस्करण की मारक क्षमता लगभग750 किलोमीटर है। यह मिसाइल मैक7 या 2.4 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से 50 किमी. की ऊँचाई पर लक्ष्यकी ओर बढ़ने में सक्षम है।
  • ओडिशा में शौर्य का उपयोगकर्ता (User) परीक्षण किया गया, जो छोटी दूरी की SLBM K-15 सागरिका का एक स्थलीय संस्करण है। भारत ने इस वर्ग की 3500 किमी. रेंज वाली K-4 मिसाइलों का विकास और कई बार सफल परीक्षण किया है।

महत्त्व

  • शौर्य को अपने उच्च प्रदर्शन नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणालियों, कुशल प्रणोदन प्रणाली, परिष्कृत नियंत्रण प्रौद्योगिकियों और कनस्तरों के प्रक्षेपण के कारण विश्व की शीर्ष 10 मिसाइलों की सूची में रखा गया है।
  • सरकार नेशौर्य स्‍ट्रैटजिक मिसाइल (Shaurya Strategic missile) को सेवा में शामिल करने की अनुमति दे दी है।शौर्य स्‍ट्रैटजिक मिसाइल को जल्‍द ही उन स्‍थानों पर तैनात किया जाएगा, जिनकी पहचान ‘भारतीय सामरिक बल’ (Indian Strategic Force), राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् (National Security Council) के साथ मिलकर करेंगे।
  • सरकार की ओर से मिसाइल के भूमि संस्करण के लिये जाने का निर्णय महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मिसाइल को एकल वाहन द्वारा लॉन्च किया जा सकता है।
  • स्थल-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की समान रेंज के साथ K-5 मिसाइल को परमाणु पनडुब्बियों पर तैनात किया जाएगा।

‘के’ वर्ग की मिसाइलें

  • मिसाइलों के‘K वर्ग’ में मुख्य रूप से पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (Submarine Launched Ballistic Missiles- SLBM) हैं। इन्हें स्वदेशी रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया और नामकरण भारत के 11वें राष्ट्रपति व प्रख्यात मिसाइल विशेषज्ञ डॉ. कलाम के नाम पर किया गया है।
  • इन ‘नेवल प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च’ मिसाइलों का विकास 1990 के दशक के अंत में भारत के परमाणु परीक्षण त्रय को पूरा करने के रूप में शुरू हुआ। इस त्रय में स्थल, समुद्र और वायु आधारों से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता शामिल है।
  • इन मिसाइलों को पनडुब्बियों से प्रक्षेपित किया जाता है, अत: ये अपनी भूमि-आधारित समकक्ष मिसाइलों (अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें, जो मध्यम और अंतरमहाद्वीपीय श्रेणी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलें हैं) की तुलना में हल्की, छोटी और ज़्यादामारक हैं।

SLBM का सामरिक महत्त्व

  • परमाणु हथियार कोपनडुब्बी प्लेटफार्मों से लॉन्च करने की क्षमता परमाणु त्रय को प्राप्त करने के संदर्भ में अत्यधिक रणनीतिक महत्त्व रखती है, विशेष रूप से भारत की परमाणु हथियारों की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति के संदर्भ में।
  • समुद्र आधारित व पानी के नीचे से लॉन्च किये जा सकने वाले परमाणु सक्षम प्रक्षेपास्त्र/पनडुब्बियाँ किसी देश कीद्वितीय स्तर की प्रहार क्षमता में काफी वृद्धि करतीहैं। एक तरह से ये परमाणु निरोध प्राप्त करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
  • ये पनडुब्बियाँ न केवल विपक्षियों द्वारा प्रथम प्रहार से बच सकती हैं, बल्कि जवाबमें भी प्रहार व हमला भीशुरू कर सकती हैं, जिससे विश्वसनीय परमाणु निरोध प्राप्त हो सकता है।
  • वर्ष 2016 में कमीशन प्राप्त परमाणु संचालित अरिहंत पनडुब्बी और उस वर्ग की अन्य पनडुब्बियाँ, जो पाइपलाइन में हैं, वे परमाणु हथियार के साथ मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम हैं।
  • दो पड़ोसी देशों के साथ भारत के सम्बंधों के मद्देनज़र इन क्षमताओं का विकास महत्त्वपूर्ण है। चीन ने कई पनडुब्बियों को तैनात किया है, जिनमें कुछ परमाणु शक्ति सम्पन्न और परमाणु सक्षम हैं। यह क्षमता निर्माण भारत के परमाणु निरोध के लिये महत्त्वपूर्ण है।

हाल का परीक्षण

  • इस वर्ष जनवरी के तीसरे सप्ताह में डी.आर.डी.ओ. ने आंध्र प्रदेश राज्य के तट से जलमग्न प्लेटफार्मों से K-4 मिसाइल के दो सफल परीक्षण किये। ये परीक्षण अंततः INS अरिहंत पर K-4 को तैनात करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था, जिसमें पहले से ही K-15 तैनात है।
  • शौर्य के हाल के परीक्षण में पहले की तुलना में इस बार कई उन्नत मापदंडों की जाँच की गई।
  • कई आधुनिक मिसाइलों की तरह शौर्य एक कनस्तर-आधारित प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डिब्बों (Compartment)में संग्रहीत और संचालित होता है।
  • कनस्तर में भीतर का नियंत्रित वातावरण इसके परिवहन और भंडारण को आसान बनाता है। साथ ही हथियारों की शेल्फ लाइफ (Shelf Life) में भी काफी सुधार होता है।
  • यद्यपि डी.आर.डी.ओ. ने इन परीक्षणों को किया है परंतु इसके बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। इसका सम्भावित कारण ‘K वर्ग’ की मिसाइल परियोजनाओं की वर्गीकृत प्रकृति और उन्नत प्रौद्योगिकी वाहन (ATV-Advanced Technology Vehicle) परियोजना से उनका करीबी सम्बंध हो सकता है, जिसमें अरिहंत श्रेणी के जहाज़ शामिल हैं।
  • इन प्रणालियों के हालिया परीक्षणों को क्षेत्र में मौजूदा स्थिति के मद्देनज़र चीन और पाकिस्तान के लिये एक मज़बूत संदेश के रूप में भी देखा जा सकता है।
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